इंदौर: एमराल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल के AFS STEM कार्यक्रम के तहत 12 देशों—अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया, मिस्र, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, हंगरी, मैक्सिको और भारत—के छात्रों ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में एक प्रेरणादायक दिन बिताया। यहाँ उन्होंने पद्मश्री जनक पलटा मगिलिगन से सतत विकास के सिद्धांतों को न केवल समझा, बल्कि अनुभव भी किया।
आधे एकड़ में फैले इस सेंटर ने छात्रों को आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। सेंटर की निदेशिका जनक पलटा और उनके दिवंगत पति जेम्स आर. मगिलिगन की विरासत ने छात्रों को सौर ऊर्जा, पवन टर्बाइनों, वर्षा जल संचयन और औषधीय पौधों के उपयोग से प्रेरित किया। सोलर कुकर, प्राकृतिक क्लीनर जैसे अरीठा और वज्रदंती ने प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन का मॉडल पेश किया।
छात्रों ने जनक जी के साथ एक प्रेरक संवाद सत्र में भाग लिया, जहाँ उनकी पावर पॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से सेंटर की स्थापना, बहाई सेवा यात्रा और आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयासों की जानकारी मिली। बरली डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के माध्यम से जनक जी ने अनगिनत महिलाओं को शिक्षा और सम्मान प्रदान किया है। उनकी जीवन यात्रा, जिसमें 1960 के दशक में भारत की पहली ओपन-हार्ट सर्जरी से लेकर कैंसर जैसी चुनौतियों को पार करना शामिल है, ने छात्रों को गहरी प्रेरणा दी।
सत्र के अंत में, जनक जी के शब्द, “हम यह तय नहीं कर सकते कि हम कैसे मरेंगे, इसलिए हमें जीने का सबसे अच्छा तरीका चुनना होगा,” ने छात्रों के दिलों को छू लिया। इस यात्रा ने युवा वैश्विक नागरिकों को सतत जीवनशैली अपनाने और नवाचार के लिए प्रेरित किया। एमराल्ड हाइट्स की अंतर्राष्ट्रीयता प्रमुख सर्वेश्वरी सिंह ने इस अनुभव को जीवन-परिवर्तनकारी बताया और सेंटर के आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया।
जिम्मी मगिलिगन सेंटर ने साबित किया कि सतत विकास असंभव नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रेरणा है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
