इसी शुक्रवार यानी 15 अगस्त को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होनी है. जगह तय की है अलास्का. मगर इन दोनों की बैठक से पहले एक खबर आई है चीन को लेकर. अमेरिका के कोस्ट गार्ड के मुताबिक, चीन ने हाल ही में एक साथ पाँच रिसर्च जहाज़ अलास्का के पास आर्कटिक इलाके में भेजे हैं.
कोस्ट गार्ड इनकी हरकतों पर नजर रख रहा है और कह रहा है कि अगर कोई भी विरोधी ताकत अलास्का या अमेरिकी आर्कटिक पानी में कुछ करती है तो वो जवाब देने के लिए तैयार हैं. न्यूजवीक ने इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय से भी बात करने की कोशिश की है.
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क्यों जरूरी है ये खबर
चीन खुद को “आर्कटिक के पास का देश” बताता है और कहता है कि उसका इस इलाके में अहम रोल है. पिछले कुछ सालों में उसने यहां अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है, खासकर पिछले साल जब उसने एक साथ तीन रिसर्च जहाज़ भेजे थे.
अमेरिका को चीन की इस बढ़ती मौजूदगी और रूस के साथ उसकी दोस्ती से चिंता है. इसी वजह से अमेरिकी सेना ने कहा है कि आर्कटिक में अपनी फौजी ताकत और निगरानी बढ़ानी चाहिए और अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए.
मैप में क्या दिखा?
न्यूजवीक के मैप में दिखाया गया है कि ये चीनी जहाज अपने देश के तट से चलकर अलास्का के पास के पानी तक पहुंचे. इसी दौरान जुलाई के आखिर से वहां दो अमेरिकी और एक कनाडाई बर्फ तोड़ने वाले जहाज़ भी काम कर रहे हैं.
पिछले शुक्रवार, यू.एस. कोस्ट गार्ड ने बताया था कि 5 और 6 अगस्त को उन्होंने बीरिंग सागर और बीरिंग जलडमरूमध्य (जो रूस और अलास्का के बीच है) में दो चीनी रिसर्च जहाज़ जी दी और झोंग शान दा शुए जी दी को देखा और उन पर नज़र रखी.
25 जुलाई को उन्होंने एक और चीनी जहाज़ श्वे लोंग 2 को अलास्का के तट से 230 मील से भी दूर के पानी में देखा. 6 अगस्त तक ये जहाज़ वहीं मौजूद था.






