बुधवार, 6 अगस्त को, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो दर को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखते हुए कोई बदलाव नहीं किया और अपने स्टांस को भी न्यूट्रल रखा. आरबीआई ने कहा कि देश का ग्रोथ आउटलुक अच्छा बना हुआ है और इस वर्ष महंगाई कंट्रोल में रहने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण अच्छा मानसून है. हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्लोबल आउटलुक चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
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केंद्रीय बैंक ने कहा कि हालांकि फाइनेंशियल मार्केट में अस्थिरता और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं हाल के महीनों में अपने चरम से कुछ हद तक कम हुई हैं, लेकिन व्यापार वार्ता की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. ग्लोबल ग्रोथ, हालांकि आईएमएफ द्वारा संशोधित किया गया है, धीमा बना हुआ है. अवस्फीति की गति धीमी हो रही है, कुछ एडवांस इकोनॉमीज में महंगाई में भी वृद्धि देखी जा रही है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर वो कौन से 5 सवाल हैं, जिनके जवाब आम लोगों को आरबीआई की एमपीसी में मिले हैं.
1. आरबीआई गवर्नर ने रेपो दर और पॉलिसी स्टांस पर क्या कहा?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5 फीसदी पर रखते हुए कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है. साथ ही पॉलिसी स्टांस को जून की पॉलिसी की तरह न्यूट्रल रखने का फैसला किया है. जून की नीतिगत बैठक में, आरबीआई ने अपेक्षा से कहीं अधिक 50 आधार अंकों की कटौती की थी और अपने रुख को ‘समायोज्य’ से संशोधित कर ‘न्यूट्रल’ कर दिया था. एलएएफ के अंतर्गत एसडीएफ की दर 5.25 फीसदी पर अपरिवर्तित बनी हुई है, और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.75 फीसदी पर बनी हुई है.
2. आरबीआई गवर्नर ने भारत की जीडीपी वृद्धि के बारे में क्या कहा?
ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक कारकों पर बनी अनिश्चितता के बावजूद, आरबीआई ने वित्त वर्ष 26 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखी. केंद्रीय बैंक ने अपने तिमाही वृद्धि अनुमानों को भी बरकरार रखा. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.6 प्रतिशत, चौथी तिमाही के लिए 6.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही के लिए 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. वैसे कुछ जानकारों ने अनुमान लगाया था कि आरबीआई ने अपने जीडीपी ग्रोथ अनुमान को कम कर सकता है.
3. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भारत की महंगाई को लेकर क्या कहा?
केंद्रीय बैंक ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीपीआई महंगाई लगातार आठवें महीने घटकर जून 2025 में 77 महीनों के निचले स्तर 2.1 फीसदी पर आ गई है, जो सालाना आधार पर 2.1 फीसदी है. यह मुख्यतः कृषि गतिविधियों में सुधार और विभिन्न आपूर्ति-पक्ष उपायों के कारण खाद्य महंगाई में आई तीव्र गिरावट के कारण है. केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई के अनुमान को पहले के 3.7 फीसदी से घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया है.
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के महंगाई अनुमान को पहले के 3.4 फीसदी से घटाकर 2.1 फीसदी कर दिया गया है, तीसरी तिमाही के अनुमान को 3.9 फीसदी से घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया गया है, और चौथी तिमाही के अनुमान को 4.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. हालांकि, केंद्रीय बैंक को अगले साल महंगाई में तेजी की उम्मीद है. RBI ने वित्त वर्ष 2027 की पहली तिमाही के लिए महंगाई का अनुमान 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है.
4. लिक्विडिटी और फाइनेंशियल मार्केट की कैसी रह सकती है स्थिति?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) सरप्लस में है. आगे चलकर, पिछली नीति में घोषित सीआरआर कटौती सितंबर से फेजवाइज तरीके से लागू होगी, जिससे लिक्विडिटी की स्थिति को और बल मिलेगा. जून 2025 के अंत में बैंकिंग सिस्टम के लिए क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो (सीडी अनुपात) 78.9 फीसदी था, जो मोटे तौर पर एक साल पहले के समान ही था. 2024-25 के दौरान बैंक लोन में 12.1 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि यह 2023-24 की 16.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से धीमी है, लेकिन यह 2024-25 से पहले की दस वर्षों की अवधि में दर्ज की गई 10.3 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से अधिक है.
5. आरबीआई ने और कौन कौन सी बातों की घोषणा की?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंक जन-धन योजना के पुनः-केवाईसी के लिए 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित कर रहे हैं क्योंकि इस योजना के 10 वर्ष पूरे होने के कारण बड़ी संख्या में खातों का री-केवाईसी होना बाकी है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नए बैंक खाते खोलने और री-केवाईसी के अलावा, ये शिविर वित्तीय समावेशन और ग्राहक शिकायत निवारण के लिए सूक्ष्म बीमा और पेंशन योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे. केंद्रीय बैंक बैंक खातों और मृत बैंक ग्राहकों के सुरक्षित अभिरक्षा या सुरक्षित जमा लॉकरों में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के निपटान की प्रक्रिया को भी मानकीकृत करेगा.
आरबीआई, आरबीआई रिटेल-डायरेक्ट प्लेटफॉर्म की कार्यक्षमता का भी विस्तार कर रहा है ताकि खुदरा निवेशक व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से ट्रेजरी बिलों में निवेश कर सकें.
