प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी घाना और त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पूरी करने के बाद रविवार (स्थानीय समय अनुसार शनिवार शाम) को ब्राजील पहुंच गए हैं। वे यहां रियो डी जेनेरियो में होने वाले 2025 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस साल का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन कुछ खास है क्योंकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन इसमें शामिल नहीं होंगे। फिर भी, इस सालाना बैठक का एजेंडा काफी भरा हुआ है.
ब्राजील, प्रधानमंत्री मोदी की पांच देशों की यात्रा का चौथा पड़ाव है, जो 2 जुलाई को शुरू हुई थी। वे सबसे पहले घाना गए, फिर त्रिनिदाद और टोबैगो। इसके बाद वे अर्जेंटीना पहुंचे, जो पिछले पांच दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। अब ब्राजील से वे नामीबिया जाएंगे, जहां उनका यह लंबा राजनयिक दौरा खत्म होगा।
ब्राजील में पीएम मोदी, भारत का ब्रिक्स एजेंडा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे पहली प्राथमिकता यह है कि ब्रिक्स देशों का समूह आतंकवाद की कड़ी निंदा करे। उम्मीद है कि रियो डी जेनेरियो में जारी होने वाले ब्रिक्स घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की जाएगी। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे।
भारत ने इस हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसमें पीओजेके (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था.
इसके अलावा, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कई और अहम मुद्दों पर बात होगी:
जलवायु वित्त: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पैसों का इंतजाम।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर सहयोग: AI के क्षेत्र में मिलकर काम करना।
नई स्वास्थ्य पहल: असमानता कम करने के मकसद से स्वास्थ्य क्षेत्र में नई योजनाएं।
राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार: भारत इस बात पर ज़ोर दे रहा है कि देश आपस में अपनी ही करेंसी (पैसे) में व्यापार करें, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो।
ट्रंप के टैरिफ पर ब्रिक्स देशों की राय
रविवार को रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स नेताओं की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए “अंधाधुंध” व्यापार शुल्कों (टैरिफ) की भी निंदा किए जाने की उम्मीद है। इन शुल्कों को अवैध बताया जाएगा और कहा जाएगा कि ये वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एएफपी (AFP) द्वारा मिले शिखर सम्मेलन के मसौदा बयान के अनुसार, ये उभरते हुए देश, जो दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और वैश्विक आर्थिक उत्पादन में 40 प्रतिशत का योगदान देते हैं, अमेरिकी आयात शुल्कों को लेकर “गंभीर चिंताएं” जताने के लिए एकजुट हो गए हैं।
मसौदा घोषणा में सीधे तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका या उसके राष्ट्रपति का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन रविवार और सोमवार को होने वाली बातचीत में नेता इसमें बदलाव कर सकते हैं।
मसौदा में कहा गया है, ‘हम एकतरफा टैरिफ और ऐसे गैर-टैरिफ उपायों के बढ़ने पर गंभीर चिंता जताते हैं जो व्यापार को खराब करते हैं और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के खिलाफ हैं।’ मसौदा में चेतावनी दी गई है कि ऐसे कदम ‘वैश्विक व्यापार को और कम करने की धमकी देते हैं’ और ‘वैश्विक आर्थिक विकास की संभावनाओं को प्रभावित कर रहे हैं।’
