जेनेवा – तेहरान के एक सामूहिक गुलिस्तान (कब्रिस्तान) में मृत बहाइयों की 30 से भी अधिक कब्रों को इस हफ़्ते ईरानी अधिकारियों ने जमींदोज कर दिया और समाधियों पर लगे शिलाचिह्नों को हटाते हुए उन पर बुलडोजर चला कर समतल कर दिया गया। यह कारगुजारी इस तरह से की गई कि ऐसा लगे कि वहां मृतकों की समाधियां कभी थीं ही नहीं।
ईरान की सरकार पिछले दो वर्षों से इस स्थान का प्रयोग बहाइयों को जबरन दफ़नाने के लिए करती आ रही थी और उस दौरान परिवार के लोगों को न वहां रहने की इजाजत दी गई और न ही बहाई अंत्येष्टि के विधि-विधानों का ही पालन किया गया। बहाई कब्रिस्तानों की पवित्रता भंग करने का यह काम ईरान की सरकार द्वारा बहाई धर्मावलंबियों पर जुल्म ढाने के पिछले 45 सालों से चले आ रहे सुनियोजित अभियान का पुराना हथकंडा है और पिछले कई वर्षों से बहाई गुलिस्तानों (कब्रिस्तानों) में भी अत्याचार का यह दौर जारी है।
लेकिन इन बिल्कुल नई कब्रों को तोड़ डालने की यह कार्रवाई ईरान के बहाई समुदाय पर किए जा रहे अभूतपूर्व और अमानवीय आक्रमण का एक नृशंस उदाहरण है।
इन बहाई मृतकों के अवशेषों को अभी हाल ही के महीनों में दफ़नाया गया था, जबकि बहाई गुलिस्तानों को नष्ट करने के पिछले प्रयासों के दौरान दशकों पुराने श्मशानों को निशाना बनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र, जेनेवा, में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय (बीआईसी) की प्रतिनिधि सिमिन फ़हांदेज ने कहा: “नौरूज़ के उत्सव के दिन निकट आ रहे हैं और जिन परिवारों ने अभी हाल ही में अपने प्रियजनों को खो दिया है वे अभी भी उनके निधन से शोक-संतप्त हैं। इसके बावजूद ईरान के अधिकारियों ने उन पर आतंक का यह नया दौर शुरू कर दिया है जो उनकी घोर अमानवीयता दर्शाता है।” फ़हांदेज ने आगे कहा कि “अब वे ऐसे लोगों की कब्रों को भी ढहा रहे हैं जिनकी मृत्यु पिछले ही कुछ महीनों में हुई है, बल्कि कुछ ही सप्ताह पहले – ऐसे लोगों की कब्रें जिनकी यादें उनके प्रियजनों के दिलो-दिमाग में अभी भी ताजा हैं। दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई भी धार्मिक या सांस्कृतिक नियम-कायदा इस प्रकार की निर्दयतापूर्ण कार्रवाई का समर्थन नहीं करता। कब्रों और बहाई गुलिस्तानों को तहस-नहस करके सांस्कृतिक रूप से उनका सफाया किया जा रहा है ताकि ईरान के लोगों के जेहन से बहाइयों की पहचान सदा-सदा के लिए मिटाई जा सके।”
1979 की इस्लामी क्रांति से पहले, तेहरान के बहाई समुदाय के पास ख़बरान में 80,000 वर्गमीटर का एक गुलिस्तान हुआ करता था, और कबीराबाद में एक गुलिस्तान 15 लाख वर्गमीटर का था। नए इस्लामी गणराज्य द्वारा 1980 के दशकों में ये दोनों ही सम्पत्तियां ज़ब्त कर ली गईं और ख़बरान में कम से कम 15,000 कब्रों को ध्वस्त कर दिया गया।
उसके बाद, 1980 के दशकों में सरकार द्वारा मृत्युदंड दिए गए हजारों राजनैतिक कैदियों के एक सामूहिक कबिस्तान के पास एक बहुत ही छोटी, मात्र 17,000 वर्गमीटर की एक भूमि, बहाई समुदाय को दी गईजिसे गुलिस्तान जाविद के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब बहाई लोगों को भी उस स्थान तक बहुत ही सीमित पहुंच प्राप्त है। 2021 में खुफ़िया मंत्रालय के एजेन्टों ने इस गुलिस्तान पर कब्जा कर लिया और अब बहाई लोगों के लिए खुद अपनी ही श्मशान-भूमि का उपयोग करना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है।
2022 में इन एजेन्टों ने मृत बहाइयों को जबर्दस्ती एक बहुत ही छोटे-से प्लॉट में दफनाना शुरू कर दिया जो एक सामूहिक कब्रिस्तान का हिस्सा था। उनके प्रियजनों के मृत अवशेषों का उपयोग करके उस सामूहिककब्रिस्तान के इतिहास को, जिसमें ईरान के अन्य कई लोगों के प्रियजनदफन थे, सदा के लिए मिटा डालने के इस प्रयास से ईरान के बहुत सारे बहाई स्तब्ध रह गए।
इस्लामी क्रांति के बाद से लगातार, पूरे ईरान में बहाइयों को अपने अंत्येष्टि एवं शवाधान सम्बंधी अधिकारों का बार-बार उल्लंघन झेलना पड़ा है जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों में बहाई समुदाय की “प्रगति और विकास” को “रोक देने” के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है। पिछले कई दशकों में, शीराज़, सनंदाई, तथा अन्य अनेक स्थानों पर भी बहाई गुलिस्तानों की पवित्रता भंग करने की खबरें आती रही हैं।
सुश्री फ़हांदेज ने बताया कि “ईरान की संस्कृति में श्मशान एवं अंत्येष्टि-स्थल पवित्र माने जाते हैं क्योंकि वे मृतक और उनके परिवारों के प्रति न केवल सम्मान दर्शाते हैं बल्कि उनकी पहचान और संस्कृति के भी परिचायक हैं। घोर निर्दयता की इस अभूतपूर्व कार्रवाई के माध्यम से ईरान की सरकार ने शोक-संतप्त परिजनों और मृतकों के प्रति भी अपनी घोर निर्ममता का परिचय दिया है और उनकी पवित्रता भंग की है।” सुश्री फ़हांदेज ने यह भी कहा कि “ईरान के सभी लोग अनेक आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं जिनका असर बहाइयों पर भी पड़ता है जो अपने प्रियजनों को दफ़न भी नहीं कर सकते ताकि वे शांति की नींद सो सकें। हाल के महीनों में उन्हें लगातार नए प्रकार के गहन एवं निर्मम उत्पीड़नों का शिकार बनाया गया है। अब दर्जनों बहाई परिवारों को अपने दिलों में इस नई पीड़ा को भी झेलना होगा कि उनके प्रियजनों की समाधियों को उन्हीं अधिकारियों द्वारा अनादरपूर्वक ध्वस्त कर दिया गया है जिन्हें नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें अपमानित किया जाना चाहिए। ईरान की सरकार को बहाइयों के सांस्कृतिक सफाया के इस दमन-चक्र को तुरन्त रोक देना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा कृत्य है जो दुनिया की नजरों में उसके नाम और उसकी विश्वसनीयता को धूमिल कर रहा है।”