Explore

Search
Close this search box.

Search

July 27, 2024 4:58 am

Our Social Media:

लेटेस्ट न्यूज़

भारतीय वांग्मय के सबसे बड़े दार्शनिक आदि शंकराचार्य : प्रो. रमाशंकर दूबे

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

‘जगद्गुरु शंकराचार्य व्याख्यानमाला’ का आयोजन

गांधीनगर। सनातन धर्म की स्थापना एवं रक्षा के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने सर्वस्व जीवन दिया। सनातन संस्कृति के मूल्यों को स्थापित कर प्रचार-प्रसार करने के लिए उन्हें भारतवर्ष की पीढ़ियां याद करेगी। ये कहना है, गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) के कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे का। वे आदि गुरु शंकराचार्य व्याख्यानमाला की अध्यक्षता कर रहे थे। भारतीय भाषा समिति (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) एवं सीयूजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य भारतीय वांग्मय के सबसे बड़े दार्शनिक है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता व अखंडता को पुष्ट करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि लोक सिद्धी के लिए किया गया कर्म ही धर्म है। धर्म के कर्तव्य से जोड़ा गया है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आत्मविद्या तीर्थ आनंद के संत श्री अखिल आनंद सरस्वती ने कहा कि भारतवर्ष की एकता एवं एकात्मता में आदि शंकराचार्य का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता को अक्षुण्ण बनाए रखने में उनकी दार्शनिकता का प्रभाव रहा है।

उन्होंने पूरे भारतवर्ष में दो बार भ्रमण कर एकजुट करने का कार्य किया। उन्होंने परमात्मा के साकार या निराकार होने के बारे में भी जानकारी समृद्ध की। उनका मानना था कि परमात्मा साकार है तो सभी जगह नहीं हो सकते, मूर्ति ही परमात्मा है तो ऐसा मानने वाले हमारे देश में करोड़ों लोग है। लेकिन मंदिर के बाहर बैठा भिक्षुक में भी परमात्मा है ये वेदों की दिव्य दृष्टि है। उन्होंने भारत की सन्यास परंपरा को व्यवस्थित करने का कार्य किया है। आचार्य मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ में हराकर मुक्ति के असल अर्थ को समझाया। उन्होंने ही सर्वप्रथम बताया कि मुक्ति सिर्फ स्वयं को जानने में है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारतीय इतिहास समन्वय समिति के राष्ट्रीय सदस्य डॉ. गिरीश ठाकर ने आदि शंकराचार्य के आगमन से पहले भारत में विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों की स्थिति के बारे में चर्चा की। कार्यक्रम के शुरुआत में भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री का वीडियो संदेश दिखाया गया।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बलदेव भाई प्रजापति ने कार्यक्रम की भूमिका एवं रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य का चिंतन राष्ट्र के सभी लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। व्याख्यानमाला के तहत निबंध प्रतियोगिता में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Digitalconvey.com digitalgriot.com buzzopen.com buzz4ai.com marketmystique.com

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर