जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर पर्यावरण परिसंवाद सप्ताह के तीसरे दिन का विषय “प्रदुषण से धरती को सबसे ज्यादा खतरा है ” पर आई आई टी इंदौर की सयोंजक डॉ अंजलि सुहास जोशी , स्टाफ और स्टूडेंट से डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने परीसंवाद किया | मिट्टी ,पानी और जैव विविधता के संरक्षण और सिंगल यूस प्लास्टिक और डिस्पोजेबल निषेध करने पर बात की गयी | आई आई टी इंदौर के अध्यापक, छात्रों से पृथ्वी को पुनर्स्थापित करने के लिए जागरूक किया |
डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए प्रार्थना के साथ की शुरुआत की | फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री वीरेंदर गोयल ने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया 22 अप्रैल पृथ्वी दिवस की थीम “प्लेनेट बनाम प्लास्टिक“ की थीम से बात शुरू की एवं विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम “भूमि बहाली मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन “ के विषय को आगे बढ़ाते हुए यह सन्देश दिया की जमीन पर प्लास्टिक का किस प्रकार अतिउपयोग हो रहा हैं और बताया की 5 एम एम से नीचे के बैग को उपयोग नहीं करना चाहिए ,उपयोग करो और फेंक दो वाली पद्धति को बंद करना चाहिए | किसी भी तरह से प्लास्टिक का उपयोग करना न ही उपादन कर्ता बनाना और उपयोग कर्ता उसका उपयोग करना बंद करेगा | यह हम सबको एक नागरिक होने के नाते इन बातो का ध्यान रखना होगा वहीं कुल्हड़ को लेकर बताया की ऊपरी मृदा से इसे बनाते हैं जिससे मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव जंतु का विनाश हो जाता साथ ही ऊपरी मृदा की कमी हो रही है और कुल्हड़ का निम्नीकरण होने में हजारो वर्ष लगते है | इस तरह की चीजों की जगह हमे स्टील की पानी बॉटल , क बर्तन कपडे के थेले जैसी सस्टेनेबल चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए |
डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने बताया की 1985 में वह इंदौर आयी और 6 एकड़ बंजर जमीन को किस तरह पुनर्स्थापित किया| बारिश से पूरी जमीन में पानी भर जाता था आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं बचता था, वहां सिर्फ 6 -7 पेड़, और एक सूखा कुआँ था 26 वर्ष बाद सेवानिवृति के समय 900 पेड़, सोलर किचन, रेन वाटर सिस्टम से पुरे कैंपस को रिस्टोर कर हराभरा कर दिया| इसके अलावा झाबुआ जिले के 302 आदिवासी गाँवों में 302 राते गुजारकर नारु बीमारी को एक भीली नाटक मंडली की सहायता से भीली भाषा में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता फैलाकर लोगो ने समझ कर समाप्त किया जनक दीदी ने गाँव में देखा की महिलाये खाना बंनाने के लिए लकडिया लेने के लिए जंगल जाती है जहा उनका शारीरिक शोषण होने का खतरा रहता था और चूल्हे में लकड़ी जलाकर धुंए में खाना बनती है | तब बरली संस्थान में 6000 लड़कियों को स्किल ट्रेनिंग, सोलर कुकिंग सिखा| सशक्त बनाया | इस कार्य के लिए प्रथ्वी सम्मेलन 1992 me उन्हें यू एन ई पी ग्लोबल 500 अवार्ड के लिए रिओ डे जेनीरो आमंत्रित किया सेवानिवृति के बाद सनावदिया ग्राम में आधा एकड़ बंजर टेकरी पर सस्टेनेबल निवास स्थान बनाया जिसके इंजिनीर, आर्किटेक्ट ,कांट्रेक्टर , सभी निर्माण कार्य उनके पति जिम्मी मगिलिगन ने स्वयं किया | गांव की दो महिलाये जो साथ निर्माण कार्य में सहायता प्रदान कर रही थी, रत में अँधेरा ज्यादा हो जाने के कारण जब उन्होंने कहा की रास्ते में अँधेरा होने से सांप और आदमी का डर रहता हे, तब जिम्मी सर ने घर क पास बस्ती में रहने वाले 50 परिवारों क लिए रास्ते में 19 सोलर स्ट्रीट लाइट लगाई| दुर्भाग्यवश जिम्मी सर का एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया | पति जिमी मगिलिगन के निधन के बाद उनके नाम से जिमि मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शुरुआत की |
आई आई टी इंदौर 2014 बैच के पास आउट छात्र रोहित अग्रवाल और ज्वलंत शाह ने बताया की किस प्रकार जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर प्रयवार्ण परिसंवाद के दौरान वर्कशॉप अटेंड करने के बाद उन्हें जीरो वेस्ट स्टार्टअप का आईडिया आया और उन्होंने 8 साल पहले स्वाहा कंपनी की शुरुआत की | अमरनाथ यात्रा में सोलर कुकिंग लंगर लगाया ,वहां से प्लास्टिक वेस्ट को नीचे लाकर रीसायकल किया आज स्वाहा पुरे देश में पोर्टब्लेयर से लेकर नार्थईस्ट तक अपनी सेवा दे रही हैं | 2024 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान वाटर एटीएम (प्याऊ) सुविधा प्रदान करेंगे |
कार्यक्रम के मुख्य आई आई टी (बी एच यू और हैदराबाद) के भूतपूर्व डायरेक्टर प्रोराजीव संगल ने कहा की तापमान बढने का सबसे बड़ा कारण ,प्रदूषण है इसके लिए मनुष्य और तकनीकी दोनों सामूहिक रूप से दोषी है| पानी के स्त्रोतों को हमने गन्दा कर दिया है बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था के लिए | व्यक्ति असीम सम्भावनाओ के साथ आया है जिस दिन हम समझ जायेंगे उस दिन हम सबकुछ ठीक कर सकते है | तकनिकी ,अर्थव्यवस्था ,मन का भाव ,पर्यावरण इन चारो को जोड़ कर सबकुछ करना होगा अभी
कार्यक्रम की विशेष अतिथि आई आई टी इंदौर की संयोजक डॉ अंजलि सुहास जोशी मैडम ने जनक दीदी को धन्यवाद दिया, और कहा की उनके पूर्व छात्र रोहित और ज्वलंत पर उन्हें बहुत गर्व है | वह आई आई टी कैंपस में भी जनक दीदी के मार्गदर्शन में स्वाहा की सहायता से सस्टेनेबल कैंपस और सोलर कुकिंग प्रोजेक्ट करना चाहती है और दूसरे छात्रों को भी उनसे प्रेरणा मिल सके | इंदौर के स्नायुरोग विशेषग्य डॉ अपूर्व पौराणिक ने बताया की मेडिकल साइंस ने प्रमाणित कर दिया कि बहुत मरीजों की सर्जरी करने के बाद उनके गले के पास से मिक्रोप्लासट निकले है प्लास्टिक जान लेवा है | कार्यक्रम में उपस्थित थे एनर्जी वेज्ञानिक प्रो रामेश्वर साहनी, श्री वीरेंदर गोयल जी , आई आई टी इंदौर का समस्त स्टाफ और छात्र, श्री राजीव संगल जी की पत्नी और बेटी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ शेफाली, मॉस्टर ऑफ़ सोशल वर्क से इंटर्न निलेश चौहान, पूजा अहिरवार, बी ऐ इकोनॉमिक्स के इंटर्न सिद्धार्थ लोधी | आई आई टी के डिप्टी रजिस्ट्रार सुरेशचंद्र ठाकुर ने आभार प्रकट किया!