दिल्ली में तेजी से डेवलपमेंट के लिए रेखा गुप्ता सरकार ने पीएम मोदी वाला मॉडल लागू कर दिया. केंद्र की मोदी सरकार की “सांसद आदर्श ग्राम योजना” की तर्ज पर दिल्ली सरकार ने भी अपने सभी मंत्रियों को सात-सात विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी है. यानी हर एक मंत्री के साथ 7 विधायक लगाए गए हैं. 8 लोगों की यह टीम उन 7 विधानसभा सीटों पर योजना के तहत काम करेगी. तय करेगी की डेवपमेंट की योजनाएं फाइलों में न अटके. तेजी से उसे जमीन पर उतारा जाए. हर हफ्ते इसकी मीटिंग होगी.
सूत्रों की मानें तो जिन मंत्रियों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है, उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है. इस ग्रुप में सरकारी योजनाओं की जानकारी शेयर की जाती है. यह सुनिश्चित किया जाता है कि जो भी फैसले सरकार ले रही है, उसकी जानकारी नीचे तक पहुंचे, ताकि लोगों तक उसे पहुंचा जा सके. इसी के माध्यम से विधायक अपनी रिपोर्ट भी देंगे, जिसे सीएम तक पहुंचाया जाएगा. तुरंत काम करने के मकसद से सरकार ने यह कोशिश शुरू की है.
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‘बाबूगिरी’ पर लगाम
दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, राजधानी में भाजपा के अधिकांश विधायक प्रशासनिक अनुभव की कमी से जूझते हैं. कई बार उनके क्षेत्रों के कार्य सरकारी प्रक्रिया में उलझकर अटक जाते हैं. कई बार वे जाकर कहते हैं, लेकिन काम नहीं हो पाते हैं, क्योंकि फाइलों में उलझा दिया जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए मंत्रियों को सीधे जिम्मेदारी दी गई है ताकि फाइलें बाबूगिरी में न फंसने पाएं.
सीएम ने खुद संभाली जिम्मेदारी
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने खुद इसकी कमान अपने हाथ में ली है. उनके पास खुद भी 7 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी है. वह खुद भी विधायकों से सीधे संवाद कर रही हैं और जनता की समस्याओं को जानने की कोशिश कर रही हैं. ताकि पता तो चले कि विधानसभा में किस तरह की परेशानी है. लोग क्या कहना चाह रहे हैं. विधायक कितने एक्टिव हैं, ये भी इससे पता चलेगा.
काम के लिए सीधा संपर्क, तय समय में नतीजे
नई व्यवस्था के तहत विधायक अब किसी भी कार्य के लिए सीधे अपने संबंधित मंत्री से संपर्क कर सकते हैं. मंत्री की जिम्मेदारी होगी कि वह संबंधित विभाग से काम को नियत समय में पूरा करवाएं. मंत्री का कार्यालय उस काम की प्रगति रिपोर्ट भी तैयार कर विधायक को देगा और यदि कोई फाइल प्रक्रिया में अटकी हो, तो उसे भी क्लियर करवाना उनकी जिम्मेदारी होगी. सरकार का दावा है कि इस नई रणनीति से विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ेगी और फील्ड से लेकर फाइल तक जवाबदेही तय होगी. विधायकों को जहां काम की स्थिति पर स्पष्ट जानकारी मिलेगी, वहीं आम जनता को भी इसका सीधा लाभ मिल सकेगा.
