आरक्षण को लेकर देश-विदेश में अलग-अलग तेवर देखने को मिल रहे हैं. मराठा आरक्षण को लेकर जहां महाराष्ट्र में मनोज जरांगे पाटिल हालिया दौर में अनशन करते हुए दिखे हैं वहीं 16 जुलाई को बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के एक फैसले पर बवाल कट गया और छह लोग मारे गए. इन सबके बीच कर्नाटक सरकार ने नौकरियों में आरक्षण को लेकर एक विधेयक को मंजूरी दी है. दरअसल राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में निजी कंपनियों में ग्रुप-सी और डी के पदों के लिए कर्नाटक वासियों को शत-प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने यह जानकारी दी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया. उन्होंने कहा, ‘मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई.’ विधि विभाग के सूत्रों के अनुसार विधेयक विधानसभा में गुरुवार को पेश किया जाएगा.
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें होंगी लागू
इसके साथ ही मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में एक जुलाई, 2022 से मूल वेतन में 58.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी. वेतन और पेंशन में संशोधन, इस साल एक अगस्त से लागू होगा और मकान किराया भत्ते में 32 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
सिद्धरमैया ने बयान में कहा कि आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों के वेतन, वेतन-संबंधी भत्ते और पेंशन में एक अगस्त, 2024 से संशोधन किया जाएगा, जैसा कि 15 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था. उन्होंने कहा कि इसके अनुसार, एक जुलाई, 2022 तक कर्मचारी के मूल वेतन में 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता और 27.50 प्रतिशत फिटमेंट जोड़कर वेतन और पेंशन को संशोधित किया जाएगा.
बयान में कहा गया है, ‘इससे कर्मचारियों के मूल वेतन और पेंशन में 58.50 प्रतिशत की वृद्धि होगी. मकान किराया भत्ते में 32 प्रतिशत की वृद्धि होगी.’ सिद्धरमैया के अनुसार, ‘कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 17,000 रुपये से बढ़कर 27,000 रुपये हो जाएगा. अधिकतम वेतन 1,50,600 रुपये से संशोधित कर 2,41,200 रुपये किया जाएगा. कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन 8,500 रुपये से बढ़ाकर 13,500 रुपये और अधिकतम पेंशन 75,300 रुपये से संशोधित कर 1,20,600 रुपये की जाएगी.’
उन्होंने कहा कि यह संशोधन विश्वविद्यालयों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों, सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों और स्थानीय निकायों के कर्मचारियों पर लागू होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वेतन संशोधन से प्रतिवर्ष 20,208 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा और वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में आवश्यक बजटीय प्रावधान किए गए हैं.
राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन की मांगों को पूरा करने के लिए 19 नवंबर, 2022 को सातवें राज्य वेतन आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने इस साल 24 मार्च को अपनी रिपोर्ट पेश की.