पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाने से साफ इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने जूनियर डॉक्टरों से आमरण अनशन खत्म कर काम पर लौटने की अपील की है। हालांकि, सीएम के अनुरोध के बाद भी न्याय और कार्यस्थल की सुरक्षा की मांग को लेकर आमरण अनशन जारी है। दो हफ्ते से अधिक समय से अनशन पर बैठे हुए हैं। भूख हड़ताल पर बैठे कई डॉक्टरों की हालत बिगड़ती जा रही है। भूख हड़ताल पर बैठे छह डॉक्टर अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।
16वें दिन भी अनशन जारी
जूनियर डॉक्टर 16 दिनों से धर्मतला में अनशन पर बैठे हैं। इससे पहले शनिवार की शाम को सीएम ने आंदोलनकारी डॉक्टरों से बात करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को अनशनस्थल पर भेजा। डॉक्टरों को बातचीत के लिए सोमवार को सचिवालय भी बुलाया। मंच पर पहुंचे पंत ने डॉक्टरों की फोन पर ममता बनर्जी से बात कराई। मुख्यमंत्री ने कहा था, अनशन समाप्त करने की अपील कर रही हूं। बातचीत के लिए आइए। हम अपनी क्षमता अनुसार प्रयास कर रहे हैं। लगभग सभी मांगें पूरी हो गई हैं। तीन से चार महीने का समय दीजिए। अस्पतालों में चुनाव कराएंगे। कृपया अनशन समाप्त करें। काम में शामिल हों।
क्या बोली थीं सीएम?
सीएम ने कहा था कि स्वास्थ्य सचिव निगम को हटाने को छोड़कर आंदोलनकारियों की सभी मांगों से वह सहमत हैं। स्वास्थ्य विभाग से एक साथ सभी अधिकारियों को नहीं हटाया जा सकता है। पहले ही कई अधिकारियों को हटाया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों को बातचीत के लिए सोमवार को शाम पांच बजे नवान्न (सचिवालय) में बैठक का समय दिया। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि आंदोलनकारियों की तरफ से केवल 10 ही प्रतिनिधि आएं।
बैठक के लिए सरकार ने रखी शर्त
हालांकि, मुख्य सचिव ने शनिवार शाम जूनियर डॉक्टरों को ईमेल भेजकर बैठक के लिए शर्त रखी। उन्होंने कहा था कि अनशन खत्म करने के बाद ही नवान्न (सचिवालय) में सोमवार की बैठक होगी। जूनियर डॉक्टरों की तरफ से अभी इस मेल का जवाब दिया गया है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन सीएम के नियमंत्र पर जूनियर डॉक्टरों ने बैठक में शामिल होने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मांगें मान ली जाती हैं तो वह भी काम पर लौटना चाहते हैं।
डॉक्टरों ने सोमवार तक का दिया था समय
आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर सोमवार तक उनकी मांगों पर कोई फैसला नहीं हुआ तो मंगलवार से सभी अस्पतालों में व्यापक हड़ताल होगी। इसमें वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टर दोनों शामिल होंगे। उस चेतावनी के 24 घंटे के भीतर राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारी अनशन मंच पर पहुंचे। मुख्य सचिव के साथ राज्य के गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती भी थीं। कोलकाता पुलिस के डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखोपाध्याय भी मौजूद थीं।
मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य की जानकारी
सूत्रों के अनुसार, मुख्य सचिव ने अनशनकारियों की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी ली। साथ ही, आंदोलनकारियों की मांगों पर भी चर्चा हुई। गौरतलब है कि इससे पहले भी आंदोलनकारियों ने मुख्य सचिव के साथ बैठक की थी। यह बैठक पूजा से पहले हुई थी, लेकिन वह विफल रही।
डॉक्टर्स की ये हैं मांगें
पिछले कुछ दिनों में जब दुर्गा पूजा उत्सव चल रहा था, तब बड़ी संख्या में आम लोग भूख हड़ताल स्थल पर पहुंचे। जूनियर डॉक्टर, आरजी कर अस्पताल की पीड़िता के लिए न्याय और स्वास्थ्य सचिव को तत्काल हटाने की मांग कर रहे हैं। उनकी अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना, एक बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली की शुरुआत, कार्यस्थलों पर सीसीटीवी, ऑन-कॉल रूम और वॉशरूम के लिए आवश्यक प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है।
पांच अक्तूबर से अनशन जारी
डॉक्टर्स की भूख हड़ताल की शुरुआत पांच अक्तूबर को हुई, जो दो चरणों में लगभग 50 दिनों के ‘काम बंद’ के बाद शुरू हुई। भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से स्थिति बिगड़ने से पहले हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
क्या है मामला?
नौ अगस्त की वो भयावह सुबह कोई नहीं भूल सकता, जब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर का शव मिला था। जब मामला विवादों में आया, तो पता चला कि डॉक्टर के साथ दुष्कर्म हुआ था। यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और फिर सीबीआई को इसकी जांच सौंप दी गई। घटना के लगभग दो महीने बाद महिला डॉक्टर को इंसाफ मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कलकत्ता पुलिस ने 10 अगस्त को संजय रॉय को गिरफ्तार किया था।