आज के समय में इंसान दो बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है. एक है दवाओं के प्रति बढ़ता रेजिस्टेंस और दूसरा है ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के कारण होता है. पहली समस्या यह है कि कई बैक्टीरिया और फंगस ने दवाओं के खिलाफ लड़ना सीख लिया है, जिससे इलाज मुश्किल हो गया है. दूसरी तरफ, फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर की सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिल की बीमारियां और कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं. इन समस्याओं के इलाज के लिए एंटीऑक्सीडेंट बहुत जरूरी है. एलोपैथी में इसके लिए कई दवाएं हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चमेली में ऐसे कई गुण हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं और इसमें अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं. चमेली के फायदों के बारे में पतंजलि शोध संस्थान ने रिसर्च की है.
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रिसर्च में बताया गया है कि आयुर्वेद में उपयोग होने वाला चमेली (Jasminum) का पौधा एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस दोनों से लड़ सकता है. यह इन दोंनों समस्याओं का काबू में कर सकता है.चमेली के अलग-अलग प्रकार है. जो बैक्टीरिया, फंगस और फ्री रेडिकल्स से बचाने में काफी मदद कर सकते हैं. रिसर्च के मुताबिक, यह औषधीय पौधा सुरक्षित और असरदार दवा स्रोत हो सकते हैं. पौधों में पाए जाने वाले तत्व टैनिन्स, अल्कलॉइड्स, फिनोलिक्स और फ्लेवोनॉयड्स, बैक्टीरिया और फंगस पर गहरा असर डालते हैं. इनको काबू में करते हैं और इनसे शरीर को होने वाले नुकसान को भी कम करते हैं.
फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
हमारा शरीर खुद भी ऑक्सीजन के जरिए फ्री रेडिकल्स बनाता है, जो एक हद तक तो शरीर के लिए जरूरी होते हैं, लेकिन अगर ये ज्यादा बन जाएं तो ये हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं. फ्री रेडिकल्स के ज्यादा बनने से DNA टूटता है, प्रोटीन खराब होते हैं और वसा पर ऑक्सीडेटिव असर पड़ता है. यह कैंसर, दिल की बीमारियों और उम्र से जुड़ी कई समस्याओं की जड़ है. कैंसर का एक बड़ा कारण फ्री रेडिकल्स ज्यादा बनना ही है. चमेली के पौधों से मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स इस स्थिति को काफी हद तक ठीक कर सकते हैं. जैसे, Prunus domestica और Syzygium cumini जैसे फलों में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर सकते हैं.
चमेली के गुण
चमेली का पौधा Oleaceae फैमिली का हिस्सा है और इसकी दुनिया भर में करीब 197 प्रजातियां पाई जाती हैं. चमेली के फूलों की खुशबू तो सबको भाती है, लेकिन आयुर्वेद में इसके औषधीय गुण भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. चमेली के फूल का इस्तेमाल त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, आंखों के विकारों में किया जाता है. वहीं, इसकी पत्तियों का उपयोग स्तन कैंसर जैसी बीमारियों में मददगार होते हैं. जबकिजड़ें मासिक धर्म की अनियमितता में काम आता है.
कुछ मुख्य प्रजातियां और उनके उपयोग
Jasminum officinale — दर्द निवारक, मूत्रवर्धक, अवसादरोधी
Jasminum grandiflorum — खांसी, हिस्टीरिया, गर्भाशय के रोग
Jasminum sambac — कामोत्तेजक, एंटीसेप्टिक, सर्दी-जुकाम में लाभकारी
दुनियाभर में चमेली का फैलाव
चमेली मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में पाई जाती है, जैसे भारत, चीन, प्रशांत द्वीप आदि. इसके अलावा इसे यूरोप, अमेरिका और कैरेबियन देशों में भी उगाया गया है.
कुछ महत्वपूर्ण खोजें
Jasminum azoricum के पत्तों के एसिटोन एक्सट्रेक्ट ने Staphylococcus aureus के खिलाफ सबसे ज्यादा 30 mm का निषेध क्षेत्र (inhibition zone) दिखाया. Jasminum syringifolium के मेथनॉल एक्सट्रेक्ट ने Shigella flexneri के खिलाफ 22.67 mm निषेध क्षेत्र दिखाया. वहीं, Jasminum brevilobum के पत्तों से निकले तत्व ने S. aureus के खिलाफ सबसे कम MIC (0.05 µg/mL) दिखाया, यानी बहुत थोड़ी मात्रा में ही असरदार. इन परिणामों से यह साबित होता है कि चमेली की विभिन्न प्रजातियां नए एंटीबायोटिक विकल्प के रूप में उभर सकती हैं, खासकर उन संक्रमणों के लिए जहां सामान्य दवाएं फेल हो चुकी हैं.
चमेली की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता
चमेली के पौधे सिर्फ संक्रमण से ही नहीं लड़ते, बल्कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के खिलाफ भी ढाल का काम करते हैं. Jasminum grandiflorum और Jasminum sambac जैसे पौधे उन विभिन्न जैविक मापदंडों (parameters) को सामान्य करते हैं जो फ्री रेडिकल्स के कारण बिगड़ जाते हैं.
