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August 11, 2025 9:18 pm

क्या होगा इसका असर……..’रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत-चीन को ट्रंप की सेकेंडरी टैरिफ वाली धमकी…..

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रूस पर दबाव बढ़ा रहे हैं. इसी कड़ी में ट्रंप ने एक बार फिर रूस को टैरिफ धमकी दी है. सोमवार को नोटो सेक्रेटरी मार्क रूट के साथ एक बैठक के बाद ट्रंप ने एक नई योजना का ऐलान किया, जिससे रूस ही नहीं बल्कि उसके साथ व्यापार करने वाले देशों को बड़ा झटका लग सकता है.

सोमवार को ट्रंप ने ऐलान किया कि अगर आने वाले हफ्तों में युद्ध विराम समझौता नहीं होता है, तो वे रूसी सामान खरीदने वाले देशों पर 100 फीसद सेकेंडरी टैरिफ लगा देंगे. व्हाइट हाउस में रूट के बगल में खड़े होकर उन्होंने कहा, “हम 100 फीसद टैरिफ लगाने जा रहे हैं… अब समय आ गया है कि वास्तविक बदलाव देखा जाए, वरना इसके परिणाम तत्काल और दर्दनाक होंगे.”

व्हाइट हाउस में नाटो सेक्रेटरी मार्क रूट के साथ डोनाल्ड ट्रंप

नाटो सेक्रेटरी मार्क रूट ने दावा किया कि रूस पर अमेरिका के सेकेंडरी टैरिफ का चीन, भारत और ब्राजील पर गंभीर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा, जिससे तीनों देश मास्को पर शांति समझौते के लिए दबाव डालेंगे. उन्होंने आगे कहा, “अगर आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं, या आप ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए, क्योंकि यह आपको बहुत प्रभावित कर सकता है.” अमेरिका की ओर से अगर सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाता है, तो ये भारत समेत कई देशों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. जो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं

क्यों है सेकेंडरी टैरिफ पर चिंता?

रूस के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में चीन, भारत, ब्राजील, तुर्की और दक्षिण कोरिया शामिल हैं, जिनका व्यापार सालाना सैकड़ों अरब डॉलर तक पहुंच जाता है. ये देश रूसी एनर्जी, फर्टिलाइजर, मेटल्स और रक्षा उत्पादों पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं.

अमेरिका के सेकेंडरी सैंक्शन उन्हें वाशिंगटन के साथ व्यापार करने या मास्को के साथ संबंध बनाए रखने के बीच किसी एक चुनने के लिए मजबूर करेंगे. ऐसे प्रतिबंध दुनिया की सप्लाई चेन को अस्थिर कर सकते हैं, एनर्जी की कीमतों को बढ़ा सकते हैं और ब्रिक्स तथा ग्लोबल साउथ जैसे समूहों के भीतर राजनीतिक मतभेद पैदा कर सकते हैं.

क्या होता हैं सेकेंडरी टैरिफ?

सेकेंडरी टैरिफ (Secondary Terrif) वे प्रतिबंध होते हैं जो किसी देश की ओर से उन तीसरे पक्षों (थर्ड पार्टी) पर लगाए जाते हैं जो प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित देश के साथ व्यापारिक या वित्तीय लेन-देन करते हैं.

ये टैरिफ प्राइमरी टैरिफ से अलग होते हैं, क्योंकि प्राइमरी टैरिफ सीधे तौर पर एक देश या इकाई पर लगाए जाते हैं, जबकि सेकेंडरी टैरिफ उन देशों, कंपनियों या व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं जो प्रतिबंधित देश के साथ संबंध रखते हैं.

 

अमेरिका पहले भी ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है, जो ईरान और रूस के साथ आर्थिक गतिविधियों में शामिल है. लेकिन अब ट्रंप ने सीधे तौर से ऐसे देशों पर ही टैरिफ लगाने की बात कही है, जिसके बाद भारत-चीन आदि के लिए अमेरिका मे निर्यात काफी महंगा हो जाएगा और अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है.

प्रतिबंधों के बावजूद भी रूस को कमजोर नहीं कर पाया अमेरिका?

अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, फिर भी रूस अपने अर्थव्यवस्था चलाने में और इसके विकास-विस्तार करने में कामयाब रहा है. रूस ने चीन, उत्तर कोरिया और ईरान के साथ मिलकर एक ऐसा नेक्सस तैयार किया है, जो डॉलर को बाईपास कर बार्टर सिस्टम के तहत ही एक दूसरे को माल दे रहे हैं. साथ ही रूस ने इस कड़ी में उन देशों के भी जोड़ा, जिनके अमेरिका से भी अच्छे संबंध हैं.

भारत, तुर्की, पाकिस्तान, ब्राजील जैसे देशों ने अमेरिका से अच्छे रिश्ते रखते हुए, यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के साथ अपना व्यापार बढ़ाया है. इसकी वजह रूस से सस्ती कीमत पर सामानों का मिलना है. इन्हीं देशों के वजह रूस की अर्थव्यवस्था कड़े सैंक्शनों के बाद भी सर्वाइव करती रही है और अब ट्रंप इन देशों पर सैंक्शन लगाने की धमकी दे रहे हैं. ये तो समय बताएगा इसका कितना असर पड़ेगा, लेकिन ये साफ है कि यूक्रेन रूस युद्ध की आंच अब दूसरे देशों तक भी आने लगी है.

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