auruhana2.kz
autokolesa.kz
costacoffee.kz
icme2017.org
kenfloodlaw.com
Vavada
Chicken Road
카지노 사이트 추천
betify

Explore

Search

August 25, 2025 3:23 pm

15 फरवरी से बदलेंगे UPI चार्जबैक के नियम…….’NPCI का नया निर्देश…..

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

NPCI UPI Rules: भारत में डिजिटल पेमेंट को सिक्योर और बेहतर बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI ट्रांजैक्शन से जुड़े चार्जबैक की ऑटो-एक्सेप्टेंस और अनएक्सेप्टेंस पर नई गाइडलाइन जारी की है। यह नया नियम Transaction Credit Confirmation (TCC) और रिटर्न्स (RET) के आधार पर लागू होगा। NPCI की यह नई गाइडलाइन 15 फरवरी 2025 से यूआरसीएस (Unified Real-time Clearing and Settlement) सिस्टम में लागू की जाएगी। आइए इसके बारे में जानते हैं।

घी को गलत तरीके से खा रहे हैं लोग……..’दोगुनी रफ्तार से बढ़ेगा कोलेस्ट्रॉल, कभी भी आ सकता है हार्ट अटैक…..

क्या होता है चार्जबैक?

चार्जबैक वह प्रोसेस है, जिसमें किसी UPI ट्रांजैक्शन को विवादित मानकर बैंक रिफंड रिक्वेस्ट करता है। आमतौर पर भेजने वाले बैंक (remitting bank) द्वारा इसे शुरू किया जाता है, इससे पहले कि रिसीविंग बैंक (beneficiary bank) उस ट्रांजेक्शन की स्थिति पर कोई कार्रवाई कर सके। अभी काम कर रहे सिस्टम की बात करें तो इसके तहत भेजने वाले बैंक ट्रांजैक्शन के उसी दिन (T+0) चार्जबैक रिक्वेस्ट कर सकते हैं। लेकिन इससे रिसीविंग बैंक को ट्रांजैक्शन का सॉल्यूशन करने का समय नहीं मिलता है, जिससे कई बार अनावश्यक चार्जबैक विवाद जनरेट हो जाते हैं।

समस्या कहां आती है?

जब भेजने वाले बैंक उसी दिन चार्जबैक उठाते हैं, तो रिसीविंग बैंक को रिटर्न प्रोसेस करने के लिए समय नहीं मिलता। ऐसे में कई मामलों में, रिसीविंग बैंक ने पहले ही धनराशि लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी होती है, लेकिन इस बीच चार्जबैक भी उठ जाता है। अगर बैंक चार्जबैक रिक्वेस्ट की स्थिति नहीं देखता, तो चार्जबैक को ऑटोमेटिकली स्वीकार कर लिया जाता है, जिससे अनावश्यक विवाद और RBI पेनल्टी की संभावना बढ़ जाती है।

NPCI ने निकाला समस्या का समाधान?

इन परेशानियों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए NPCI ने चार्जबैक के ऑटो-एक्सेप्टेंस और अनएक्सेप्टेंस का नया प्रोसेस लागू किया है। अगर रिसीवर बैंक ने TCC/RET के आधार पर पहले से रिटर्न प्रोसेस कर दिया है, तो चार्जबैक खुद ही रिजेक्ट हो जाएगा।

यदि चार्जबैक उठाने के बाद अगले सेटलमेंट साइकल में लाभार्थी बैंक (beneficiary bank) द्वारा TCC/RET दर्ज किया जाता है, तो उसे ऑटो-एक्सेप्ट किया जाएगा। यह नया सिस्टम बल्क अपलोड विकल्प (bulk upload option) और UDIR not in front-end option पर लागू होगा।

NPCI की नई रिपोर्ट में पता चला है कि UPI ने जनवरी 2025 में 16.99 अरब लेनदेन के साथ 23.48 लाख करोड़ रुपये का नया रिकॉर्ड बनाया। यह भारत में डिजिटल भुगतान की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।

क्या होगा फायदा?

नए नियमों के तहत चार्जबैक स्वीकार करने या अस्वीकार करने का अधिकार लाभार्थी बैंक के पास होगा। इससे विवादों में कमी, ऑटो चार्जबैक प्रोसेस में सुधार, और मैनुअल इंटरफेरेंस की जरूरत कम होगी। यह लाभार्थी बैंकों को विवादों को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद करेगा।

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
ligue-bretagne-triathlon.com
pin-ups.ca
pinups.cl
tributementorship.com
urbanofficearchitecture.com
daman game login