राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की सैलरी से कटौती की जाती है, लेकिन चिन्हित निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान भुगतान में कई नियम-कायदों का अड़ंगा लगाया जा रहा है। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद कर्मचारियों और पेंशनर्स की शिकायतों का सिलसिला बढ़ गया है। इनका कहना है कि आरजीएचएस के तहत इलाज और दवाओं के नाम पर कर्मचारियों को नियमों और शर्तों में उलझाकर परेशान किया जा रहा है, जबकि कटौती उनके वेतन से नियमित होती है।
दूसरे राज्यों में भी नहीं मिला उपचार
एक कर्मचारी ने अपनी पीड़ा पत्रिका को लिखी। उन्होंने बताया कि, राजस्थान से बाहर के जो भी हॉस्पिटल हैं, वे नाम के हैं। अहमदाबाद में 10 अस्पतालों में उन्होंने संपर्क किया, लेकिन किसी ने भी भर्ती नहीं किया।
शिकायतें और समस्याएं
एक्स-रे का करना पड़ा भुगतान:
मैंने निजी अस्पताल में इलाज करवाया तो मुझे एक्सरे के लिए अलग से भुगतान करना पड़ा। हर बार डॉक्टर कुछ दवाइयां आरजीएचएस से बाहर की लिखते हैं। जिनका नकद भुगतान करना पड़ता है। – सरकारी कर्मचारी, उदयपुर
इमरजेंसी में भी रोक-टोक:
8 वर्षीय बेटी को निजी अस्पताल ले जाने पर आरजीएचएस कार्ड से इलाज देने में आनाकानी की गई। कार्ड दिखाने पर का गया कि आपका संबंधित चिकित्सक से अपॉइंटमेंट नहीं है। बेटी होश में नहीं थी, उसे इमरजेंसी में लेकर गए और 20 हजार रुपए जमा करवाए गए। -सरकारी कर्मचारी, उदयपुर
ऑन ड्यूटी हादसे पर भी मदद नहीं:
बिजली विभाग में ऑन ड्यूटी कार्य करते हुए करंट लगने से हाथ झुलस गया था। एक हाथ काटना पड़ा। निजी अस्पताल में दिखाने पर सर्जरी के लिए 30 हजार रुपए और दवाइयों व जांचों के लिए अलग से रुपए मांगे गए।- राजेश कुमार सैनी, जयपुर
दवाइयों में कटौती:
हम दोनों पति-पत्नी सरकारी सेवा में हैं, लेकिन आरजीएचएस अधिकृत दवा स्टोर से 10 दिन की जगह केवल 5 दिन की ही दवा मिल रही है।- लोकेश
मासिक दवाओं में कमी:
लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे सेवानिवृत्त कर्मचारी को भी मासिक दवाइयां नियमित नहीं मिल रही हैं, और नकद भुगतान करना पड़ रहा है।