जयपुर, 27जुलाई 2024। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विषुद्ध सागर के परम प्रभावक षिष्य मुनिश्री 108 समत्व सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि परिणामों के परिणाम से आज तक यह जीव अनभिज्ञ है,इसी कारण यह जीव जगत में परिभ्रमण कर रहा है। परिणामों के परिणाम मिलते है,यह आज तक किसी भी जीव को पता नहीं है। आज हम जिस स्थिति में उसी स्थिति में रहे तो जहां है,वहां रहे,तो वहां परिणाम और आज अच्छे हो सकते हो।जो व्यक्ति बिना विचारे काम करता है तो वह सदैव सुखी रह सकता है। बिना विचारे कार्य करेंगे तो हमारी स्थिति सुधरेगी नहीं,बल्कि बिगड़ेंगे,इसलिए अपनी स्थिति सुधारने के लिए अपने परिणामों को विषुद्ध व निर्मल बनाने की आवष्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि जो बाहर से अच्छा दिखता है,वह अच्छा हो यह जरूरी नहीं है।
जीवन हर क्रिया की प्रतिक्रिया बराबर अच्छी यह बुरी होती है। यह प्रतिक्रिया है आज की नहीं है बल्कि त्रैकालिक है। दुखी होने कारण प्रतिक्रिया है। कूटनीतिज्ञ वाला व्यक्ति सदैव अपना भला चाहता हे। धर्मनीति व्यक्ति वाला यही सोचता है कि मेरा भी भला हो और साथ में दूसरों का भी भला है।राग-द्वेष के परिणाम जो होते है वो बिना कूटनीति के नहीं होते है। यह जीव संसार में साम,दाम और दंड की नीतियों में फंसा हुआ है। जिन शासन की प्रभावना एक जन कितनी कर पाएगा और वहीं 14 जगह होगी तो कितनी कर पाएगी अगर सभी को एक मंच पर लाकर की जाएगी तो वह हो जाएगी जिनधर्म की प्रभावना लेकिन ऐसा सोचने वाले व्यक्ति बिरले ही है। जीवन में यदि सुखी रहना चाहते हो तो दूसरों को सुखी होना सीख लो तो आप स्वयंमेव सुखी हो जाओंगे।
मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार जैन मटरू व मंत्री जगदीष चन्द जैन ने बताया कि महाराजश्री के शनिवार को प्रवचन सुबह 8.15 बजे होंगे।