जयपुर. कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर का मानना है कि ‘जय श्रीराम’ नहीं बोलने वालों को पीटना हिंदू धर्म नहीं है. हिंदू धर्म से इसका कोई लेना-देना नहीं है. थरूर ने हिंदू धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि हिंदू धर्म जीवन जीने का तरीका है. इसमें कई तरह की मान्यताएं समाहित है. इसमें पूजा अर्चना की छूट दी गई है. हर इंसान अपनी सोच और समझ के अनुसार इसका पालन कर सकता है. हिन्दू धर्म में ईश्वर की प्राचीन धारणा बेहद सरल है.
थरूर राजधानी जयपुर में चल रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) में शामिल होने के लिए रविवार को यहां आए थे. थरूर यहां तीन सत्रों में शामिल हुए. इस दौरान ‘पुरुषार्थ: द फोर वे पाथ’ सत्र में थरूर ने हिंदू धर्म को लेकर प्रचलित धारणाएं और अपने नजरिये के बारे खुलकर बताया. थरूर ने कहा कि चार तरीके हैं जिनसे आप एक अच्छे हिंदू बन सकते हैं. जेएलएफ में थरूर का यह सत्र काफी चर्चा में रहा.
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शशि थरूर ने बताए चार रास्ते
थरूर ने कहा कि पहला ज्ञान योग है जो पढ़ने और ज्ञान के माध्यम से आता है. आप इससे आध्यात्मिक विचारों के बारे में पता लगाते हैं. थरूर बोले जैसा कि मैंने करने की कोशिश की है. दूसरा भक्ति योग है जो कि ज्यादातर लोग करते हैं. फिर राज योग आता है जो कि आंतरिकता, ध्यान और अपने भीतर सत्य की तलाश है. अंत में कर्म योग है. महात्मा गांधी इसके महान अभ्यासी थे. थरूर ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग दुर्भाग्य से हिंदू धर्म के नाम पर दावा करते हैं. वे इसे ब्रिटिश फुटबॉल गुंडे की टीम की पहचान की तरह इसके महत्व को कम कर देते हैं. वे कहते हैं अगर तुम मेरी टीम का समर्थन नहीं करोगे नहीं तो मैं तुम्हारे सिर पर वार करूंगा.
धर्म और धार्मिक स्थलों पर जाने को लेकर कही बड़ी बात
शशि थरूर ने धर्म और धार्मिक स्थलों पर जाने को लेकर भी बेबाकी से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का धर्म क्या है? यह वही तय करेगा न कि कोई राजनीतिक पार्टी. थरूर ने कहा मैं राम मंदिर जाऊंगा, लेकिन कब जाऊंगा? यह मैं तय करूंगा न कि कोई राजनीतिक दल. उन्होंने आगे कहा कि कुंभ मेले में जाने का विचार किया था, लेकिन भगदड़ जैसी घटनाओं के बाद उन्होंने इसे टाल दिया.
पाप करते ही क्यों हो यार?
थरूर ने कहा कि मैं सनातनी हूं और इसके लिए मुझे किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. धार्मिक स्थलों पर मेरा जाना सिर्फ मेरे मन की इच्छा पर निर्भर करता है न कि किसी राजनीतिक फायदे पर. थरूर ने महाकुंभ में स्नान से पाप मिटने के सवाल पर कहा कि ”पाप करते ही क्यों हो यार?” उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक आयोजनों का राजनीतिक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
जेएलएफ देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका है
साहित्य के अनूठे संसार के रूप में देश दुनिया में अलग पहचान बना चुका जेएलएफ जयपुर में आमेर क्लॉर्क्स में चल रहा है. इस फेस्टिवल में दुनियाभर के साहित्यकार, लेखक और विभिन्न क्षेत्रों की जानमानी हस्तियां शिरकत करती है. अपनी भव्यता और विविध थीमों पर आधारित सत्रों के कारण जेएलएफ जयपुर की पहचान बन चुका है. इस बार फेस्टिवल में शामिल होने के लिए ब्रिटेन के पूर्व पीएम ऋषि सुनक भी आए थे. यह जेएलएफ का 18वां संस्करण है.