भाषा अभिव्यक्ति का सहज माध्यम है। भाषा दो व्यक्तियों, समुदायों और देशों के बीच परस्पर संपर्क-संवाद का सुगम सेतु है। भाषा व्यक्ति की पहचान है तो राष्ट्र का गर्व, गौरव और अस्मिता भी। बिन भाषा के व्यक्ति मूक है और राष्ट्र गूंगा है। भाषा है तो व्यापार है, जीवन के तमाम व्यवहार हैं और आदर-सत्कार भी। भाषा संबंध जोड़ती और रिश्ते गढ़ती है। भाषा निर्झर निर्मल नीर है तो हृदय की वेदना, कसक, पीर भी। भाषा है तो जीवन है और जीवन के इंद्रधनुषी रंग भी। खुशी की बात है कि भारत भाषाओं के मामले में समृद्ध है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम अनेकानेक भाषाएं अपनी रचनात्मकता से मां भारती का अर्चन-स्तवन कर रही हैं। यहां किसी भाषा का किसी से बैर भाव नहीं, वह परस्पर सखी-सहेली हैं। हिंदी भले ही संपूर्ण भारत में न बोली जाती हो पर समझी अवश्य जाती है। हिंदी राष्ट्रभाषा भले ही न हो किंतु राजकाज की भाषा है। 10 राज्यों ने हिंदी को आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया है जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली आदि राज्य हैं। गुजरात, पश्चिम बंगाल और मिजोरम राज्यों में हिंदी द्वितीय राजाभाषा के रूप में समादृत है। वैश्वीकरण के दौर में हिंदी विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। एक शोध के अनुसार चीनी (मंडारिन) और अंग्रेजी के बाद हिंदी ही सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है। हिंदी के प्रचार-प्रसार में 150 से अधिक संस्थाएं देश-विदेश में सक्रिय एवं साधनारत हैं। इस श्रृंखला में विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे जागतिक आयोजन का स्मरण स्वाभाविक है जिसके करण 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाना आरम्भ हुआ है।
विश्व में हिंदी के प्रचार एवं प्रसार हेतु जन जागरूकता उत्पन्न करने तथा अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी को प्रस्तुत करने हेतु सर्वप्रथम 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। आयोजन में 30 देशों से 122 से अधिक हिंदी प्रेमी प्रतिनिधि सम्मिलित हो हिंदी के प्रचार प्रसार की नीति बना आगे बढ़े थे। विश्व हिंदी सम्मेलन का सचिवालय मॉरीशस में स्थापित किया गया है ताकि विश्व में कार्यरत हिंदी प्रचार संस्थाओं से बराबर संपर्क-संवाद और सूचनाओं का आदान-प्रदान बना रहे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की घोषणा से विश्व हिंदी दिवस पहली बार 2006 में मनाया गया। नार्वे स्थित भारतीय दूतावास ऐसा आयोजन करने वाला पहला दूतावास बना। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारत के विभिन्न कार्यालयों, संस्थाओं एवं विदेश स्थित दूतावासों में व्याख्यानमाला, प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन, क्विज एवं भाषण प्रतियोगिता आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आज 150 से अधिक देशों में भारतवंशी हैं जहां हिंदी बोली जा रही है। 50 से अधिक देशों के 150 से अधिक विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाई जा रही है। विश्व आर्थिक मंच की एक दशक पूर्व गणनानुसार हिंदी 10 सर्वाधिक शक्तिशाली भाषाओं में से एक भाषा है तथा एक अन्य हालिया महत्वपूर्ण सर्वे द्वारा हिंदी को पांचवीं शक्तिशाली भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।
हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस आयोजन के संदर्भ में पाठक भ्रमित हो सकते हैं। इस संदर्भ में निवेदन है कि 14 सितंबर, 1949 को अनुच्छेद 343 अंतर्गत हिंदी भाषा को संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि के साथ भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की स्मृति हेतु प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। सर्वप्रथम 14 सितंबर, 1953 को हिंदी दिवस मनाया गया। वहीं विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है जो एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है। इस आयोजन की एक थीम निश्चित की जाती है। 2024 की थीम है ‘हिंदी का पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’। हिंदी के बढ़ते प्रभाव का ही परिणाम है कि 2019 में आबू धाबी ने हिंदी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता दी है तथा ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने बहुत सारे हिंदी शब्दों को अपने नवीन संस्करण में स्थान दिया है जो हिंदी के बढ़ते प्रभाव का संकेत है। 1977 में विदेश मंत्री तथा 2002 में प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेई जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर सबको आश्चर्यचकित कर दिया था। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने विदेश प्रवास में विभिन्न संसदों, सरकारी कार्यक्रमों तथा भारतीय समुदाय को हिंदी में ही सम्बोधित करते हैं। उल्लेखनीय है कि विदेश में बसे भारतीय मूल के दो करोड़ भारतवंशी हिंदी माध्यम से कार्य संपादित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी, चीनी, स्पेनिश और अरबी को आधिकारिक दर्जा प्राप्त है, बावजूद इसके संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा प्रति सप्ताह महत्वपूर्ण सूचनाओं का एक पत्रक हिंदी में प्रकाशित किया जाता हैं।
इंटरनेट के युग में विश्व एक गांव के रूप में उभरा है। परस्पर संवाद के लिए हिंदी एक सहज माध्यम बनी है। कहा जा रहा है की तेजी से बदलते इस संचार युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में केवल 8-10 भाषाएं ही बचेंगी जिसमें हिंदी प्रमुख होगी। आज हिंदी की आवश्यकता संपूर्ण विश्व महसूस कर रहा है क्योंकि भारत एक बहुत बड़ी जनसंख्या वाला देश है। इसलिए पूरी दुनिया की बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं व्यापारिक संस्थाएं भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखते हुए अपने कर्मचारियों को हिंदी सीखने को प्रेरित एवं प्रशिक्षित कर रही हैं साथ ही विज्ञापन की भाषा भी हिंदी दिखाई पड़ने लगी है। हिंदी दिनों दिन समृद्ध हो रही है क्योंकि विभिन्न भाषाओं के जरूरी शब्द हिंदी उदार मन से न केवल स्वीकार कर रही है बल्कि दैनंलिन कार्य-व्यवहार में उपयोग भी कर रही है। आकाशवाणी केन्दों एवं टीवी चैनलों के विविध मनोरंजक कार्यक्रमों द्वारा विश्व के अनेक देशों तक हिंदी पहुंच और पसन्द की जा रही है। हिंदी फिल्में भी विदेश में देखी-सराही जा रही हैं। फिजी, गुयाना, सूरीनाम, टोबैगो, ट्रिनिडाड और अरब अमीरात में हिंदी को आधिकारिक रूप से अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा प्राप्त है। ट्विटर की तर्ज पर 140 शब्दों की बजाय 500 शब्दों में मैसेज करने की व्यवस्था ‘मूषक’ नमक सोशल नेटवर्किंग साइट ने उपलब्ध कराई है जिसमें रोमन में लिखने पर उसका हिंदी रूप सामने आ जाता है। पूरे विश्व में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं हिंदी में निकल रही हैं और हिंदी में रेडियो कार्यक्रम संचालित होते हैं। विश्व हिंदी दिवस के अवसर हम हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग का संकल्प ले हिंदी को समृद्ध एवं सुदृढ वैश्विक आधार प्रदान करें।
प्रमोद दीक्षित मलय
लेखक शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक हैं। बांदा (उ.प्र.)
लेखक शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक हैं। बांदा (उ.प्र.)
Author: Sanjeevni Today
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