अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से ही दुनियाभर में हलचल है। चीन और रूस जैसे अमेरिका के परांपरागत प्रतिद्वंद्वी ही नहीं, बल्कि ट्रंप के चुने जाने से अमेरिका के सहयोगी देश भी ऊहापोह की स्थिति में हैं। वजह है भू-राजनीतिक मुद्दों को लेकर ट्रंप का रवैया। हाल ही में ट्रंप ने अपने बयानों से इन सहयोगी देशों में हलचल मचा दी है। फिर चाहे वह कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने से जुड़ा बयान हो, ग्रीनलैंड को खरीदने से जुड़ी टिप्पणी या पनामा नहर को वापस अमेरिकी नियंत्रण में लाने की बात। ट्रंप ने लगातार ऐसे बयान दिए हैं, जिनसे वैश्विक स्तर पर अमेरिका की आगामी नीतियों को लेकर चिंता पैदा हो गई है।.
इस बीच अमेरिकी संसद के निचले सदन- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में रिपब्लिकन सांसदों ने एक के बाद एक तीनों ही मुद्दे- ग्रीनलैंड, पनामा नहर और मैक्सिको की खाड़ी को लेकर विधेयक पेश करने से जुड़े प्रस्ताव रख दिए हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा ग्रीनलैंड पर केंद्रित विधेयक ‘मेक ग्रीनलैंड ग्रेट अगेन एक्ट’ के बारे में हो रही है। बताया जा रहा है कि अगर इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो इससे ट्रंप के ग्रीनलैंड खरीदने का सपना साकार हो सकता है।
1. पहले जानें- क्या है मेक ग्रीनलैंड ग्रेट अगेन विधेयक?
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से ग्रीनलैंड और अन्य देशों-क्षेत्रों पर कब्जे, नियंत्रण और नाम बदलने की बात को लोग शुरुआत में उनकी विवादास्पद बयान देने की पुरानी आदत से जोड़कर देख रहे थे। हालांकि, ग्रीनलैंड को खरीदने, उसे कब्जाने को लेकर दिए बयान और यहां तक कि द्वीप देश को लेने के लिए सेना के प्रयोग से इनकार न करने के बाद इस मुद्दे को लेकर ट्रंप के रवैये को गंभीरता से लिया जाने लगा है। अब ग्रीनलैंड से जुड़ा विधेयक प्रस्तावित होने के बाद यूरोप से लेकर रूस तक आगामी ट्रंप प्रशासन के कदमों पर करीब से नजर रखने की तैयारी कर रहे हैं।
रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप समर्थक हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में मेक ग्रीनलैंड ग्रेट अगेन विधेयक पेश कर अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की ग्रीनलैंड खरीदने की मंशा पूरी करने की कोशिश में हैं। इस विधेयक में ट्रंप को ग्रीनलैंड को हासिल करने के लिए डेनमार्क से बातचीत शुरू करने की ताकत देने का प्रावधान रखा गया है।
इस विधेयक को रिपब्लिकन पार्टी के सांसद एंडी ओग्लेस की तरफ से पेश किया गया। दो पन्नों के इस विधेयक के जरिए ट्रंप को 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही अमेरिका की तरफ से ग्रीनलैंड की खरीद के लिए डेनमार्क से बातचीत करने के अधिकार दिए गए हैं।
- इसमें कहा गया है कि अगर ग्रीनलैंड को खरीदने को लेकर डेनमार्क के साथ कोई समझौता होता है तो राष्ट्रपति को 5 दिन के अंदर इसके बारे में संसदीय समितियों को बताना होगा। साथ ही इससे जुड़ी चीजें और नियम भी समितियों को बताने होंगे।
- विधेयक में अमेरिकी संसद को ट्रंप की तरफ से किए गए किसी भी समझौते को 60 दिन के अंदर ब्लॉक करने की ताकत दी गई है। हालांकि, राष्ट्रपति के ऐसे किसी भी फैसले को रोकने के लिए संसद के दोनों सदनों को दो-तिहाई के बहुमत से प्रस्ताव पास करना होगा, ताकि ट्रंप वीटो का इस्तेमाल कर संसद के फैसले को दरकिनार न कर सकें।
- रिपब्लिकन सांसद ओग्लेस का कहना है कि इस विधेयक को पेश करने के लिए उन्हें 10 रिपब्लिकन सांसदों का समर्थन मिल चुका है। इनमें न्यूयॉर्क से सांसद माइक लॉलर से लेकर ओहायो के सांसद माइक रुली के नाम शामिल हैं।
2. पनामा नहर को लेकर अमेरिकी संसद में क्या प्रस्ताव?
