केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुलासा किया है कि वो विदेशों में जाते हैं तो अपना चेहरा छुपाने की कोशिश करते हैं। नितिन गडकरी ने भारत में बढ़ते रोड एक्सीडेंट के संदर्भ में ये बात कही। नितिन गडकरी ने लोकसभा में स्वीकार किया कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी से बजाय बढ़ोतरी हुई है।
नितिन गडकरी गुरुवार को लोकसभा में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों के आंकड़ों और सड़क सुरक्षा के संबंध में सवालों का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा- ‘जब मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने जाता हूं, जहां सड़क दुर्घटनाओं पर चर्चा होती है, तो मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।’
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प्रश्नकाल के दौरान जवाब दे रहे थे नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि जब उन्होंने पहली बार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, तब उन्होंने दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा था। गुरुवार को लोकसभा में सड़क दुर्घटनाओं पर चर्चा के दौरान गडकरी ने कहा, ‘दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने की बात तो भूल ही जाइए, मुझे ये स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि इसमें वृद्धि हुई है। जब मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने जाता हूं, जहां सड़क दुर्घटनाओं पर चर्चा होती है, तो मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।’ वो प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
मानवीय व्यवहार में बदलाव लाना होगा- गडकरी
गडकरी ने कहा कि भारत में चीजों को बेहतर बनाने के लिए मानवीय व्यवहार में बदलाव लाना होगा, समाज में बदलाव लाना होगा और कानून के शासन का सम्मान करना होगा। गडकरी ने कहा कि कुछ साल पहले उनका और उनके परिवार का एक बड़ा एक्सीडेंट हुआ था और उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। उन्होंने कहा कि ‘भगवान की कृपा से मैं और मेरा परिवार बच गए। इसलिए मुझे दुर्घटनाओं का व्यक्तिगत अनुभव है।’
‘हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.78 लाख लोगों की मौत’
उन्होंने कहा कि सड़क पर ट्रकों को पार्क करना दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है और कई ट्रक लेन अनुशासन का पालन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत में बस बॉडी बनाने में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि बस की खिड़की के पास एक हथौड़ा होना चाहिए ताकि दुर्घटना होने पर उसे आसानी से तोड़ा जा सके। इससे पहले गडकरी ने कहा कि देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 1.78 लाख लोगों की जान जाती है और 60 प्रतिशत पीड़ित 18-34 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जबकि शहरों में दिल्ली सबसे ऊपर है।