रेलवे ट्रैक की मरम्मत में लापरवाही बरती गई। ट्रेन गुजरने के बाद सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने स्टेशन मास्टर मोतीगंज को कॉशन का मेमो दिया। पटरी में गड़बड़ी के बावजूद साइट पर सुरक्षा व्यवस्थाएं नहीं की गईं। गोंडा-गोरखपुर रेलखंड पर मोतीगंज-झिलाही स्टेशन के बीच चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस डिरेलमेंट को लेकर रेलवे की संयुक्त जांच रिपोर्ट में शनिवार को ये तथ्य सामने आए।
हादसे के चलते तीन मीटर पटरी फैल गई थी, जिससे पावर जेनरेटर कार का पहिया उतरा गया था। लोको पायलट ने झटका लगने पर इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया था। उस वक्त करीब 86 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेन दौड़ रही थी। इमरजेंसी ब्रेक लगने पर ट्रेन चार सौ मीटर दूर जाकर रुकी।
इससे 19 बोगियां पटरी से उतर चुकी थीं। इस सेक्शन पर ट्रेन को 30 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने का कॉशन दिया जाना था, जिसे देरी से दिया गया। इसके कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को सतर्क होने तक का समय नहीं मिला। रेलवे की संयुक्त रिपोर्ट में इंजीनियरिंग अनुभाग की ऐसी ही गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
बयान पर तैयार की गई रिपोर्ट
घटना की प्रारंभिक जांच के लिए ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवे मनकापुर पीके सिंह सहित छह अधीक्षकों के बयान दर्ज किए गए। ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन, सहायक लोको पायलट राज और ट्रेन मैनेजर विश्वजीत सरकार के भी बयान लिए गए।
डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस के बेपटरी होने के कारणों की सीआरएस ने शुरू कर दी है जांच
उधर, डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस के बेपटरी होने के कारणों की सीआरएस ने जांच शुरू कर दी है। इस बीच रेल कर्मचारियों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि पटरी कमजोर होना भी हादसे की एक वजह हो सकती है। चर्चा है कि इस खंड के कीमैन ने पटरी कमजोर होने की बात कही थी, लेकिन अफसर नहीं चेते।
