Explore

Search

October 14, 2025 10:54 pm

राम लला की मूर्ति काले पत्थर की क्यों और 5 साल के बाल स्वरूप की क्यों?

राम लाला
WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

अयोध्या के राम मंदिर में जब 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी तो पांच साल के राम लला की 51 इंच की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी. ये श्याम वर्ण वाली होगी. इसमें 5 साल के बाल स्वरूप में श्रीराम कमल पर विराजमान होंगे. कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फ़ीट होगी. अब यहां स्वाभाविक सवाल है कि भला क्यों 05 साल के उम्र की ही राम लला की मूर्ति स्थापित की जा रही है, इससे कम या ज्यादा उम्र की क्यों नहीं और इसकी लंबाई 51 इंच ही क्यों रखी गई है.

हम आपको बाद में ये भी बताएंगे कि 74 साल पहले जब बाबरी ढांच में राम लला की धातु की मूर्ति स्थापित की गई थी तो ये कितनी बड़ी और कैसी थी. किस तरह ये वहां आई थी. ये भी जानेंगे कि मौजूदा मूर्ति किस चीज की बनाई गई है.

अब पहले ये जानते हैं कि राम मंदिर में राम के बाल्यकाल की मूर्ति स्थापित हो रही है और उसकी उम्र 05 साल के राम लला की है. ये कौतुहल जाहिर है कि राम को इस खास उम्र में दिखाते हुए उनकी इस काल की मूर्ति क्यों स्थापित की जा रही है. हिंदू धर्म में आमतौर पर बाल्यकाल को 05 साल की उम्र तक माना जाता है. इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है.

05 साल के बच्चे को क्या माना जाता है
चाणक्य और दूसरे विद्वानों ने इस पर साफ कहा है कि पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है, क्योंकि वो अबोध होता है. उस उम्र तक केवल उसे सिखाने का काम करें. चाणक्य नीति में इस बच्चों के अबोध और बोधगम्यता को लेकर उम्र की चर्चा इस तरह की गई है.

पांच वर्ष लौं लालिये, दस सौं ताड़न देइ। सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेइ।।

महाकाल लोक के महंत प्रणव पुरी कहते हैं कि हमारे ग्रंथों में भी पांच साल की उम्र तक भगवान और दिव्य पुरुषों की बाल लीला का अधिक आनंद लिया गया है. भगवान राम की पांच साल की उम्र की मूर्ति स्थापित किए जाने के संबंध में काकभुशुंडी के श्लोक बहुत सामयिक और सटीक लगते हैं

काकभुशुंडी ने क्या कहा
तब तब अवधपुरी मैं जाऊं। बालचरित बिलोकि हरषाऊं॥
जन्म महोत्सव देखउं जाई। बरष पांच तहं रहउं लोभाई॥
अर्थ ये है, तब-तब मैं अयोध्यापुरी जाता हूं. उनकी बाल लीला देखकर हर्षित होता हूं. वहां जाकर मैं जन्म महोत्सव देखता हूं और (भगवान्‌ की शिशु लीला में) इसके लोभ में 05 साल तक वहीं रहता हूं.

काकभुशुंडी उनके बाल रूप को और भी बहुत कुछ कहते हैं, जिसके बाद राम लला का बाल स्वरूप निखर कर सामने आता है. ये कहता है कि अयोध्या के राम मंदिर में उनके बाल्य काल की मूर्ति की स्थापना ही उचित है.
इष्टदेव मम बालक रामा। सोभा बपुष कोटि सत कामा॥
निज प्रभु बदन निहारि निहारी। लोचन सुफल करउं उरगारी॥
मतलब बालक रूप श्री रामचंद्रजी मेरे इष्टदेव हैं, जिनके शरीर में अरबों कामदेवों की शोभा है. हे गरुड़जी! अपने प्रभु का मुख देख-देखकर मैं नेत्रों को सफल करता हूं.

राम मंदिर में स्थापना के लिए मैसूर के अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई राम लला की मूर्ति को चुना गया है.


कौन थे काकभुशुंडी
अब आइए काकभुशुंडी के बारे में भी बता दें, जिन्हें भुशुंडी भी कहा जाता है. उन्हें राम के एक भक्त के रूप में दर्शाया गया है, जो एक कौवे के रूप में गरुड़ को रामायण की कहानी सुनाते हैं. उन्हें चिरंजीवियों के रूप में माना जाता है. माना जाता है कि वह आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं.

काकभुशुंडी मूल तौर पर अयोध्या के शूद्र वर्ग के सदस्य थे. एक बार शिव ने क्रोधित होकर उन्हें सांप बनने का श्राप दिया. बाद में याचना के बाद शिव ने सजा को कम किया और कहा कि कई जन्मों के बाद ब्राह्मण के तौर पर काकभुशुंडी के तौर पर जन्म लेंगे. राम के भक्त बन जाएंगे. लेकिन बाद में फिर एक श्राप के चलते वह कौवा बन गए.

राम के बाल काल की लीला
कहा जाता है कि काभुशुंडी ने बाल रूप में राम को लगातार अयोध्या में देखा और काफी कुछ इस पर कहा. वैसे भगवान राम ने अपनी जीवन में चमत्कार वाली लीलाएं बहुत नाममात्र की ही दिखाईं. हां, एक बार बालकाल में उन्होंने भी माता कौशल्या को अपने मुंह के अंदर ब्रह्रांड के दर्शन जरूर कराए थे. इसके बाद उनका दूसरी असाधारण काम सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ना था. अन्यता पूरे जीवन वह एक मनुष्य के तौर पर ही ज्यादा रहे.

मूर्ति 51 इंच की ही क्यों
अब हम बताते हैं कि ये मूर्ति ठीक 51इंच की ही क्यों है. हालांकि भारत में मौजूदा दौर में पांच साल के बालक की ऊंचाई मोटे तौर पर 43 से 45 इंच के आसपास मानी जाती है लेकिन राम जिस दौर में पैदा हुए, उसमें आम लोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा होती थी. इस लिहाजा 51 के शुभ नंबर को देखते हुए उनकी ऊंचाई 51 मानी गई.

ये काले पत्थर की क्यों
एक सवाल और हो सकता है कि ये मूर्ति काले पत्थर की क्यों. दरअसल राम लला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है, जिनसे हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं. इसे पवित्र पत्थर मानते हैं. शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शालिग्राम भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप हैं. ये एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है. शालिग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किया जाता है.

Ram Mandir Pran Pratishtha: आज 114 कलश के जल से भगवान राम का होगा स्नान, प्राण प्रतिष्ठा का एक दिन शेष

74 साल पहले कितनी बड़ी मूर्ति रखी गई थी
74 साल पहले जब बाबरी ढांचे में राम लला की मूर्ति को रखा गया था, तो ये 09 इंच की थी और अष्टधातु की थी. ये 1949 का साल था जब पहली बार ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ति प्रकट हुई थी.

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर