जून 2025 में भारत का व्यापार घाटा थोड़ा सिकुड़कर 20.7 बिलियन डॉलर पर आ गया, जो मई में 21.9 बिलियन डॉलर था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, सस्ता क्रूड ऑयल, सोने की खरीद में कमी और समझदारी से की गई खरीदारी ने इस घाटे को कम करने में बड़ा रोल निभाया. दुनिया भर में सामान की कीमतें ऊपर-नीचे होने के बावजूद भारत ने अपनी चतुर रणनीति से व्यापार को बेहतर रखा.
तेल की खरीद में राहत, रूस-अमेरिका बने भरोसेमंद साथी
जून में क्रूड ऑयल की कीमतें कुछ नरम पड़ीं, जिससे भारत को फायदा हुआ. इजरायल और ईरान के बीच थोड़े वक्त की शांति और OPEC+ देशों के ज्यादा तेल उत्पादन ने भारत का तेल खरीद का खर्चा थोड़ा कम किया. मई में ब्रेंट क्रूड की कीमत 64.01 डॉलर प्रति बैरल थी, जो जून में बढ़कर 69.80 डॉलर हो गई. फिर भी, तेल की अच्छी उपलब्धता की वजह से खर्चा ज्यादा नहीं बढ़ा. एनर्जी एनालिटिक्स फर्म वोर्टेक्सा के मुताबिक, भारत ने जून में 4.66 मिलियन बैरल प्रति दिन (mbpd) तेल आयात किया, जो मई के 4.72 mbpd से जरा कम था.
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भारत ने तेल खरीदने की रणनीति में भी बदलाव किया. रूस से तेल खरीद दो साल के सबसे ऊंचे स्तर 2-2.2 mbpd पर पहुंच गई. साथ ही, अमेरिका से तेल की खरीद में 2025 के पहले चार महीनों में 270% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. इस चालाकी से भारत ने मिडिल ईस्ट के पुराने तेल सप्लायरों पर अपनी निर्भरता कम की, खासकर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज जैसे जोखिम भरे इलाकों से.
लेकिन, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के निर्यात में कमी आई. जून में ये 10% गिरकर 1.19 mbpd पर आ गए, जो मई में 1.32 mbpd थे. सालाना आधार पर भी निर्यात 3.7% कम हुआ, जिसने व्यापार घाटे को और बेहतर होने से रोक लिया.
सोने की खरीद गिरी, आसमान छूती कीमतें बनीं रुकावट
सोने का आयात भी जून में कम हुआ. दुनिया भर में सोने की कीमतें 3,353 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं, जो मई से 5% और साल की शुरुआत से 32% ज्यादा थी. ऊंची कीमतों, सख्त नियमों और देश में कम मांग की वजह से सोने की खरीद घटी. शुरुआती आंकड़ों के हिसाब से, मई में सोने का आयात 30.56 टन था, जो अप्रैल के 34.87 टन से कम था. जून में ये और कम होने की उम्मीद है.
कोयला आयात स्थिर, बिजली और फैक्ट्रियों की मांग बनी रही
जून में कोयले का आयात थोड़ा बढ़ा. बड़े बंदरगाहों से 16.59 मिलियन टन कोयला आया, जो पिछले साल से 1.2% ज्यादा, लेकिन मई से 2.1% कम था. थर्मल कोयला, जो कुल आयात का 70.2% है, पिछले साल की तुलना में 7.2% बढ़ा. ये बिजली और इंडस्ट्री की मजबूत मांग को दिखाता है.सरकार ने व्यापार घाटे को काबू में करने के लिए कई बड़े कदम उठाए-
- चार चीनी केमिकल्स पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई.
- बांग्लादेश से जूट और बुने हुए कपड़ों के आयात पर पाबंदी.
- ओमान से आयरन ओर पेलेट की खरीद रोकने की मांग, क्योंकि भारतीय उद्योगों ने ईरानी मूल के कार्गो से नुकसान की शिकायत की.
सामान की कीमतें तय करेंगी रास्ता
UBI की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर तेल और धातुओं की कीमतें दुनिया भर में बढ़ीं, तो भारत का आयात खर्च बढ़ सकता है. लेकिन, वैश्विक मांग में कमी और निर्यात की सुस्ती इस दबाव को कुछ कम कर सकती है. रिपोर्ट में लिखा है, आगे चलकर, सामान की कीमतों का रुझान भारत के व्यापार घाटे की दिशा तय करेगा.
