auruhana2.kz
autokolesa.kz
costacoffee.kz
icme2017.org
kenfloodlaw.com
Vavada
Chicken Road
카지노 사이트 추천
betify

Explore

Search

September 5, 2025 3:26 am

शेख हसीना के देश से ‘भागने’ पर क्या कह रहा बांग्लादेशी मीडिया? ‘आयरन लेडी जनता के विद्रोह के आगे…

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

सोमवार, 5 अगस्त का दिन बांग्लादेश के लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ. पिछले महीने शुरू हुए छात्र आंदोलन ने इतना उग्र रूप लिया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देकर आनन-फानन में देश छोड़कर जाना पड़ा. इसके बाद देश की सेना ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा. देश में फैली हिंसा और अराजकता की खबरों से बांग्लादेश के अखबार अटे पड़े हैं. शेख हसीना के देश छोड़ भारत आने पर वहां के अखबारों में कई लेख प्रकाशित हुए हैं.

वहां के प्रमुख अखबार लिख रहे हैं कि हसीना का पतन हुआ और वो देश छोड़कर भाग गई हैं. अखबार ‘द डेली स्टार’ ने एक लेख को शीर्षक दिया, ‘Haseena falls, flees’ यानी हसीना का पतन हुआ और वो भाग गईं.

लेख में कहा गया, ’15 सालों तक शासन करने वाली बांग्लादेश की आयरन लेडी कल जनता के विद्रोह के आगे झुक गईं. हसीना सेना के एक हेलिकॉप्टर से अपना छोटी बहन शेख रेहाना का साथ भारत भाग गईं. पांच बार की प्रधानमंत्री रहीं हसीना ने अगरत्तला में लैंड किया और इसके बाद वो गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स बेस पर पहुंची जो भारत की राजधानी दिल्ला से लगभग 30 किलोमीटर दूर है.’

अखबार ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद के हवाले से लिखा कि हसीना अब राजनीति में वापसी नहीं करेंगी.

अखबार ने एक और लेख में बताया है कि बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता और शेख हसीना सरकार के आलोचक रहे डॉ. मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार नियुक्त किए जाएंगे.

अखबार ने लिखा कि जब यूनुस को छात्रों ने इस जिम्मेदारी के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया था. उनका कहना था कि उन्हें बहुत से काम पूरे करने हैं. लेकिन छात्र नहीं माने और उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए किसी भी तरह से मना लिया.

 

अखबार ने बताया कि यूनुस ओलंपिक कमिटी के बुलावे पर स्पेशल गेस्ट के तौर पर पेरिस ओलंपिक पहुचे थे. वो अब भी इलाज के सिलसिले में विदेश में ही हैं. हालांकि, यूनुस अब जल्द से जल्द बांग्लादेश लौटेंगे.

Health Tips: खांसी की परेशानी से मिलेगी राहत……..’बारिश के मौसम में हल्दी का इस प्रकार करें सेवन…….’

सोमवार का दिन आनेवाली नस्लें याद रखेंगी’

‘द डेली स्टार’ ने एक संपादकीय में कहा है कि सोमवार का दिन वो दिन है जिसे आनेवाली नस्लें याद रखेंगी.

संपादकीय लेख में लिखा गया, ’18-21 जुलाई को प्रदर्शन की पहली लहर के दौरान 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इसलिए हताश प्रदर्शनकारी, न्याय की अपनी मांग को बार-बार अनदेखा होते देख, अंतिम प्रयास से हिंसा का अंत चाहते थे. और सोमवार शाम 4 बजे, जब देश भर से भीड़ कर्फ्यू की परवाह किए बिना गोनो भवन (बांग्लादेशी पीएम का आधिकारिक निवास) की घेराबंदी करने के लिए ढाका की ओर बढ़ रही थी, सेना प्रमुख ने शेख हसीना के इस्तीफे की घोषणा की. देश को चलाने के लिए जल्द ही एक अंतरिम सरकार बनने की संभावना है.’

