Savira Prakash: पाकिस्तान में अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाली पहली अल्पसंख्यक हिंदू महिला सवीरा प्रकाश ने पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरों को महज एक प्रोपेगैंडा कहा है. आज तक को दिए इंटरव्यू में उनका कहना है कि पाकिस्तान में तो मस्जिदों पर भी बड़े हमले होते हैं. इंटरव्यू में सवीरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है और कहा है कि भारत पाकिस्तान से बहुत से मामले में बहुत आगे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान की हालत बेहद खराब है, खासकर शिक्षा के मामले में.
सवीरा प्रकाश ने आजतक से खास बातचीत में भारत-पाकिस्तान के रिश्तों, पाकिस्तान की बदहाली, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति, हिंदू मंदिरों पर हमले समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की है.
पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर क्या बोलीं सवीरा प्रकाश ?
पाकिस्तान से आए दिन अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आती रहती हैं. ऐसी खबरे भी आती हैं कि अल्पसंख्यकों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है जिससे पाकिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की संख्या कम होती जा रही है.
इस मुद्दे पर बोलते हुए सवीरा कहती हैं, ‘मेरी नजर में तो ऐसा कुछ नहीं हैं. जहां हम रहते हैं, वहं ऐसा नहीं होता है. हां, कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां ऐसा हो सकता है. अगर सरकार में अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व होगा तो मुझे लगता है कि इस तरह की घटनाएं कम होंगी.
‘हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरें महज एक प्रोपेगैंडा’
पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरें आती रही हैं जिसे लेकर सवीरा का कहना है कि ऐसी खबरें पाकिस्तान के खिलाफ महज एक प्रोपेगैंडा हैं. वो कहती हैं, ‘मुझे ऐसा लगता है कि यह एक प्रोपेगेंडा है. पाकिस्तान में मस्जिदों में भी हमला होता है. मगर हां सभी अगर पढ़े लिखे होंगे तो मुझे लगता है हालात बेहतर होंगे, धार्मिक सहिष्णुता बढ़ेगी.’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं की स्थिति पर सवीरा कहती हैं कि उनके जिले में महिलाओं को पढ़ाने की जरूरत है क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे महिलाएं सशक्त होंगी. पढ़ाई और स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर मैं चुनाव में उतर रही हूं.
वो आगे कहती हैं, ‘मैं जहां से आती हूं वहां पर धर्म के आधार पर तो महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होता लेकिन हां, हक के आधार पर होता है. अगर मैं सत्ता में आती हूं तो मुझे लगता है कि मैं यह बात जरूर रखूंगी कि स्कूल अधिक से अधिक खोले जाने चाहिए. बच्चियों को पढ़ना चाहिए क्योंकि सिर्फ पढ़ाई ही एक ऐसा साधन है जो सारे मसले हल कर सकता है.
पाकिस्तान के हालात पर बोलीं सवीरा
पाकिस्तान के हालात पर बोलते हुए सवीरा कहती हैं, ‘पाकिस्तान में इस समय हालात बेहद खराब है. भारत के मुकाबले पाकिस्तान में शिक्षा कम है. दोनों मुल्क एक साथ आजाद हुए थे लेकिन भारत हमसे आगे है कई मामलों में. इसकी एक वजह इसकी शिक्षा व्यवस्था है.’
सवीरा कहती हैं कि नामांकन के बाद से उन्हें हर धर्म के लोगों ने खुले दिल से स्वीकार किया है. वो कहती हैं कि उनके इस कदम से अल्पसंख्यकों में यह विश्वास पैदा होगा कि पाकिस्तान में उन्हें स्वीकार किया जा रहा है और उनका भी एक दर्जा है.
भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर सवीरा का स्टैंड
सवीरा से पूछा गया कि अगर वो जीत जाती हैं तो भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर उनका रुख कैसा रहेगा तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मुझे लगता है कि भारत-पाकिस्तान की सभ्यता एक जैसी रही है, हमारा कलर बहुत मिलता-जुलता है फिर मुझे नहीं पता कि इतना विभाजन क्यों है दोनों देशों के बीच. अगर हम बैठकर बातचीत करें तो हम सभी मुद्दों को सुलझा सकते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ
सवीरा प्रकाश से जब पीएम मोदी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री एक बहुत मजबूत नेता हैं और वो अपने लिए फैसलों पर डटकर खड़े रहते हैं.’
सवीरा का कहना है कि उन्हें महात्मा गांधी और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना दोनों ही नेता पसंद हैं. वो कहती हैं कि महात्मा गांधी ने शांति का पाठ पढ़ाया और वो उसी के सहारे आगे बढ़ना चाहती हैं क्योंकि शांति ही सभी को एक सूत्र में बांधे रख सकता है.
साथ ही सवीरा कहती हैं कि उन्हें गोवा बहुत पसंद है और वो एक बार गोवा जरूर आना चाहेंगी. वो भारत में आकर ताजमहल भी घूमना चाहती हैं.
एक मेडिकल स्टूडेंट राजनीति में क्यों आई?
सवीरा बताती हैं कि वो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनेर जिले से आनेवाली एक हिंदू हैं. उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की है और कुछ साल स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम भी किया. सवीरा के पिता ओम प्रकाश भी कुछ सालों से राजनीति में हैं.
अपने परिवार के बारे में बात करते हुए सवीरा कहती हैं, ‘मेरी मां रशियन क्रिश्चियन है तो हम क्रिसमस भी बनाते हैं. मेरे पिता हिंदू हैं तो हम होली, दिवाली भी मनाते हैं. हम ईद भी मनाते हैं. मेरे परिवार ने हमेशा से ही मुझे धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा दी है.’
सवीरा राजनीति में आने के सवाल पर कहती हैं, ‘मैंने एमबीबीएस पूरा करके कुछ अस्पताल में जाकर काम किया. मैंने वहां की जमीनी हकीकत देखी…जरूरी इक्विपमेंट नहीं थे जिस कारण लोगों का सही से इलाज नहीं हो पा रहा था. जब मैंने इसके लिए आवाज उठाई तो समझ आया कि जिसके पास पावर है, वही बदलाव कर सकता है, वही इन लोगों की मदद कर सकता है. तब मैंने सोचा कि मैं अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करूंगी…मैं पावर में आकर इन लोगों के लिए वो काम करूंगी जो मैं एक डॉक्टर रहकर नहीं कर पा रही हूं.’
सवीरा का कहना है कि खैबर पख्तूनख्वा एक बहुत पिछड़ा इलाका है जहां अस्पतालों की कमी है, अस्पतालों में इक्विपमेंट, डॉक्टरों की कमी है. मैं इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए चुनाव लड़ रही हूं.