अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर जल्द खत्म हो सकता है। दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर समझौता होने की उम्मीद बढ़ गई है। दरअसल, शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका की चीन के साथ “अच्छी बातचीत चल रही है।” “यह वास्तव में बहुत अच्छा है,” उन्होंने इस मामले पर कोई विस्तृत ब्योरा तो नहीं दिया लेकिन आश्वासन जरूर दिया कि दोनों देश टैरिफ डील के करीब है। उन्होंने पहले भी कहा था कि बीजिंग से चीनी प्रतिनिधियों ने “कई बार” अमेरिका से संपर्क किया है। अगर अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ डील जल्द होता है तो यह शेयर मार्केट के लिए अच्छी खबर होगी। वहीं, सोने में मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है। सोने में बड़ी गिरावट आ सकती है। आइए जानते हैं कि कितना सस्ता हो सकता है सोना।
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ट्रेड डील का क्या होगा असर?
अगर अमेरिका और चीन समेत अन्य देशों से ट्रेड डील (व्यापार समझौता) हो जाती है, तो वैश्विक तनाव घटेगा। इससे शेयर मार्केट में उत्साह लौटेगा और सेफ haven assets (जैसे सोना) की डिमांड घटेगी। नतीजतन, सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
अमेरिका-चीन में सुलह से कितना सस्ता होगा सोना?
सर्राफा बाजार के जानकारों का मनना है कि अगर अमेरिका और चीन में जारी ट्रेड वॉर खत्म हो जाता है तो सोने में मुनाफावसूली आ सकती है। सोना 83,700 रुपये तक आ सकता है। एक्सपार्ट का मनना है कि अमेरिका-चीन और अन्य देशों के बीच सकारात्मक व्यापार वार्ता सोने की तेजी पर ब्रेक लगाएगा। हालांकि, सोने को 89700 ($3080), 86500 ($2975), 83700 ($2865) के स्तर पर मजबूत समर्थन है। यानी बड़ी गिरावट में भी सोना 83700 रुपये तक आ सकता है।
सोना और भी आकर्षक निवेश माध्यम बना
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी के हेड अनुज गुप्ता ने इंडिया टीवी को बताया कि आसमान छूती महंगाई, आर्थिक जोखिम और भू-राजनीतिक जोखिम के कारण निवेशकों के बीच सोना अब और अधिक आकर्षक एसेट क्लास बन गया है। ट्रेड वॉर के कारण निवेशकों में डर बढ़ गया है, जो सुरक्षित निवेश के तौर पर सोना को चुन रहे हैं। अमेरिका में महंगाई बढ़ने की आशंका और डॉलर में कमजोरी से सोने के अपट्रेंड को मदद मिल रही है। इसके अलावा, हम अनुमान लगाते हैं कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग और सोने से समर्थित ईटीएफ से प्रवाह पूरे साल बना रहेगा। बाजार यह भी अनुमान लगा रहा है कि बढ़ती अस्थिरता फेडरल रिजर्व को मंदी को रोकने के लिए दरों में कटौती करने के लिए प्रेरित कर सकती है। सोने को कम दरें आम तौर पर लाभ देती हैं।
