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February 10, 2025 12:12 am

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इस बार म‍िलेंगे दो लाख करोड़……..’ऐसा क्‍या हुआ क‍ि RBI फ‍िर भर रहा मोदी सरकार का खजाना…….

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से अगले वित्तीय वर्ष में सरकार को एक और बड़ा डिविडेंड ट्रांसफर किये जाने की उम्‍मीद है. यह ट्रांसफर मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने के कारण हो सकता है, ताकि रुपये की गिरावट को रोका जा सके. ईटी की खबर के अनुसार IDFC फर्स्ट बैंक आरबीआई (RBI) इस साल 2 लाख करोड़ (23.1 बिलियन डॉलर) का ट्रांसफर कर सकता है. वहीं क्‍वांटइको रिसर्च का अनुमान है कि यह राशि डेढ़ लाख करोड़ के करीब होगी. इससे पहले आरबीआई ने मई 2024 में सरकार का खजाना भरते हुए 2.11 लाख करोड़ का डिविडेंड द‍िया था.

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आरबीआई का डिविडेंड कैसे ट्रांसफर होता है?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को सरकार को हर साल कुछ पैसा देना होता है. यह पैसा आरबीआई (RBI) को अपने निवेश से होने वाले मुनाफे, डॉलर के मूल्य में बदलाव से होने वाले फायदे और नोट छापने से मिलने वाले शुल्क से मिलता है. आरबीआई अपने पास थोड़ा पैसा रखता है ताकि वह मजबूत हो सके, लेकिन ज्यादातर पैसा सरकार को दिया जाता है. हालांकि, इस राशि को RBI के केंद्रीय बोर्ड की तरफ से मई में पुष्टि की जाती है. लेकिन सरकार इसे अपने बजट के लिए पहले से अनुमान लगा लेती है.

इकोनॉमी के ल‍िए डिविडेंड क्यों जरूरी?

सरकार को इस डिविडेंड से बड़ी राहत मिल सकती है. देश की इकोनॉमी अभी ठीक नहीं चल रही है. लोगों की खरीदारी कम हो रही है, कंपनियां कम निवेश कर रही हैं और सरकार को उतना टैक्स भी नहीं मिल रहा है. ईटी की खबर के अनुसार बार्कलेज बैंक की इकोनॉम‍िस्‍ट आस्था गुडवानी (Aastha Gudwani) का कहना है कि आरबीआई (RBI) से मिलने वाले इस फायदे से सरकार को कुछ राहत मिलेगी. इससे कंपनियों से म‍िलने वाले कम टैक्स और सरकारी कंपनियों की बिक्री से कम पैसा मिलने का नुकसान कुछ हद तक पूरा हो सकेगा.

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की अनुभूति सहाय (Anubhuti Sahay) का मानना है कि सरकार को आरबीआई से मिलने वाले इस फायदे पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ रहा है. यह देश की कुल इकोनॉमी का करीब 0.5% से 0.55% के बीच है. सामान्य तौर पर यह 0.1% से 0.4% के बीच ही रहता है. पिछले साल रुपये में गिरावट रोकने के लिए आरबीआई (RBI) ने बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे हैं. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अनुसार, अप्रैल से नवंबर के बीच आरबीआई ने 196 अरब डॉलर बेचे, जबकि पिछले साल इसी अवधि में उसने 113 अरब डॉलर बेचे थे. अनुभूति सहय का अनुमान है कि मार्च तक पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 250 अरब डॉलर हो सकता है.

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