जनवरी में जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं. तभी से अतरंगी फैसले लिए जा रहे हैं. उन्होंने पहले एक झटके में पूरी दुनिया को टैरिफ की जद में झोंक दिया. इससे अमेरिका सहित दुनिया के बाजारों को काफी नुकसान हुआ. हालांकि, अमेरिका को नुकसान होता देख उन्होंने अपने फैसले को पॉज किया था और सभी देशों को 9 जुलाई 2025 तक की डेडलाइन दी थी. अभी हाल ही में उन्होंने उस डेडलाइन पर बात करते हुए कहा कि उसे आगे बढ़ा भी सकते हैं, नहीं भी बढ़ा सकते हैं. ट्रंप का रुख टैरिफ पर क्या होगा. इसका असर दुनिया की ट्रेड इकोनॉमी पर क्या होगा. आइए समझते हैं.
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डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के ‘संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स’ प्रोग्राम में मारिया बार्टिरोमो के साथ इंटरव्यू में कुछ अहम बातें कहीं. ये इंटरव्यू शुक्रवार को रिकॉर्ड हुआ था. ट्रंप ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे इसकी ज़रूरत पड़ेगी, लेकिन मैं कर सकता हूं, ये कोई बड़ी बात नहीं. उन्होंने ये भी बताया कि भारत उन देशों में से एक है, जो एक ट्रेड डील को फाइनल करने के करीब है. ये भारत के लिए बहुत मायने रखता है.
शुक्रवार को इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि उनका प्रशासन ट्रेड डील की समय सीमा को अपने हिसाब से बढ़ा या घटा सकता है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं समय सीमा को और छोटा करना चाहता हूं. मैं सबको लेटर भेजना चाहता हूं कि ‘बधाई हो, आप 25% टैक्स दे रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले
इस साल की शुरुआत में ट्रंप और उनकी टीम ने कई देशों के साथ ट्रेड डील्स के लिए बड़े प्लान बनाए थे. उनका कहना है कि वो ट्रेड घाटे को कम करने और बिजनेस में आने वाली रुकावटों को हटाने के लिए कई देशों से बात कर रहे हैं. हालांकि, ये साफ नहीं है कि प्रशासन जो ट्रेड डील्स करना चाहता है, वो कितने बड़े या व्यापक होंगे. ट्रंप ने ब्रिटेन के साथ एक डील को काफी बड़ा बताया है, लेकिन उसमें भी कई जरूरी मुद्दे अभी सुलझे नहीं हैं. हाल ही में चीन के साथ हुई डील में भी फेंटेनल की तस्करी और अमेरिकी निर्यातकों की चीनी मार्केट तक पहुंच जैसे सवाल अभी बाकी हैं.
टैरिफ का असर
अगर ट्रंप टैरिफ में रियायत नहीं देते हैं और सभी देशों पर तय टैरिफ झोंक देते हैं, तो भारत सहित दुनिया के देश इससे प्रभावित होंगे. टैरिफ बढ़ने से अपने सामान को अमेरिका में बेंचना महंगा होगा, उनकी बिक्री में गिरावट आ सकती है और अगर बिक्री में गिरावट आई तो इसका सीधा असर एक्सपोर्ट करने वाले देशों की इकोनॉमिक सेहत पर पड़ेगा.
