बसपा सुप्रीमो की बिना गठबंधन की चुनावी सियासत तीसरी बार फेल हो गई। बीते एक दशक से विपक्षी दलों के चक्रव्यृह में फंसी बसपा अर्श से फर्श तक पहुंच चुकी है। दलित वोट बैंक में मायावती का रुतबा भी कम होता नजर आ रहा है।
नतीजे बताते हैं कि मायावती को अपनी जाति के जिस वोट बैंक पर भरोसा था, वह अब चंद्रशेखर के पाले में जाता दिख रहा है। नगीना में चंद्रशेखर को 512552 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह को महज 13272 वोट ही हासिल हुए। साफ है कि जाटवों ने भी बसपा को वोट नहीं दिया।
नगीना के अलावा डुमरियागंज सीट पर भी आजाद समाज पार्टी ने बसपा प्रत्याशी से अधिक वोट हासिल किए हैं, जो दलितों की भविष्य की बदलती राजनीति का संकेत दे रही है। डुमरियागंज में आजाद समाज पार्टी के प्रत्यााशी अमर सिंह चौधरी को 81305 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी मोहम्मद नदीम को महज 35936 वोट ही हासिल हुए।
हमेशा उपलब्ध रहते हैं चंद्रशेखर
चंद्रशेखर के तेवर दलित युवाओं को हमेशा आकर्षित करते हैं। खुद मायावती भी चंद्रशेखर रावण की राह में तमाम रोड़े अटकाने का प्रयास करती रही हैं। मायावती के मुकाबले उन तक आसान पहुंच दलितों में लोकिप्रय बनाती है। बसपा सुप्रीमो का कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखना, पार्टी पदाधिकारियों से अपनी सुविधानुसार मिलना और चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद किसी पर कार्रवाई नहीं करना अब उनके समर्थकों को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि बसपा के वोट बैंक में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
आकाश को रोकना पड़ा भारी
चंद्रशेखर के मुकाबले मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव में लांच तो किया, लेकिन अनुभव की कमी ने आकाश को चुनावी परिदृश्य से गायब कर दिया। आकाश के तेवर दलित युवाओं को लुभा रहे थे, लेकिन उनको पार्टी के अहम पदों से हटाए जाने से दलितों को चंद्रशेखर में नया विकल्प नजर आने लगा।
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यही वजह है कि चंद्रशेखर को नगीना में आसान जीत मिली, जो उनकी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुई है। आकाश आनंद और मायावती की जनसभाओं का भी वोटरों पर कोई असर नहीं हुआ और पार्टी को हर जगह हार का सामना करना पड़ा। यह हालात आजाद समाज पार्टी के लिए मुफीद माने जा रहे हैं।
किस पाले में जाएंगे चंद्रशेखर
चुनावी नतीजे सामने आने के बाद यह चर्चा भी तेज है कि आखिर चंद्रशेखर किसके पाले में जाएंगे। चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में जगह नहीं मिलने पर चंद्रशेखर ने अकेले दम पर चुनावी समर में उतरने का फैसला लिया। नगीना से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा देकर सियासत में उनके कद में इजाफा कर दिया।
इस तरह गिरा बसपा का ग्राफ
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 24.67 फीसदी वोट मिले थे और उसने 19 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को करीब 27.42 फीसदी वोट मिले थे और उसके 20 सांसद बने थे, जो बसपा का लोकसभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन था।
हालांकि वर्ष 2014 के चुनाव में बसपा को 19.77 फीसदी वोट मिले थे और उसका कोई प्रत्याशी संसद तक नहीं पहुंच पाया था। हालिया चुनाव में पार्टी को महज 9.39 फीसद वोट ही मिले है। उसका करीब 10 फीसद वोट अन्य दलों को चला गया, जो कि बसपा के लिए खतरे का सबब बन चुका है।