वर्जिन अटलांटिक एयरलाइंस की फ्लाइट VS301 में मिड-एयर तकनीकी गड़बड़ी आ गई, जिसके चलते इस्तांबुल में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी. ये फ्लाइट दिल्ली से लंदन जा रही थी. फ्लाइट में लगभग 250 से ज्यादा यात्री सवार थे. पायलट की सतर्कता और तेज फैसले की वजह से एक बड़ी दुर्घटना टल गई.
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फ्लाइट में मौजूद निदा सैफी नाम की एक यात्री ने बताया कि मिड एयर उन्हें पता चला कि फ्लाइट में तकनीकी दिक्कत है और हमें इमरजेंसी लैंडिंग करनी होगी. क्रू कुछ घबराया हुआ था, लेकिन पायलट ने हालात को संभाल लिया. कुछ यात्रियों का दावा था कि विमान के इंजन से जुड़ी समस्या थी, लेकिन इसकी पुष्टि एयरलाइन की ओर से नहीं की गई.
इमरजेंसी लैंडिंग के बाद 7 घंटे की मशक्कत
इस्तांबुल में सुरक्षित लैंडिंग के बाद यात्री राहत की सांस तो ले पाए, लेकिन उसके बाद का इंतजार और भी परेशान करने वाला था. डैन मल्होत्रा नाम के एक यात्री ने ट्वीट किया, ‘करीब 250 यात्री यहां घंटों से फंसे हैं. न कोई पूछने वाला, न खाना-पानी का इंतजाम.’ वहीं केके चौधरी ने लिखा, ‘यह शर्मनाक है कि इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद एयरलाइन का कोई स्टाफ मौजूद नहीं. हम अपनी मदद खुद कर रहे हैं.’
एयरलाइन का आधिकारिक बयान सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद आया. वर्जिन अटलांटिक ने यात्रियों को एक औपचारिक पत्र जारी कर सफाई दी. कंपनी ने कहा, ‘फ्लाइट को एक मामूली तकनीकी समस्या के कारण इस्तांबुल डायवर्ट किया गया. लंदन से एक वैकल्पिक विमान भेजा गया है जो रात 10:55 बजे इस्तांबुल से उड़ान भरेगा और 00:15 बजे लंदन पहुंचेगा. यात्रियों के लिए टर्मिनल में रिफ्रेशमेंट और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है.’
पत्र पर एला स्कॉट, कस्टमर केयर ड्यूटी मैनेजर के हस्ताक्षर हैं. अब सवाल यह है कि क्या उड़ान के दौरान आई तकनीकी समस्या को मामूली कहकर टाला जा सकता है और क्या 250 यात्रियों को घंटों बेसहारा छोड़ देना किसी जिम्मेदार एयरलाइन की छवि को शोभा देता है? वर्जिन अटलांटिक की यह पहली आपात स्थिति नहीं है. बीते सालों में एयरलाइन की कई फ्लाइट्स में तकनीकी या ऑपरेशनल कारणों से रूट डायवर्जन या कैंसलेशन हो चुका है.
ये फ्लाइट्स हो चुकी हैं रद्द
अप्रैल 2025: लंदन-मुंबई फ्लाइट को तुर्की में इमरजेंसी लैंड करना पड़ा; यात्री 40 घंटे तक फंसे रहे.
जनवरी 2024: मैनचेस्टर से न्यूयॉर्क जा रही फ्लाइट टेकऑफ से ठीक पहले रोकी गई.
दिसंबर 2023: सेंट लूसिया में एयरबस A330 को तकनीकी कारणों से दो दिन तक खड़ा रखा गया.
इन घटनाओं में एक समानता रही. तकनीकी गड़बड़ियों के बाद यात्रियों को लंबे इंतजार और सीमित सुविधाओं का सामना करना पड़ा. सवाल बरकरार हैं. क्या बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं को संयोग कहा जा सकता है, क्या मामूली तकनीकी समस्या बताकर यात्रियों की जान जोखिम में डालना उचित है और सबसे अहम, क्या एयरलाइन इमरजेंसी के बाद यात्रियों के लिए पर्याप्त जमीनी इंतजाम कर पा रही है?
