बता दें कि राहुल वेंटिलेटर पर थे और हाईडोज दवाओं के बावजूद उनके ब्रेन में कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था। शाहपुरा तहसील के नयाबास निवासी राहुल को दिवाली के दिन कजाकिस्तान से एयर एंबुलेंस के जरिए जयपुर लाया गया था। एयरपोर्ट से उन्हें एसएमएस अस्पताल की क्रिटिकल केयर एंबुलेंस में मेडिकल टीम की निगरानी में अस्पताल लाया गया था।
उनके इलाज के लिए एसएमएस प्रशासन ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम गठित की थी, जिसमें न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. डॉ. दिनेश खंडेलवाल, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. निहार शर्मा, जनरल मेडिसिन के डॉ. जीएल धायल, इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. सतीश मीणा और अतिरिक्त अधीक्षक नरेंद्र सिंह चौहान शामिल थे। पूरी टीम कॉलेज प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी और अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी की देखरेख में उपचार कर रही थी।
एमबीबीएस की कर रहे थे पढ़ाई
राहुल 2021 से कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे। आठ अक्टूबर को अचानक उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ, जिसके बाद वहां के अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। हालत गंभीर होने पर परिवार ने उन्हें भारत लाने के प्रयास शुरू किए।
इस दौरान भाजपा नेता उपेन यादव, पूर्व जिला पार्षद महेंद्र चौधरी और शाहपुरा विधायक मनीष यादव ने सक्रिय भूमिका निभाई। विधायक यादव ने आर्थिक सहायता भी दी।
राहुल की वतन वापसी में राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी की भूमिका अहम रही। उन्होंने भारतीय दूतावास, विदेश मंत्रालय और इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड से समन्वय कर एयरलिफ्ट की प्रक्रिया को संभव बनाया। तमाम कोशिशों और जनसहयोग से राहुल को जयपुर लाया गया, जहां उनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, राहुल के ब्रेन में लंबे समय तक कोई न्यूरोलॉजिकल गतिविधि नहीं दिखी और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया। इस खबर से शाहपुरा के नयाबास गांव में शोक की लहर दौड़ गई।