लेख में आगे कहा गया, ‘रूसी क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन ने एक बार जो कहा था, वो पिछले कुछ हफ्तों की घटनाओं का वर्णन करने के लिए बिल्कुल सही है: कि ऐसे दशक होते हैं जिनमें कुछ भी नहीं होता है, और फिर कुछ ऐसे सप्ताह होते हैं जिनमें दशकों के घटनाक्रम एक साथ घटित हो जाते हैं. हमने 1952, 1969 और 1990 में ऐसे सप्ताह देखे हैं. लेकिन उनमें से किसी भी विद्रोह ने इतने लोगों की जान नहीं ली. उनमें से कोई भी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के खिलाफ नहीं था, भले ही वे चुनाव कितने भी संदिग्ध क्यों न हों.’

लेख में आगे कहा गया कि इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हालिया विद्रोह को याद रखा जाएगा और भविष्य में इसी भावना के साथ काम किया जाए अन्यथा विद्रोह को सफल बनाने के लिए दिए गए भारी बलिदान व्यर्थ हो जाएंगे.

‘बांग्लादेश का भविष्य….’

बांग्लादेश के एक और प्रमुख अखबार ‘ढाका ट्रिब्यून’ के एक ऑपिनियन लेख में लिखा गया कि विश्व इतिहास में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो इतनी महत्वपूर्ण हैं कि वे विचारधारा या दलगत राजनीति से परे हैं. बांग्लादेश का हालिया विद्रोह इसी का एक उदाहरण है जिसमें प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है.

 

अखबार के एडिटर जफर सोभान के लिखे लेख में कहा गया, ‘पिछले महीने में हमने जो देखा वो यही कि युवा बांग्लादेशियों की एक पूरी पीढ़ी का समय आ गया है. उन्होंने हमें दिखाया कि बांग्लादेश का भविष्य अच्छे हाथों में है और हमने युवा पुरुषों और महिलाओं की एक ऐसी पीढ़ी तैयार की है जिस पर हम सभी गर्व कर सकते हैं, युवा पुरुषों और महिलाओं की एक ऐसी पीढ़ी जो निष्पक्षता और न्याय की परवाह करती है और इसके लिए मिलकर काम करती है. जो अपनी बात रखने के लिए सब कुछ बलिदान करने को तैयार हैं.’

अखबार ने बताया कि आज, मंगलवार को सरकारी ऑफिसों में भय का माहौल है और अधिकारी असमंजस हैं कि आगे क्या करना है. शेख हसीना सरकार के पतन के अगले दिन मंगलवार को सचिवालय में बेहद तनावपूर्ण माहौल है. बेहद कम संख्या में अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे हैं और मंत्री, सांसद सभी गैर-हाजिर हैं.

शेख हसीना परिवार के दबाव में…’

ढाका ट्रिब्यून ने एक और रिपोर्ट में लिखा कि शेख हसीना परिवार के दबाव में बांग्लादेश छोड़कर चली गईं. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद के हवाले से अखबार ने लिखा, ‘वो बांग्लादेश में ही रुकना चाहती थीं, वो देश नहीं छोड़ना चाहती थीं.  लेकिन हमने जोर दिया कि उनका बांग्लादेश में रहना खतरे से खाली नहीं है. हमें उनकी चिंता थी इसलिए हमने उन्हें देश छोड़ने के लिए मना लिया.’

 

बांग्लादेश के एक और अखबार ‘डेली ऑब्जर्वर’ ने लिखा कि सोमवार को शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद भारत सरकार ने उन्हें कुछ दिनों के लिए अपने यहां रुकने की जगह दे दी है.

अखबार ने लिखा, ‘इस अवधि के दौरान, जब हसीना यूनाइटेड किंगडम में शरण लेंगी तो भारत व्यापक सैन्य सहायता की पेशकश करेगा. भारत में उनके प्रवास को केवल अस्थायी रूप से मंजूरी दी गई है, इसके बाद वो ब्रिटेन जाएंगी.’

अखबार ने लिखा है कि विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की चेयरपर्सन खालिदा जिया अब किसी भी वक्त जेल से आजाद हो सकती हैं.

Seema Reporter
Author: Seema Reporter

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
ligue-bretagne-triathlon.com
pin-ups.ca
pinups.cl
tributementorship.com
urbanofficearchitecture.com
daman game login