जयपुर। वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री रही है। अभी वर्तमान में राजस्थान की मुख्यमंत्री है और राज्य की 24वी मुख्यमंत्री है। इन्होंने अपना कार्यकाल 13 दिसम्बर 2013 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण में लिया था। 21 साल में वसुंधरा राजे को मां बनने का सौभाग्य हासिल हुआ, मगर पति से अलगाव का गम भी झेलना पड़ा। मगर वसुंधरा ने हार नहीं मानी,आज उनके हाथ राजस्थान की कमान है।
राजनीति और समाज सेवा के माध्यम से आमजन के हितों के लिए समर्पित एवं प्रतिबद्घ वसुन्धरा राजे का जन्म 8 मार्च, 1953 को मुम्बई में हुआ। तत्कालीन ग्वालियर रियासत की राजमाता विजया राजे सिन्धिया तथा महाराजा जीवाजीराव की पांच सन्तानों में से आप चौथी हैं। वो मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं। उनका विवाह धौलपुर के एक जाट राजघराने में हुआ।
करीब 20 साल की उम्र में 1972-73 में उनकी शादी धौलपुर राजघराने के हेमंत सिंह से हुई। शादी के बाद जब बेटे दुष्यंत का जन्म हुआ तो आपसी खटपट शुरू होने पर मियां-बीवी अलग हो गए। तभी से राजे का
राजस्थान से संबंध स्थापित हुआ जो समय के साथ और व्यापक एवं प्रगाढ़ होता जा रहा है। राजे को अपनी माता विजया राजे सिन्धिया से समाज सेवा तथा राजनीतिक चेतना के संस्कार मिले। 1978 में धौलपुर घराने की संपत्ति को लेकर महाराजा हेमंत सिंह पर मामला दर्ज कराया। इसके बाद 29 साल तक मुकदमा चला। इस बीच वसुंधरा के पूर्व पति हेमंत सिंह के रिश्तेदार भरतपुर के महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने पिता-पुत्र के बीच समझौता कराया। समझौते के बाद दुष्यंत को धौलपुर का महल, शिमला का घर, धौलपुर घराने के जवाहरात व एक दर्जन विंटेज कारें मिलीं।
वसुन्धरा राजे के सार्वजनिक जीवन का आरम्भ 1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में हुआ। 1985 में ससुराल की धौलपुर सीट से विधानसभा चुनाव लडीं तो पहली बार विधायक बनीं। 1985-87 तथा 1987-89 तक राजे प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष रहीं। 1987 से 1989 तक भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष रहने के बाद 1989 में पहली बार झालावाड़ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई। तब से लगातार पांच बार 1991, 1996, 1998, 1999 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित होती रहीं। राजे ने संसदीय दल की संयुक्त सचिव का पदभार संभाला। वसुन्धरा राजे 1989 से सितम्बर, 2002 तक भाजपा की राष्ट्रीय एवं प्रदेश कार्य समिति की सदस्य रहीं।
वसुन्धरा राजे की कार्य कुशलता एवं दक्षता के परिणाम स्वरूप 1998-99 में केन्द्र सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमण्डल में उन्हें राज्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया, जिसका उन्होंने कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। 13 अक्टूबर 1999 को राजे को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फिर राज्य मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया।
12 सितम्बर 2002 से 7 दिसम्बर 2003 तक वसुन्धरा राजे राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष रहीं। 2003 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने को हुए तो भैरो सिंह शेखावत जहां उप राष्ट्रपति बन चुके थे तो जसवंत सिंह केंद्रीय मंत्री रहे। ऐसे में भाजपा ने वसुंधरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनकी अगुवाई में राजस्थान में चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव परिणाम आया तो भाजपा ने 110 सीटें जीतकर पहली बार अपने दम पर राजस्थान में सरकार बनाई। इसी के साथ वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
8 दिसम्बर 2003 से 10 दिसम्बर 2008 तक वसुन्धरा राजे को राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने का गौरव मिला। 13वीं राजस्थान विधानसभा के लिए राजे झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुर्इं और 2 जनवरी 2009 से 25 फरवरी 2010 तक राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं। इसके बाद 8 फरवरी 2013 को राजे ने एक बार फिर से राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार संभाला और सुराज संकल्प यात्रा के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 14 हजार किलोमीटर की यात्रा कर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उनकी कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। 14वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुई। राजे को वर्ष 2007 में यूएनओ द्वारा महिलाओं के