बहाई महिलाओं के साथ किए जा रहे बहुपक्षीय भेदभाव और उनके मूल अधिकारों के हनन को रेखांकित करते हुए, 18 संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने एक स्वर से इन बहाई महिलाओं को सुनियोजित रूप से निशाना बनाए जाने, व्यापक गिरफ्तारियों और उनके खिलाफ जारी उल्लंघनों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
जेनेवा — 20 जनवरी 2025 — 18 संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक दल ने ईरान में बहाई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के सुनियोजित उत्पीड़न में हुई स्पष्ट “वृद्धि” को लेकर अपनी गहरी चिंता प्रकट करते हुए 23 दिसंबर 2024 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। यह विज्ञप्ति 18 विशेषज्ञों द्वारा ईरान की सरकार को संबोधित उस संयुक्त आरोप पत्र के बाद सामने आई है जिसमें उन्होंने ईरान द्वारा बहाई महिलाओं को असंगत रूप से निशाना बनाए जाने की घोर भर्त्सना की है।
विशेषज्ञों ने इस बात को रेखांकित किया है कि बहाई महिलाएं राज्य द्वारा प्रायोजित उत्पीड़न की मुख्य निशाना बनी हुई हैं। उन्हें मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किया जा रहा है, जबरन गायब किया जा रहा है, उनके घरों पर छापे मारे जा रहे हैं और उनकी बुनियादी आज़ादी पर लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि बहाई महिलाओं को दोतरफा उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है – एक तो बहाई होने के नाते और दूसरा महिला होने के कारण। उन्होंने यह भी आशंका जाहिर की कि महिलाओं पर हो रहे इन हमलों की उग्रता आगे भी जारी रह सकती है और वे अधिक व्यापक हो सकते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि “ईरान में महिलाओं को निशाना बनाए जाने तथा लैंगिक समानता की चुनौतियों के व्यापक परिप्रेक्ष्य में, बहाई महिलाओं के विरुद्ध उत्पीड़न में यह घोर वृद्धि अत्यंत चिंताजनक है।”
31 जुलाई 2024 को, इन विशेषज्ञों ने ईरान के इस्लामी गणराज्य को संबोधित अपना संयुक्त आरोप पत्र प्रकाशित किया जिसमें हाल के दिनों में बहाई महिलाओं के खिलाफ हमलों में हुई वृद्धि पर चिंता जताई गई। पत्र में इन महिलाओं द्वारा झेले जा रहे भेदभाव की बहुपक्षीय प्रकृति की ओर इशारा किया गया और गिरफ़्तारियों, उत्पीड़न और अन्यायपूर्ण रूप से कैद में रखे जाने की घटनाओं को तुरन्त रोकने का आह्वान किया गया।
अपने आधिकारिक उत्तर में ईरान की सरकार ने इन चिंताओं को निराधार बताते हुए खारिज़ कर दिया। इससे ईरान में बहाई महिलाओं की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए बढ़ते हुए संकट को लेकर मानवाधिकार विशेषज्ञों के बीच गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है।
उल्लेखनीय है कि ईरान में बहाई महिलाओं को एक ऐसी सरकार द्वारा जो बहाई धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने 45 साल के सुनियोजित अभियान को लगातार जारी रखे हुई है, संरचनात्मक, सांस्कृतिक और शारीरिक हिंसा के बढ़ते हुए स्तरों का सामना करना पड़ रहा है जिनसे शिक्षा और रोजगार से लेकर बुनियादी आजादी तक उनके जीवन के हर पहलू प्रभावित हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने कहा कि “इससे उन लोगों का समूह प्रभावित हो रहा है जो विभिन्न क्षेत्रों में बहुपक्षीय भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं: महिला होने के नाते और बहाई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में।”
विशेषज्ञों के अनुसार, बहाई महिलाओं पर हो रहे हमले गंभीर और बहुआयामी हैं, जिनके अंतर्गत उन्हें पूछताछ के लिए बुलाना, निजी सम्पत्ति को ज़ब्त करना, आने-जाने पर पाबंदी, लंबे समय तक हिरासत में रखना और यातना दिए जाने की घटनाएं शामिल हैं। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि ईरान के बहाई कैदियों में से लगभग दो-तिहाई बहाई महिलाएं हैं जिनमें से कई को बिना किसी उचित प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया है और उनका ठिकाना अज्ञात है।
अक्टूबर 2024 से, इस्फ़हान शहर में 10 बहाई महिलाएं जैसे मामलों के बाद से विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं। इन महिलाओं को कुल मिलाकर 90 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी। विशेषज्ञों के वक्तव्य में ये आरोप भी शामिल थे कि इन महिलाओं को मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किया गया था और दौलताबाद जेल में उन्हें यातनाएं दी गई थीं।
