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विश्व ब्रेन ट्यूमर : ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूकता है जरूरी….
न ट्यूमर दिमाग से जुड़ी हुई एक घातक बीमारी है।जिसका समय रहते पता लगाना और जल्द ही इलाज कराना अत्यन्त आवश्यक है। दुनिया भर में
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ब्रैकीथेरेपी: कैंसर के उपचार में एक अच्छा और प्रभावी विकल्प है…
ब्रैकीथेरेपी कैंसर के सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है, क्योंकि यह सिर्फ कैंसर से प्रभावित सीमित क्षेत्र को टारगेट करता है साथ ही इसकी
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एनएच जयपुर: प्रेस विज्ञप्ति – पिता और पुत्री की एक ही दिन में कार्डियक सर्जरी….
पिता एवं पुत्री ने एक ही दिन में हार्ट सर्जरी करवाकर पाया नया जीवन जयपुर – स्वास्थ्य जगत में बहुत ही कम ऐसे मामले देखने
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नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर ने लीडलेस पेसमेकर की सफल प्रक्रिया से 60 वर्षीय महिला को दिया नया जीवन
जयपुर – आजकल कई कारणों के चलते लोगों में हृदय से संबन्धित कई प्रकार की समस्याएं होना आम बात है। जब हृदय में धड़कन संबंधित दिक्कतें आती हैं तो पेसमेकर की जरूरत पड़ती है यह मरीज की धड़कन को बढ़ाने या कम करने में मदद करता है। राजस्थान के नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के हार्ट रोग विशेषज्ञों ने 60 वर्षीय मरीज रसिका देवी को इसी समस्या के चलते लीडलेस पेसमेकर की सफल प्रक्रिया द्वारा नया जीवन दिया है। इसे नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजी डॉ.अंशु काबरा और कैथ लैब टीम ने सफल बनाया। पेसमेकर इंसर्शन एक छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का प्रत्यारोपण है, जिसे आमतौर पर हृदय की धीमी धड़कन की समस्याओं को ठीक करने लिए छाती में कॉलरबोन के ठीक नीचे रखा जाता है, यह सुनिश्चित करने के लिए पेसमेकर लगाया जा सकता है। हिसार की रहने वाली रसिका देवी को अचानक 2 महीने पहले सिने में दर्द उठा और साथ ही उनकी धड़कन भी काफी कम होने लगी, कुछ दिनों में उन्हें तेज बुखार भी होने लगा। पहले भी वह कई अन्य हॉस्पिटल में गई, यहां तक उन्होंने दिल्ली के भी कुछ हॉस्पिटल्स में दिखाया लेकिन कोई राहत नहीं मिली। फिर उनके मिलने वालों ने उन्हें नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर का सुझाव दिया और उन्होंने यहां अपना इलाज करवाने का निर्णय लिया|नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियोलॉजी कंसलटेंट, डॉ. अंशु काबरा ने बताया कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण केस था, क्योंकि मरीज की उम्र 60 वर्ष थी, जिसे कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज थे, जिसके चलते मरीज ने कुछ महीने पहले राजस्थान के बाहर पेसमेकर लगवाया था। लेकिन किसी वजह से पेसमेकर में इन्फेक्शन हो गया था, जिससे मरीज को बुखार संबंधी दिक्कतें बनी हुई थी, पल्स भी ज्यादा थी और मरीज काफी तकलीफ में थी। जब मरीज नारायणा हॉस्पिटल आई, मरीज़ की जरूरी जांचे करके पेसमेकर को रिमूव किया गया और टेम्परेरी पेसमेकर लगाया। मरीज को लगभग 10 दिनों तक निगरानी में रखा फिर भी बुखार कम नहीं हुआ और कुछ कारणों से फिर से पेसमेकर ने काम करना बंद कर दिया। फिर हमने इस पेसमेकर को भी हटा दिया और मरीज को आईवी एंटीबायोटिक्स पर रखा और चार-पांच दिनों की निगरानी के बाद हमने दाहिनी फीमोरल नस के माध्यम से VDD लीडलेस पेसमेकर लगाया, इस प्रक्रिया में मुश्किल से 10 मिनट लगे इसके बाद से मरीज को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार गोयल ने बताया कि यह जटिल प्रक्रिया हमारे 3डी मोडैलिटी कैथ लैब में की गई, जहां हमने यह प्रक्रियाएं पहली बार एक 60 वर्षीय महिला पर की थी । मरीज की पोस्ट ऑपरेटिव केयर में भी सारी सावधानियों का अच्छी तरह से ध्यान रखा गया। नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर बलविंदर सिंह वालिया ने कहा कि इस प्रक्रिया में मरीज को इंफेक्शन बार बार हो रहा था, ऐसे में हमने बड़ी ही सावधानीपूर्वक लीडलेस पेसमेकर लगाया जिससे मरीज को नया जीवन मिल सका। हमारा प्रयास ऐसे ही सफल प्रक्रियाओं के माध्यम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को लाभ पहुंचाना है।