सैलरीड क्लास को हर साल यूनियन बजट से काफी उम्मीदें होती हैं। यूनियन बजट 2024 में सरकार ने नौकरी करने वाले लोगों को बड़ा तोहफा दिया था। स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने का ऐलान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में किया था। लेकिन, यह सिर्फ इनकम टैक्स की नई रीजीम के लिए किया गया था। इसका मतलब है कि जो टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करते हैं, सिर्फ उनके लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया गया था। सरकार ने इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं बढ़ाया था।
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अभी नई और पुरानी रीजीम में अलग-अलग स्टैंडर्ड डिडक्शन
अभी इनकम टैक्स की नई रीजीम के लिए 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) है। यूनियन बजट 2024 में सरकार ने इसे 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था। लेकिन, इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन अब भी 50,000 रुपये है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़नी चाहिए। दरअसल, सरकार की दिलचस्पी इनकम टैक्स की नई रीजीम में है। सरकार ज्यादा से ज्यादा टैक्सपेयर्स को नई रीजीम के तहत लाना चाहती है। इसीलिए उसने यूनियन बजट 2024 में सिर्फ नई टैक्स रीजीम के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया था।
सैलरीड क्लास को राहत देने के लिए बढ़ सकता है स्टैंडर्ड डिडक्शन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार 1 फरवरी, 2025 को पेश होने वाले बजट में सैलरीड क्लास को राहत देने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा सकती है। पुरानी रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जा सकता है। नई रीजीम में इसे 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जा सकता है। सैलरीड क्लास को बढ़ती महंगाई से काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ने से उन्हें काफी राहत मिलेगी।
सिर्फ नौकरी करने वाले लोगों को मिलता है स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ
यह ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा सिर्फ नौकरी करने वाले लोगों को मिलता है। सेल्फ एंप्लॉयड, बिजनेसमैन और दूसरे प्रोफेशनल्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। एंप्लॉयी को सैलरी से हुई कुल सालाना इनकम में से स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा दिया जाता है। फिर, उस पर टैक्स का कैलकुलेशन होता है। सरकार ने 2005 में स्टैंडर्ड डिडक्शन का सिस्टम खत्म कर दिया था। फिर, 2018 में इसे दोबारा शुरू किया गया। तब स्टैंडर्ड डिडक्शन 40,000 रुपये था। 2029 में इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया।