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July 27, 2024 5:41 am

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Surya Grahan 2024: पूर्ण सूर्य ग्रहण, जब एक पूरे महाद्वीप पर छा गया अंधेरा

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सूरज और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा जब आ जाता है तो ये सूर्यग्रहण कहलाता है: भारत में कल यानी सोमवार रात को जब आप शायद सो रहे थे, तब लाखों लोग दुनिया के एक दूसरे हिस्से में आसमान की ओर गर्दन टेढ़ी किए पूर्ण सूर्य ग्रहण देख रहे थे. सूर्य ग्रहण भारत में तो नहीं दिखा मगर मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा में लाखों लोगों ने इस नज़ारे का लुत्फ़ उठाया. ये ग्रहण पूरे उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में फैला रहा. ये मैक्सिको के समुद्र तट से शुरू होकर कनाडा के न्यूफाउंडलैंड पर खत्म हुआ. ग्रहण का ज़बरदस्त असर नियाग्रा फॉल्स के बादलों पर भी छाया रहा. जिन लोगों ने सूर्य ग्रहण को साक्षात देखा, वो इसे हैरत भरी नज़रों से देख रहे थे. यूं तो भारत में ये ग्रहण देखा नहीं गया मगर कुछ लोगों ने ऑनलाइन इस खगोलीय घटना को देखा.

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सबसे पहले कब दिखा सूर्यग्रहण

मैक्सिको के पश्चिमी तट पर स्थित माजात्लान में स्थानीय समयानुसार दिन में 11:07 बजे यहां सूर्य ग्रहण पहली बार देखा गया. सूर्य ग्रहण के दौरान वो पल भी आया, जिसे रिंग कहा जाता है. यानी आकार कुछ ऐसा बनता है कि लगता है आसमान में कोई अंगूठी चमक रही है. चंद्रमा सूरज की तुलना में पृथ्वी से 400 गुना ज़्यादा क़रीब है, लेकिन चंद्रमा आकार में सूरज से 400 गुना छोटा भी है. टोटलिटी नाम की किताब में लेखक मार्क लिटमैन लिखते हैं कि अगर चंद्रमा डायमीटर में 273 किलोमीटर छोटा होता या दूर होता तो लोग अभी इस तरह का सूर्य ग्रहण देख ही नहीं पाते. इसके चलते ही जब चंद्रमा एक सीधी रेखा के बिंदू के तौर पर सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो यह सूर्य को ढक लेता है और हमें ग्रहण दिखाई देता है. सूर्य ग्रहण को देखने वालों में हर उम्र के लोग रहे. इसमें बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक शामिल थे. हमने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की जो अपने घर से बाहर सूर्य ग्रहण को देखने निकले थे.

सूर्य ग्रहण देखने वाले लोग क्या बोले?

टेक्सास में 11 साल की एडी वॉल्टन किंग हफ़्तों से इस पल का इंतज़ार कर रही थीं. पांचवीं क्लास में एडी ने इस बारे में पढ़ाई की थी. ऐसे में जब सूर्य ग्रहण का पल आया तो वो अपने पापा रयान के साथ स्कूल के मैदान तक पहुंच गईं. एडी बोलीं, ”ऐसा लग रहा था कि जैसे बिना दांत का चांद सूरज को काट रहा हो.” वो बोलीं, ”बहुत अंधेरा हो गया था. ऐसा लगा था कि शाम जैसी होगी पर ये तो काली रात जैसा लगा.” जब सूर्य ग्रहण हुआ तो तापमान कुछ गिर गया. परिंदों की आवाज़ें आना भी बंद हो गईं.

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एडी कहती हैं कि जैसे ही रौशनी फिर से आई, पंछियों ने बोलना शुरू किया. मैं उदास हूं कि सूर्य ग्रहण ख़त्म हो गया. इसके बाद सूर्य ग्रहण अमेरिका के उत्तर पश्चिमी इलाक़ों में दिखा.

सूर्य ग्रहण में शुभ काम

भारत में कुछ लोगों की मान्यताएं हैं कि सूर्य ग्रहण में शुभ काम नहीं करना चाहिए और ईश्वर का नाम लेना चाहिए. मगर पश्चिम में कुछ लोगों की मान्यताएं इससे एकदम अलग हैं. जैसे अमेरिका के राज्य आर्कन्सा में 300 कपल ने तय किया कि जब सूर्य ग्रहण होगा और आसमान में अंधेरा छा जाएगा, ठीक तभी ब्याह करेंगे. लिहाज़ा जैसे ही सूर्य ग्रहण पूरा हुआ, कितने ही लोगों ने शादी का केक काटा, डांस किया कुछ लोग ऐसे भी रहे, जो सूर्य ग्रहण का नज़ारा देखने के लिए अपने घर से दूर की किसी जगह गए थे. डैरकी हॉवर्ड कहती हैं- मैं दो सूर्यग्रहण देख चुकी हूं, हर सूर्य ग्रहण की एक अपनी छाप होती है.

वो बोलीं, ”मैं अपने टेलीस्कोप से ज्यूपिटर, सैटर्न को देख सकती हूं. मैं जब अंतरिक्ष की ओर देखती हूं तो लगता है दुनिया में सब सही है.” ओहायो के क्लीवलैंड में सूर्य ग्रहण का बढ़िया नज़ारा देखने को मिला. हालांकि कुछ अमेरिकी शहर ऐसे भी रहे, जहां ये नज़ारा देखा नहीं जा सक . नियाग्रा फॉल्स में पर्यटकों की भीड़ इस अद्भुत क्षण को देखने के लिए जुटी थी.

नियाग्रा फॉल्स के पास एक क्रूज़ पर 309 लोगों ने कपड़ों के ज़रिए सूरज जैसे दिखने की कोशिश की और गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज किया.

सूर्यग्रहण और इसका असर?

पूरे उत्तरी अमेरिका में पड़ने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान हमें शायद इतनी नाटकीय प्रतिक्रिया न नज़र आए, लेकिन हाल में हुए शोध बताते हैं कि इसके बाद भी विस्मय की भावना पैदा कर यह हमारे मनोविज्ञान पर तगड़ा प्रभाव डाल सकता है. खगोलीय संयोगों से इतर अधिक विस्मयकारी कुछ घटनाए हैं जो हमें पूर्ण सूर्य ग्रहण का अनुभव करने की इजाज़त देती हैं. पूर्ण सूर्य ग्रहण चंद्रमा के सटीक आकार और पृथ्वी से उसकी दूरी पर निर्भर करता है.

सूर्य के सामने से गुज़रने और कुछ क्षणों के लिए उसके प्रकाश को पूरी तरह से रोक देने के लिए चंद्रमा सही कक्षा में होता है. शोध के मुताबिक़, ऐसी आश्चर्यजनक घटना का साक्षी बनना, हम सभी को अधिक विनम्रता और दूसरों की देखभाल करने के लिए प्रेरित कर सकता है. जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक शॉन गोल्डी ने 2017 के ग्रहण के मनोवैज्ञानिक प्रभावों की जांच की थी.

वो कहते हैं, “लोग अधिक जुड़ सकते हैं, वे कह सकते हैं कि उनके दूसरों लोगों के साथ घनिष्ठ सामाजिक संबंध हैं. इसके साथ ही वे अपने समुदाय से अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं.” वैज्ञानिकों की ओर से लंबे समय से उपेक्षित रहा यह क्षेत्र पिछले दो दशक में वैज्ञानिक अध्ययन का फैशनेबल क्षेत्र बन गया है. इसे आश्चर्य और विस्मय की भावना के रूप में परिभाषित किया गया है. टोरंटो विश्वविद्यालय की मनोवैज्ञानिक जेनिफर स्टेलर कहती हैं, “यह एक ऐसी भावना है जिसे आप तब महसूस करते हैं जब आप किसी ऐसी चीज़ का अनुभव करते हैं, जो बहुत बड़ा है और जो दुनिया के बारे में आपके नज़रिए को चुनौती देती है. यह किसी चीज़ या व्यक्ति के प्रति आपकी भावना है, जो इतनी असाधारण है कि वह समझ से परे है.”

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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