स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेने और सही लाइफस्टाइल की सलाह दी जाती है. हर एक पोषक तत्व शरीर के लिए अलग-अलग तरह से फायदेमंद होता है. इसमें कई तरह के विटामिन, मिनल्स, जरूरी फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल हैं. शरीर में इनकी मात्रा कम या ज्यादा होने पर काफी प्रभाव पड़ता है.
ओमेगा-3 फैटी एसिड भी इन्हीं में से एक है. यह शरीर के लिए जरूरी फैट है, जो मछली, नट्स और कुछ चीजों में पाया जाता है. यह तीन तरह के होते हैं. अल्फा-लिनोलेनिक एसिड, ईकोसापेंटेनोइक एसिड और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड. दावा किया जाता है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट को हेल्दी रखने और इससे जुड़ी बीमारियों के खतरने को कम करने में मदद करता है. लेकिन हाल ही में कुछ रिसर्च में उसके उलट देखने को मिला है.
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हेल्दी फैट
नट्स, एवोकाडो और ऑयली मछली जैसे कि सैल्मन, मैकेरल, टूना ओमेगा-3 फैटी एसिड यानी की हेल्दी फैट का अच्छा सोर्स होते हैं. जिसे हार्ट और ओवर ऑल हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है. लेकिन हाल ही में कई गई एक रिसर्च में दावा किया गया है कि यह हमारे लिए उतना अच्छा नहीं हो सकता है, जितना पहले माना जाता था. इसमें पाया गया है कि ओमेगा फैटी एसिड को शरीर में सूजन से जोड़ा गया है, जिसके कारण मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज और यहां तक कि हार्ट अटैक पड़ने का खतरा बढ़ जाता है.
क्या कहती हैं रिसर्च?
जो द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित हुई स्टडी में पाया गया कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पीयूएफए) दोनों ही शरीर में ग्लाइकोप्रोटीन एसिटाइल (ग्लाइका) का स्तर बढ़ सकता है. जिसके कारण हार्ट से जुड़ी समस्या का खतरा भी बढ़ सकता है.
शोधकर्ताओं ने 1991 से एवन में 14,000 से ज्यादा परिवारों की सेहत पर नजर रखी, जब महिलाओं को पहली बार प्रेगनेंसी में एडमिट करवाया गया था, इस नई रिसर्च में 24 साल के बाद उन्होंने डाटा कलेक्ट किया. धूम्रपान जैसे अनहेल्दी हैबिट्स और गलत लाइफस्टाइल के कारकों को ध्यान में रखने के बाद, वैज्ञानिकों ने पाया कि ओमेगा-6 से भरपूर आहार शरीर में ग्लाइका के स्तर को बढ़ा सकते हैं. जो सूजन, कैंसर और हार्ट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है.
इस रिसर्च की लीड ऑर्थर डेसी क्रिक थी जो क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में मॉलिक्लूयर साइंस एक्सपर्ट हैं. उन्होंने बताया कि रिसर्च के रिजल्ट इतने सिंपल नहीं हैं जितना हम समझ रहे थे. जहां ओमेगा-3 फैटी एसिड एंटीइंफ्लामेट्री यानी सूजन कम करने की भूमिका निभाता है वहीं ओमेगा-6 को प्रो-इंफ्लामेट्री पाया गया. उनके मुताबिक सूजन को कम करने या हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने के लिए सिर्फ ओमेगा-3 फैटी एसिड के इंटेक पर भरोसा करना काफी नहीं है. उनका कहा है कि शरीर में सूजन कम करने के लिए इन दोनों फैट के बीच बैलेंस करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. अलग-अलग फैटी एसिड सेहत पर कैसे प्रभाव डालते हैं. इसे समझने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है.
