राजस्थान दिवस प्रतिवर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है।2022मे हम राजस्थान का 75वां स्थापना दिवस मना रहे है हमारा राजस्थान जो की शूरवीरों की जन्मस्थली रहा है जहा महाराणा प्रताप,भामाशाह,जैसे वीर शिरोमणियों ने जन्म लिया है।स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजपूताना में 19 रियासतें अलवर,भरतपुर,धौलपुर,करौली,बाँ सवाड़ा,बूंदी,डूँगरपुर,झालावाड़ ,किशनगढ़,कोटा,मेवाड़,प्रतापगढ़ ,शाहपुरा,टोंक,जयपुर,जैसलमेर,बी कानेर,जोधपुर,सिरोही तीन छोटे ठिकाने नीमराना(अलवर कछवाहा वंश का शासन),लावा (पहले जयपुर वर्तमान में टोंक में नरूका वंश का शासन),कुशलगढ़(बांसवाड़ा में राठौड़ वंश का शासन)तथा अजमेर मेरवाड़ा का केंद्र शासित प्रदेश था इन देसी रियासतों,ठिकानों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक सूत्र में पिरो कर एक सुदृढ़ प्रशासनिक इकाई राजस्थान का निर्माण हुआ इस एकीकरण की प्रक्रिया में 18 मार्च1948 से आरंभ हुई और 1 नवंबर 1956 को पूर्ण हुई थी जिसमें 8वर्ष7माह एवं14दिन का समय लगा था।
राजस्थान की रियासतों में सबसे पुरानी रियासत मेवाड़ थी। जबकि सबसे आधुनिक रियासत झालावाड़1838 में बनी थी। क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत मारवाड़(जोधपुर)थी वही जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जयपुर थी क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों दृष्टिकोण से सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी रियासत के राजाओं को तोपों की सलामी दी जाती थी इसलिए उन्हें”सेल्यूट स्टेट”कहा जाता था जबकि तीन चीफ शीप ठिकानों के शासकों को तोपों की सलामी नहीं दी जाती थी इसलिए उन्हें”नॉन सैल्यूट स्टेट”कहा जाता था रियासतों में 18 रियासतों को तोपों की सलामी दी जाती थी जबकि शाहपुरा एकमात्र ऐसी रियासत थी जिसको तोपों की सलामी नहीं दी जाती थी उदयपुर रियासत को19तोपों की सलामी दी जाती थी17तोपो की सलामी बाली रियासते बीकानेर,जोधपुर,भरतपुर,जयपुर,को टा,बूँदी,करौली,टोक थी।15 तोपों की सलामीअलवर,धौलपुर,बांसवाड़ा,डूं गरपुर,जैसलमेर,सिरोही,किशनगढ़, प्रतापगढ़ थी एवं झालावाड़ को 13 तोपों की सलामी दी जाती थी।
अधिमिलन पत्र पर बीकानेर के शासक शार्दुल सिंह 7अगस्त1947को हस्ताक्षर करने वाले प्रथम व्यक्ति थे वही धौलपुर के शासक चंद्रभान सिंह 14 अगस्त 1947 को हस्ताक्षर करने वाले अंतिम व्यक्ति थे राजस्थान के एकीकरण 7 चरणों में पूर्ण हुआ था।
(1)प्रथम चरण मत्स्य संघ का निर्माण 18 मार्च 1948
अलवर,भरतपुर,धौलपुर,करौली तथा ठिकाना नीमराना को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी(के एम मुंशी) के आग्रह पर इसका नाम मत्स्य संघ रखा गया इसका विधिवत उद्घाटन 18 मार्च 1948 को केंद्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री एन बी गाडगिल(नरहरी विष्णु गॉडगिल) के द्वारा लोहागढ़ दुर्ग भरतपुर में किया गया धौलपुर राज प्रमुख उदयभान सिंह को राज प्रमुख बनाया गया करौली राजा महाराज गणेश पाल को उप राजप्रमुख बनाया गया अलवर प्रजामंडल के प्रमुख नेता शोभाराम कुमावत को मत्स्य संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया इनके मंत्रिमंडल में जुगलकिशोर चतुर्वेदी(भरतपुर),चिरंजी लाल शर्मा(करौली),गोपी लाल यादव,डॉक्टर मंगल सिंह(धौलपुर)भोलानाथ (अलवर)को शामिल किया गया विभिन्न राजाओं का प्रिवीपर्स इस प्रकार रखा गया अलवर महाराज को 5लाख20हजार भरतपुर महाराज को 5लाख2हजार धौलपुर राजा को 2लाख64हजार करौली के राजा को 1लाख5हजार रुपयेनिर्धारित किए गएथे।
