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January 2, 2025 6:00 pm

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Rajasthan News: अब कांग्रेस सड़क से सदन तक घेरेगी……’जिलों को निरस्त करने के फैसले पर क्या अपनों में ही घिर गई बीजेपी……

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गहलोत सरकार के नवगठित जिले और संभागों का खत्म करने के भजनलाल सरकार के फैसल का बीजेपी में भी विरोध शुरू हो गया है। अनूपगढ़ जिला समाप्त किए जाने के बाद अनूपगढ़ नगर मंडल अध्यक्ष समेत पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा दे दिया है। साथ में उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की भी तैयारी शुरू कर दी है। वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को सड़क से लेकर विधानसभा तक में उठाने की तैयारी कर रही है।

वहीं सोशल मीडिया पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का वह बयान भी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक बार नए जिले बना दिए गए तो फिर उन्हें कौन खत्म कर सकता है। हालांकि अब जिले खत्म करने की घोषणा के बाद मदन राठौड़ ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि गहलोत ने सरकार रिपीट करने और अल्पमत की सरकार बचाने वाले विधायकों को खुश करने के लिए जिले बनाए थे।

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राठौड़ ने कहा कि गहलोत अगर सत्ता में लौटते तो वो खुद भी इन सभी जिलों को नहीं रखते। क्योंकि रामलुभाया कमेटी ने तो गहलोत को 40 से 41 जिले बनाने की ही सिफारिश की थी, लेकिन गहलोत ने विधायकों के दवाब में जिलें रेवड़ियों की तरह बांट दिए।

उन्होंने कहा कि रामलुभाया की रिपोर्ट तो गहलोत ने एक तरफ रख दी। वहीं जिन निर्दलीय और कांग्रेस विधायकों की वजह से गहलोत की अल्पमत की सरकार टिकी हुई थी। उन विधायकों को संतुष्ट करने के लिए उन्होने आनन-फानन में जिले बना दिए।
दूसरी तरफ जिन जिलों को खत्म किया गया है, वहां के बीजेपी विधायक और नेताओं की तरफ से भी इस निर्णय की तारीफ नहीं की गई। इनमें डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा का जिला दूदू भी शामिल है। दूदू को लेकर सबसे ज्यादा विवाद रहा था। यह राजस्थान का सबसे छोटा जिला था। दूदू जिले में दूदू, मौजमाबाद और फागी उपखंड के साठ ग्राम पंचायतों के 241 गांव शामिल थे। जिला घोषित करने के समय जिनकी आबादी 3 लाख 12 हजार 857 बताई गई। जबकि बीजेपी ने नए जिलों में न्यूनतम आबादी क्राइटेरिया करीब 10 लाख रखा है।नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था (हालांकि त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है) जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था।

2023 तक राजस्थान से कम जनसंख्या, क्षेत्रफल एवं अधिक जिले वाले राज्य

तेलंगाना- जनसंख्या-3.50 करोड़- जिले-33
मध्य प्रदेश-जनसंख्या- 7.2 करोड़- जिले-55
छत्तीसगढ़-जनसंख्या-1.55 करोड़- जिले- 33
गुजरात-जनसंख्या-6 करोड़-जिले-33
अरुणाचल प्रदेश-जनसंख्या- 1.3 करोड़-जिले-27
ओडिशा-जनसंख्या-4.19 करोड़-जिले-30 

गहलोत बोले भाजपा के तर्क अनुचित, जिन जिलों को खत्म किया वहां जाऊंगा

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने जिलों को खत्म करने के बीजेपी सरकार के तर्क को अनुचित बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन जिलों को खत्म किया गया है, वहां जाकर लोगों से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि गुजरात, पंजाब, हरियाणा में कम आबादी वाले जिले भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया है वो भी अनुचित है। जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे गुजरात के डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), हरियाणा के पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), पंजाब के मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला(5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख) जैसे कम आबादी वाले जिले हैं।

राजस्थान में जैसलमेर की आबादी भी 5 लाख

गहलोत ने कहा कि अगर आबादी को ही पैमाना रखा जाए तो राजस्थान का जैसलमेर जिला केवल 5 लाख जनसंख्या का जिला है। कम आबादी वाले जिलों में सरकार की प्लानिंग की सफलता भी ज्यादा होती है। छोटे जिलों में कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल रखना भी आसान होता है क्योंकि वहां पुलिस की पहुंच अधिक होती है।

परिस्थितियों के आधार पर जिलों की आबादी में भी अंतर होना स्वभाविक है जैसे उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले की आबादी करीब 60 लाख है जबकि चित्रकूट जिले की आबादी 10 लाख है। परन्तु सरकार के लिए प्रशासनिक दृष्टि से छोटे जिले ही बेहतर लगते हैं। गहलोत ने कहा कि सरकार की तरफ से एक तर्क यह दिया जा रहा है कि एक जिले में कम से कम 3 विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए जबकि भाजपा द्वारा 2007 में बनाए गए प्रतापगढ़ मे परिसीमन के बावजूद भी केवल दो विधानसभा क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जहां कम दूरी का तर्क दिया जा रहा है वो भी आश्चर्यजनक है क्योंकि डीग की भरतपुर से दूरी केवल 38 किमी है जिसे रखा गया है परन्तु सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी एवं अनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद उन जिलों को रद्द कर दिया गया।

गहलोत बोले हमने घोषणा के साथ बजट भी दिया

गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने केवल जिलों की घोषणा ही नहीं की बल्कि वहां कलेक्टर, एसपी समेत तमाम जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति दी एवं हर जिले को संसाधनों के लिए बजट भी दिया। नए जिलों को रद्द करने से सरकारी नौकरियों के मौके कम होंगे, IAS का कैडर कम होगा, RAS का कैडर कम होगा, सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के मौके कम होंगे।
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