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February 23, 2025 2:23 am

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Tesla: अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी टेस्ला अब चीन के बजाय जर्मनी की फैक्ट्री से कारें इम्पोर्ट कर सकती हैं. कंपनी का प्लान भारत में एंट्री करने की भी है. भारत में शुरुआत में आयात कराई गईं कारों की बिक्री होगी और बाद में इनका मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाया जाएगा. इसके लिए कई राज्यों के सरकार से संपर्क किया गया है, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना का नाम सबसे आगे है.

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इस पॉलिसी का फायदा उठाना चाहती है टेस्ला
सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार की नई EV पॉलिसी का फायदा उठाने के लिए टेस्ला भी आगे आ सकती है. इस पॉलिसी में कुछ नियम, शर्तें और रियायतें उन कंपनियों के लिए हैं, जो भारत आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाना चाहती हैं. इस पॉलिसी के तहत कंपनी को सालाना 8,000 कारें इम्पोर्ट करने की परमिशन बहुत ही रियायती दर 15 परसेंट (मौजूदा समय में 110 परसेंट के मुकाबले) की कस्टम ड्यूटी के साथ दी जाएगी और ऐसा तभी होगा जब कंपनियां लोकल लेवल पर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने के लिए  4,150 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवेश करेगी.
जल्द ही कंपनी से शुरू हो सकती है बातचीत
एक सूत्र के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया, टेस्ला के इंवेस्टमेंट को लेकर कई बड़े राज्यों में उत्साह और घबराहट दोनों का माहौल है. जल्द से जल्द कंपनी मैनेजमेंट से संपर्क कर बातचीत शुरू करने का प्लान है. हो सकता है कि इस दौरान कुछ स्पेशल बेनिफिट भी दी जाए. तमिलनाड़ु और महाराष्ट्र दोनों पहले से ही ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब हैं और गुजरात भी एक ऐसा राज्य है, जहां पिछले एक दशक में कई कंपनियों ने निवेश किया है. तीनों ही राज्यों से बंदरगाहों का एक्सेस आसान है, जो टेस्ला के लिए भी एक अहम बात है क्योंकि कंपनी को कारें एक्सपोर्ट भी करनी हैं.
यह है कंपनी का प्लान
सरकार को दी गई अपनी शुरुआती योजना में कंपनी ने कहा था कि उनका प्लान 5 लाख कैपेसिटी वाले प्लांट को लगाना है, जिस पर उनका इंवेस्टमेंट 2-3 अरब डॉलर के बीच में होगा. टेस्ला भारत के लिए एक बिल्कुल नई बजट कार बनाना चाहती है, जिसकी कीमत 20-25 लाख रुपये होने की संभावना है.
चीन से कारें न आयात कराने के अमेरिका के फैसले पर एक सूत्र ने कहा, टेस्ला भारत-चीन कूटनीतिक मुद्दों को देखते हुए तालमेल बिठाना चाहती है. टेस्ला मॉडल वाई का प्रोडक्शन करने वाली बर्लिन में स्थित जर्मन फैक्ट्री में अब दाएं हाथ से चलने वाली कारों की मैन्युफैक्चरिंग की जाएंगी, जो भारत में भेजी जाएगीी.
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