(2)द्वितीय चरण पूर्व राजस्थान संघ 25 मार्च 1948
राजपूताना की 9 रियासतों डूंगरपुर,बांसवाड़ा,प्रतापगढ़, कोटा,बूंदी,झालावाड़,टोंक,कि शनगढ़,शाहपुरा तथा चीफ शीप ठिकाना कुशलगढ़ को मिलाकर राजस्थान संघ(यूनियन)का निर्माण किया गया कोटा को संयुक्त राजस्थान की राजधानी एवं कोटा महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया बूँदी महाराजा बहादुर सिंह को वरिष्ठ उप राजप्रमुख डूँगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह को कनिष्ठ उप राजप्रमुख तथा प्रोफेसर गोकुल लाल असावा को प्रधानमंत्री बनाया गया इसका उद्घाटन 25 मार्च 1948 को केंद्रीय मंत्री एन बी गाडगिल द्वारा कोटा दुर्ग(दरबार हाल) में किया गया एकीकरण के इस चरण में राजस्थान शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया था।
(3) तृतीय चरण संयुक्त राजस्थान संघ18 अप्रैल1948
उदयपुर महाराणा भूपाल सिंह ने राजस्थान में सम्मिलित होने के लिए तीन शर्ते रखी थी:-
(1) मेवाड़ महाराणा को संयुक्त राजस्थान का वंशानुगत राजप्रमुख बनाया जाए
(2) उदयपुर को संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया जाए
(3)मेवाड़ महाराणा को 20लाख रूपए प्रिवीपर्स दिया जाए। उनकी यह मांगे स्वीकार कर ली गई उदयपुर महाराणा भूपाल सिंह को आजीवन राजप्रमुख बनाना स्वीकार किया गया कोटा महाराव भीमसिंह को वरिष्ठ उप राजप्रमुख बनाया बूंदी महाराज बहादुर सिंह,डूँगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह को कनिष्ठ उप राजप्रमुख बनाया गया उदयपुर संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाई गई इस संघ का विधिवत उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा 18 अप्रैल 1948 को किया गया मेवाड़ महाराणा को प्रिवीपर्स10लाख रुपए वार्षिक 5लाख राजप्रमुख पद का भत्ता तथा 5लाख रूपये वार्षिक धार्मिक कार्यों में खर्चे हेतू दिया जाएगा राजस्थान संघ की 9 रियासतें और1उदयपुर रियासत का विलय किया गया कुल 10 रियासतें तृतीय चरण में हो गई थी राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री माणिक्य लाल वर्मा को बनाया गया उप प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा(शाहपुरा) को बनाया गया प्रेमनारायणमाथुर,भूरेलाल बँया,मोहनलाल सुखाड़िया(तीनों रउदयपुर से)भोगीलाल पंड्या(डूंगरपुर से)अभिन्न हरी(कोटा से)ब्रज सुंदर शर्मा(बूंदी)को मंत्री बनाया गया यह मंत्रिमंडल 11 माह तक कार्यरत रहा।
(4) चतुर्थ चरण वृहत राजस्थान 30 मार्च बुधवार 1949 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2006
