इजराइल के प्रधानमंत्री ने हमास के खात्मे के लिए नया प्लान पेश कर दिया है. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ऐलान किया था कि वह पूरा गाजा पर कब्जा करेंगे. इजराइल की कैबिनेट से भी इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. लेकिन पूरे विश्व में इजराइल के मंसूबे की निंदा की जा रही है और कहा जा रहा है कि नेतन्याहू की यह योजना गाजा के मानवीय संकट को और गहरा कर सकती है.
75 फीसद गाजा पर पहले से ही इजराइल सेना ने कब्जा कर लिया है. अब जो बचा वहां घनी आबादी में विस्थापित हुए फिलिस्तीनी रह रहे हैं और इजराइल का मानना है कि यहीं हमास का आखिरी किला अल-मवासी मौजूद. डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर नेतन्याहू ने हमास के इसी किले पर कब्जा करने की बात कही है.
क्या है अल-मवासी?
अल-मवासी रेतीले खेतों की एक 10 मील (16 किमी) लंबी पट्टी है जो भूमध्यसागरीय तट के साथ-साथ फैली हुई है. यह इलाका राफा से थोड़ा ही दूर है, यहां रेत के टीले हैं. माना जा रहा है कि इसके नीचे हमास के लड़ाते बंकरों में छिपे हुए हैं. अल-मवासी घनी आबादी वाला इलाका है, जहां इजराइल आसानी से हमला नहीं कर पा रहा था. कुछ लोग कह रहे हैं की हमास के लड़ाके यहां खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. हालांकि इजराइल यहां भी अपने हवाई हमले करता रहा है.
अन्य क्षेत्रों के लिए निकासी आदेशों के बीच, फिलिस्तीनियों को कई बार अल-मवासी में स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है, जिसके परिणामस्वरूप यहां अस्थायी आश्रयों का एक बड़ा शिविर स्थापित हो गया है.
इजराइल में भी नेतन्याहू के फैसले का विरोध?
इजराइल के पूरे गाजा पर कब्जा करने की योजना पर इजराइल के अंदर भी विरोध हो रहा है. शनिवार को इजराइल के तेल अवीव में करीब 10 हजार लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने बंधक रिहाई और युद्ध विराम की मांग की. योजना का विरोध करने वालों का मानना है कि ऐसी योजना गाजा में बंधकों की जान को खतरे में डाल सकती है और कई सैनिकों की भी इसमें जान जा सकती है.
