महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे पोर्श कांड में एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं. अब इस मामले में ब्लड सैंपल के हेर-फेर का पहलू सामने आया है. पुलिस ने फॉरेंसिंक डिपार्टमेंट के HOD सहित 2 डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया है. इन पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल गायब करने का आरोप लगा है. बता दें कि ब्लड सैंपल के जरिए आरोपी के शराब पीने के बारे में जांच होनी थी लेकिन सैंपल गायब किए जाने के बाद यह पुष्टि नहीं हो पाई कि आरोपी ने कार ड्राइव करते वक्त शराब पी रखी थी.
ब्लड सैंपल लेने के बाद जांच रिपोर्ट में शराब की पुष्टि नहीं हुई थी. इससे संदेह पैदा हो गया था. इसके बाद दोबारा ब्लड रिपोर्ट आने पर शराब की पुष्टि हुई. इससे पता चला था कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी को बचाने के लिए ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ की थी.
पूछताछ के बाद आरोपी डॉक्टर गिरफ्तार
पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि आरोपी के ब्लड का सैंपल लेने वाले डॉ. हैलनोर को कल रात गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि उन्होंने फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष डॉ. अजय तवारे के निर्देश पर ब्लड का सैंपल बदल दिया था. ब्लड सैंपल बदलने के लिए डॉ. हैलनोर को 3 लाख रुपये मिले.
उन्होंने आगे कहा कि ससून अस्पताल (Sassoon Hospital) का सीसीटीवी डीवीआर लिया जा चुका है. इस मामले में भारतीय दंड की धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना), 120 बी (आपराधिक साजिश) और अन्य संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं.
पुणे पुलिस कमिश्नर ने बताया कि बदला गया ब्लड सैंपल किसका था, हम इसको पता लगाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. जिस ब्लड सैंपल को बदला गया, उसमें अल्कोहल नहीं था. दूसरी रिपोर्ट में भी अल्कोहल नहीं मिला है, लेकिन यह गौर करना जरूरी है कि हमारा मामला 304 यानी गैर इरादतन हत्या का है. आरोपी को पूरी जानकारी थी कि उसकी हरकत से लोगों की जान को खतरा हो सकता है, इसलिए ब्लड सैंपल में अल्कोहल का कोई अंश नहीं होने से हमारे मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कैसे खुला फर्जी ब्लड सैंपल का राज?
पुलिस का कहना है कि आरोपी के ब्लड सैंपल को डस्टबिन में फेंक दिया गया था, उसकी जगह दूसरे व्यक्ति का ब्लड सैंपल उपयोग में लाया गया. पुणे पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पहली जांच की रिपोर्ट आई और उसमें आरोपी के ब्लड सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया गया. यहीं से संदेह पैदा हुआ और फिर हमें खुफिया जानकारी भी मिली कि ब्लड सैंपल कलेक्शन में कुछ हेरफेर हुआ है, इसलिए हमने शाम को अस्पताल में दूसरी ब्लड सैंपल की जांच करवाई गई.
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद ब्लड डीएनए पता लगाने के लिए कहा गया, जिसमें सामने आया कि पहली और दूसरी ब्लड सैंपल रिपोर्ट का डीएनए मेल नहीं खा रहा है. यह दो अलग-अलग व्यक्तियों का था, इसलिए हमने डॉ. हैलनोर को गिरफ्तार कर लिया.
क्या है पूरा मामला?
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी.कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था.
बता दें कि आरोपी को शुरू में किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी थी, जिसने उसे सड़क दुर्घटनाओं पर एक निबंध लिखने के लिए भी कहा था, लेकिन पुलिस द्वारा नरम व्यवहार और समीक्षा आवेदन पर नाराजगी के बाद, उसे 5 जून तक सुधार गृह में भेज दिया गया था.