राजस्थान के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात लगी भयानक आग ने न केवल आठ मरीजों की जान ले ली, बल्कि सरकारी इमारतों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. घटना के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को तीखी मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कि कहीं आग लग रही है, तो कहीं छत गिर रही है. कोर्ट ने राज्य सरकार को जर्जर सरकारी भवनों की मरम्मत का विस्तृत रोडमैप पेश करने का निर्देश दिया है, अन्यथा मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण के लिए बुलाने की चेतावनी दी. ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो इंटेंसिव केयर यूनिट में रविवार रात करीब 11:30 बजे शॉर्ट सर्किट के कारण लगी आग तेजी से फैल गई. धुएं और आग की लपटें दूसरे माले की खिड़कियों से बाहर निकलने लगी.
मरीजों के तीमारदारों ने तुरंत अलार्म बजाया, लेकिन अस्पताल स्टाफ ने चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और भागने लगे. आग बुझाने वाली पहली गाड़ी 11:45 बजे पहुंची और सात दमकल की मदद से आग पर करीब 1:30 बजे काबू पाया गया. इस हादसे में न्यूरो आईसीयू के छह मरीज दो महिलाएं और चार पुरुष तथा पड़ोसी आईसीयू से दो अन्य मरीजों की मौत हो गई. मरने वालों में पिंटू गुर्जर, जयपुर के दिलीप और बहादुर, तथा भरतपुर के श्रीनाथ, रुकमिणी और कुसुमा शामिल हैं. पांच घायल मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार, मौतें दम घुटने या जलने से हुईं. मृतक पिंटू गुर्जर के भाई विक्रम ने बताया कि धुआं और आग तेजी से फैली. लोग, यहां तक कि स्टाफ भी घबरा कर इधर-उधर भागे. कोई फायर एक्सटिंग्विशर या सेफ्टी उपकरण काम नहीं कर रहा था.
कई पत्र लिखने के बाद भी अधिकारियों ने किया नजरअंदाज
हादसे की जड़ में विद्युत व्यवस्था की लापरवाही सामने नजर आ रही है. ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी ने कई बार उच्चाधिकारियों को शिकायत की थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. हाल ही में डॉ. अनुराग धाकड़ (तत्कालीन ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज) ने विद्युत पैनल की खराबी के बारे में पत्र लिखा था. 3 अक्टूबर को सेंटर इंचार्ज ने फिर चेताया, जबकि 1 अक्टूबर को नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि विद्युत पैनल क्षतिग्रस्त है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसके बावजूद कार्रवाई न होने से यह दुखद घटना घटी. वर्तमान में ट्रॉमा सेंटर पर न्यूरोसर्जरी ऑपरेशन थिएटर बन रहा है, जो सुरक्षा जोखिमों को और बढ़ा रहा था.
हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल और जस्टिस अशोक कुमार जैन ने सोमवार को झालावाड़ के एक स्कूल में जुलाई में क्लासरूम की छत गिरने से हुए हादसे पर स्वेच्छा से दर्ज याचिका की सुनवाई के दौरान एसएमएस ट्रॉमा अग्निकांड का जिक्र किया. झालावाड़ में छत गिरने से सात बच्चे की मौत हो गई थी. बेंच ने कहा कि सरकारी इमारतों में यह क्या हो रहा है? कहीं आग लग रही है, तो कहीं छत गिर रही है. एसएमएस का ट्रॉमा सेंटर तो नया बना है, वहां भी ऐसा हादसा हो गया. कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जर्जर स्कूलों पर किए गए काम की रिपोर्ट से असंतुष्टि जाहिर की.
बेंच ने सरकार को निर्देश दिए कि वह जर्जर स्कूलों पर अब तक खर्च की गई राशि, आगामी बजट, पूरी बजट-प्रक्रिया और काम की प्रक्रिया का रोडमैप 9 अक्टूबर तक पेश करे. अन्यथा, मुख्य सचिव को कोर्ट में बुलाने की चेतावनी दी गई. कोर्ट की अगली सुनवाई में सरकार को रोडमैप तैयार कर बताना होगा कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं. हाईकोर्ट का यह कड़ा रूख न केवल ट्रॉमा सेंटर, बल्कि पूरे राज्य की सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर रही है.
डॉ. मृणाल जोशी एसएमएस अस्पताल के बने नए अधीक्षक
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा घोषित किया. एसएमएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी और ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ को हटा दिया गया, जबकि कार्यकारी अभियंता मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया है. फायर सेफ्टी एजेंसी एसके इलेक्ट्रिक कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर एफआईआर दर्ज की गई. डॉ. मृणाल जोशी को नया एसएमएस अधीक्षक और डॉ. बीएल यादव को ट्रॉमा इंचार्ज बनाया गया. सीएम ने छह सदस्यीय समिति से जांच के आदेश दिए हैं, साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में फायर और सेफ्टी ऑडिट का निर्देश दिया है.
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