सड़क पर ऐसा मंजर मानो कोई बड़ा जलजला आया हो. धू धू कर जलतीं गाड़ियां. कई मीटर तक आग की लहर. हवा के साथ कभी इधर, तो कभी उधर. सड़क पर चीख पुकार. किसी नौजवान की गिरी बुलेट. बिखरा हुआ टिफिन. जलते हुए निकलते लोग. जयपुर हाइवे पर शुक्रवार की सुबह जब गैस से भरा ट्रक शोले उगल रहा था, उन्होंने जो देखा वह रौंगटे खड़े करता है. उन खौफनाक पलों की आंखोंदेखी.
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12 ज़िंदगियां जो घर से किसी मक़सद के साथ निकली थीं, मंजिल तक नहीं पहुंच पाईं. मौत की नींद सो गईं. 40 से ज़्यादा लोगों को ऐसे ज़ख्म मिले, जो शायद जीवन भर ठीक न हो पाए. यह सब कुछ देखना, उसे समझना और उसको रिपोर्ट करना आसान नहीं होता, लेकिन पत्रकार के जीवन का, उसकी दिनचर्या का ये एक हिस्सा है. हालांकि, उम्मीद नहीं थी कि शुक्रवार की सुबह इस तरह की सूचना लेकर आएगी. 7 बजे के आसपास क्राइम रिपोर्टर मुबारिक ख़ान का फ़ोन आया कि जयपुर अजमेर एक्सप्रेस हाईवे पर पेट्रोल पंप के पास टैंकर में आग की सूचना मिली है. तब अंदाज़ा नहीं था कि हादसा इतना भयानक होगा. रेज़ीडेंट एडिटर हर्षा से बात करके टीम को मौक़े के लिए रवाना करने की प्लानिंग हुई, लेकिन तभी ख़बर आई कि हादसा बहुत भयानक है. क़रीब20 गाड़ियां इसकी चपेट में आ गईं हैं और अब लगा कि कैमरा मैन यूनिट का इंतज़ार करने पर देर हो जाएगी. मौक़े पर पहुंचना ज़रूरी था. लिहाज़ा गाड़ी लेकर घटना स्थल के लिए रवाना हुआ.