संयुक्त राष्ट्र, जेनेवा, में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय (बीआईसी) की प्रतिनिधि सिमिन फ़हांदेज ने कहा कि “बहाई महिलाओं को निर्दयतापूर्वक निशाना बनाए जाने से न केवल व्यक्तिगत जीवन बिखर जाता है, बल्कि परिवार और समुदाय का ताना-बाना भी क्षीण हो जाता है। यह ईरान की सरकार द्वारा बहाइयों की गरिमा और मानवीयता को तार-तार करने के सुनियोजित अभियान की स्पष्ट याद दिलाता है। हर अन्यायपूर्ण गिरफ़्तारी, एक मां को उसके बच्चे से अलग करने का हर कृत्य, उस समुदाय को दिया गया एक दर्दनाक घाव है जिसका एकमात्र ‘अपराध’ उनकी धार्मिक मान्यता है।”
बार-बार की गई अपीलों के बावजूद, ईरान की सरकार द्वारा कोई भी सार्थक उत्तर न दिए जाने को ध्यान में रखते हुए, बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, मानवाधिकार संगठनों और अन्य लोगों से आग्रह करता है कि वे बहाई समुदाय के खिलाफ़ मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए 24 जनवरी को ईरान की आगामी विश्वव्यापी आवधिक समीक्षा के अवसर को शामिल करते हुए ईरान की सरकार पर दबाव डालें। जरूरी है कि इस्लामी गणराज्य अब मानवाधिकार के सुनियोजित उल्लंघनों को समाप्त करे और उन बहाई महिलाओं की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे जो बिना किसी न्यायोचित प्रक्रिया के जेल में बंद हैं।
सुश्री फ़हांदेज ने कहा: “ईरान की सरकार पूरे समुदाय पर केवल उनके धर्म के आधार पर यह व्यर्थ और अमानुषिक व्यवहार कब तक जारी रखना चाहती है? यह नई संयुक्त राष्ट्र प्रेस विज्ञप्ति, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों का संयुक्त वक्तव्य और अन्य अनगिनत संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय बयान और निंदाएं एक ही तथ्य की ओर इशारा करते हैं: इस्लामिक गणराज्य का आह्वान किया जाता है कि वह इ्स सवाल का उत्तर दे। वह अब अपने झूठों, अपने निराधार आरोपों और एक निर्दोष समुदाय के साथ दुर्व्यवहार करने की अपनी खोखली दलीलों के पीछे नहीं छिप सकता है। उनके साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार का एक ही कारण है और वह है उनका धर्म। ईरान की सरकार को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के आह्वान पर ध्यान देना चाहिए और 45 साल पहले शुरू की गई यातनाओं और भेदभाव के दुष्चक्र को समाप्त करना चाहिए – आज और अभी!”
पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र के 18 विशेष प्रतिवेदक, जिनमें से हर कोई मानव अधिकार से जुड़े विशिष्ट क्षेत्रों में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ है, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के मानकों को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध सामूहिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। धर्म की स्वतंत्रता से लेकर लैंगिक समानता तक के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाले ये विशेषज्ञ बहाई महिलाओं के खिलाफ ईरान की सरकार द्वारा चलाए जा रहे दमन-चक्र की निंदा करने के लिए एकजुट हुए हैं।
इस शोषण को समाप्त करने के लिए एक संयुक्त आह्वान जारी करके, वे बहाई महिलाओं के खिलाफ बहुपक्षीय भेदभाव को रेखांकित करते हैं – न केवल महिलाओं के रूप में बल्कि एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में भी। उनकी त्वरित अपील में ईरान सरकार की जिम्मेदारी पर जोर दिया गया है कि वह मानव अधिकार से जुड़े अपने दायित्वों पर कायम रहे और देश भर में बहाई लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले सुनियोजित उल्लंघनों को बंद करे।
दिसंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपना नवीनतम प्रस्ताव पारित किया जिसमें बहाई और अन्य अल्पसंख्यकों या हाशिए पर पड़े समूहों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए इस्लामिक गणराज्य की आलोचना की गई।
अब्दुर्रहमान बोरोमंद सेंटर, ईरान में मानवाधिकारों पर नए विशेष प्रतिवेदक प्रोफेसर मेई सैटो और धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर विशेष प्रतिवेदक प्रोफेसर नाज़िला घानिया सहित संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों द्वारा हाल ही में जारी की गई एक नई रिपोर्ट आउटसाइडर्स: इस्लामी गणराज्य ईरान में बहाई लोगों के खिलाफ बहुआयामी हिंसा में ईरान द्वारा बहाई समुदाय के सुनियोजित दमन, विशेष रूप से बहाई महिलाओं को निशाना बनाए जाने, का मुद्दा उठाया गया है।