ट्रंप कई बार बयान दे चुके हैं कि वह पनामा नहर का नियंत्रण पनामा से वापस लेकर अमेरिका के पास लाने के पक्षधर हैं। उनकी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए भी अमेरिकी संसद में कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। दरअसल, पनामा नहर के बड़े हिस्से का निर्माण अमेरिका की तरफ से ही किया गया था। 1914 में निर्माण शुरू के बाद 1977 तक इस पर अमेरिका का पूरा नियंत्रण रहा। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने चरणबद्ध तरीके से इसका नियंत्रण पनामा को सौंपने का निर्णय लिया। हालांकि, इसी पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को वापस स्थापित करने को लेकर ट्रंप ने कई बयान दिए हैं।
पनामा नहर का नियंत्रण वापस अमेरिका के पास लाने के लिए प्रस्तावित विधेयक को अमेरिकी के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गुरुवार को पेश किया गया था। इसके जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को यह ताकत दी जा सकती है कि वह पनामा के ‘उपयुक्त समकक्ष’ से पनामा नहर को वापस खरीदने के लिए बातचीत कर सकते हैं।
- दो पन्नों के इस विधेयक को रिपब्लिकन पार्टी में उच्च पदस्थ सांसद डस्टी जॉनसन की तरफ से पेश किया गया है। इसे पनामा कैनाल रिपर्चेज एक्ट नाम दिया गया है। अब तक इसे सांसद माइक लॉलर और सांसद एंड्रयू क्लाइड समेत 15 सांसदों का समर्थन हासिल है। बताया गया है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सांसद भी इसका समर्थन कर सकते हैं।
3. मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने पर संसद में क्या प्रस्ताव?
ट्रंप की तीसरी- ‘मैक्सिको की खाड़ी’ का नाम बदलकर ‘अमेरिका की खाड़ी’ करने की मंशा को कानूनी तौर पर पूरा करने के लिए भी अमेरिकी संसद में कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके लिए भी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गुरुवार को ही विधेयक पेश किया जा चुका है। गौरतलब है कि ट्रंप कह चुके हैं कि मैक्सिको की खाड़ी का इलाका अमेरिका का ही है और वह क्षेत्र का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करना चाहते हैं।
ट्रंप के इस सपने को पूरा करने के लिए जॉर्जिया से रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने विधेयक पेश किया। दो पन्नों के इस विधेयक को ‘गल्फ ऑफ अमेरिका एक्ट ऑफ 2025’ नाम दिया गया है।
- विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, अगर यह पारित हो जाता है तो अमेरिका के कानूनों, मैप्स, दस्तावेजों और अन्य सभी रिकॉर्ड्स में मैक्सिको की खाड़ी का नाम हटा दिया जाएगा और इसकी जगह पूरे क्षेत्र के लिए अमेरिका की खाड़ी का नाम इस्तेमाल होगा।
- इस विधेयक को लागू कराने की जिम्मेदारी गृह मामलों को देख रहे मंत्री की होगी, जो कि अमेरिका में भौगोलिक जगहों के नाम बदलने वाले बोर्ड (बोर्ड ऑन ज्योग्राफिक नेम्स) के प्रमुख के तौर पर कार्य कर संघीय सरकार से जुड़े दस्तावेजों, मैप्स में नाम बदलने की प्रक्रिया को अंजाम देंगे।
- विधेयक में कहा गया है कि इसके पारित होने के 180 दिन के अंदर ही सभी संघीय एजेंसियों के प्रमुखों को अपने-अपने विभागों के दस्तावेजों और नक्शों में बदले हुए नामों को शामिल करा लेना है।
Author: Geetika Reporter
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