Income Tax Bill, 2025: संसद ने मंगलवार, 12 अगस्त को Income Tax Bill, 2025 को मंजूरी दे दी, जिससे अब यह पुराने आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act, 1961) की जगह लेगा.
जैसे ही इस पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हो जाता है, यह कानून बन जाएगा. इस कानून के लागू होने के साथ ही आपके फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन से संबंधित कई नियमों में बदलाव होंगे. इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट यानी CASA में कैश डिपॉजिट की एक लिमिट तय है.
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यह वह लिमिट है, जिसे कोई व्यक्ति एक निश्चित समय अपने अकाउंट में जमा कर सकता है. यह नियम कैश टांजैक्शन की निगरानी के लिए बनाया गया है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सके. हलांकि यह नया नियम अप्रैल 2026 से लागू होगा. यानी वित्त वर्ष 2026-27 से.
सेविंग में 10 लाख और करंट अकाउंट में 50 लाख है लिमिट
Taxconcept के अनुसार, नए इनकम टैक्स बिल के अनुसार, खाताधारक सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये और करंट अकाउंट में 50 लाख रुपये तक कैश रख सकते हैं. अगर इससे अधिक की राशि जमा की जाती है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी देनी होगी.
जान लें ये खास नियम
धारा 194N
- यह नियम नकद निकासी पर लागू होता है.
- एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर 2 फीसदी TDS (Tax Deduction at Source) काटा जाता है.
- यदि कोई व्यक्ति पिछले तीन वर्षों से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं करता है, तो 20 लाख रुपये से अधिक की निकासी पर 2 फीसदी TDS और 1 करोड़ रुपये से अधिक पर 5 फीसदी TDS लगेगा.
धारा 269ST
- यह नियम नकद प्राप्तियों पर लागू होता है.
- एक वर्ष या एक लेन-देन में 2 लाख रुपये या अधिक नकद प्राप्त करने पर जुर्माना लग सकता है.
- यह नियम बैंक निकासी पर लागू नहीं होता, हालांकि निकासी की सीमा से अधिक राशि पर TDS लग सकता है.
धारा 269SS और 269T
- यह नियम कैश लोन से संबंधित हैं.
- एक वर्ष में 20,000 रुपये से अधिक की कैश लोन लेने या चुकाने पर जुर्माना लग सकता है.
- जुर्माने की राशि लोन की रकम के बराबर हो सकती है.
न्यू बिल की क्या है खासियत?
ड्राफ्टिंग प्रक्रिया में करीब 75,000 Person Hours का समय लगाया गया है. इसके तहत विशेषज्ञों, टैक्स अधिकारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और दूसरे स्टेकहोल्डर से भी सुझाव लिए गए, जिससे कानून व्यवहारिक और आधुनिक हो सके. नया कानून डिजिटल युग की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है, जिसमें टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रियाओं को आसान, ट्रांसपेरेंट और तेज बनाने पर जोर दिया गया है.