19 जुलाई 1948 को लावा ठिकाने को केंद्रीय सरकार के आदेश से जयपुर रियासत में शामिल कर लिया गया लावा वर्तमान में टोंक जिले में है30 मार्च1949बुधवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2006 प्रभात बेला रेवती नक्षत्र इंद्र योंग में10बज कर40 मिनट पर वृहत राजस्थान का निर्माण किया गया अतः 30 मार्च को प्रतिवर्ष राजस्थान दिवस मनाया जाता है जिसमें 10 संयुक्त राजस्थान की रियासतें और 4 रियासत जयपुर,जैसलमेर,जोधपुर,बीकानेर को शामिल किया गया कुल 14 रियासतों राजस्थान में सम्मिलित हो गई इस समय राजधानी को लेकर जयपुर और जोधपुर के मध्य विवाद हुआ तो सरदार पटेल ने बी आर पटेल समिति गठित की जिसने जयपुर को राजधानी बनाने की अनुशंसा की इस समिति में तत्कालीन पंजाब राज्य के प्रमुख सचिव बी आर पटेल लेफ्टिनेंट कर्नल एच सी पुरी व तीसरे व्यक्ति एच पी सिंहा शामिल थे। उदयपुर महाराणा भूपाल सिंह को महाराजप्रमुख जयपुर महाराज सवाई मानसिंह सेकंड को आजीवन राजप्रमुख कोटा महाराज भीम सिंह को वरिष्ठ उप राज प्रमुख तथा बूंदी महाराज बहादुर सिंह एवं डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह को कनिष्ठ उप राजप्रमुख बनाया गया हीरालाल शास्त्री को प्रधानमंत्री मनोनीत किया गया इनके मंत्रिमंडल में सिद्धराज ढड्ढा(जयपुर)प्रेम नारायण माथुर भूरे लाल बया(उदयपुर)फूलचंद बाफना,नर्सिह कछवाहा,रावराजा हनुमंत सिंह(जोधपु)रघुवर दयाल गोयल(बीकानेर)वेद पाल त्यागी(कोटा)शामिल थे पी सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजधानी,उच्च न्यायालय जोधपुर,शिक्षा विभाग बीकानेर,कृषि विभाग भरतपुर,खनिज विभाग उदयपुर और सहकारी विभाग कोटा में रखने का निर्णय किया गया इस चरण का उद्घाटन जयपुर में हुआ सरदार पटेल द्वारा 4 अप्रैल 1949 को हीरालाल शास्त्री ने राज्य का कार्यभार संभाल लिया और 7 अप्रैल को अपने मंत्रिमंडल का गठन किया हीरालाल शास्त्री 7अप्रेल 1949से5जनवरी1951तक प्रधानमंत्री रहे।
विभिन्न रियासतों को दिया जाने वाला प्रवीपर्स निम्न प्रकार निर्धारित किया गया जयपुर को 18 लाख और5लाख50हजार (कुल23लाख50हजार)जोधपुर को 17लाख50हजार और 5लाख50हजार(कुल 23लाख रूपये)बीकानेर को17लाख और 5लाख50हजार(कुल 22लाख 50हजार)प्रिवीपर्स दिया गया था।
(5) पांचवा चरण संयुक्त वृहत्तर राजस्थान मत्स्य संघ का विलय 15 मई 1949
भरतपुर एवं धौलपुर रियासतें भाषा के आधार पर उत्तर प्रदेश में मिलना चाहती थी इसके समाधान के लिए शंकरदेव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिस के अन्य सदस्य थे आर के सिद्धावा एवं प्रभुदयाल थे।इस समिति की सिफारिश के आधार पर 15 मई1949 को मत्स्य संघ का विलय संयुक्त वृहत राजस्थान में कर दिया गया जिसम वृहत राजस्थान की14 रियासत एवं चार मत्स्य संघ की रियासतें कुल 18 रियासतें हो गई थी मत्स्य संघ के मुख्यमंत्री शोभाराम को हीरालाल मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था
(6)छटा चरण राजस्थान संघ सिरोही का राजस्थान में विलय 26 जनवरी 1950
सिरोही विलय के प्रश्न पर राजस्थान में गुजरात के नेताओं में काफी मतभेद थे सरदार पटेल सिरोही को मुंबई प्रांत में मिल
लाना चाहते थे जबकि राजस्थान के सभी नेता सिरोही को राजस्थान का अंग बनाना चाहते थे 26 जनवरी 1950 को आबू व देलवाड़ा तहसीलों को छोड़कर शेष सिरोही को संयुक्त बृहद राजस्थान में मिला दिया गया जिसमे गोकुल भाई भट्ट का जन्मस्थान”हाथल गाँव”को राजस्थान मे रखा गया आबू व देलवाड़ा तहसील के 89गाँव(304वर्गमील) को मुंबई प्रांत में मिलाया गया 26 जनवरी 1950 को विधिवत राजस्थान नाम स्वीकार किया गया और प्रधानमंत्री पद को समाप्त कर मुख्यमंत्री का पद स्थापित किया गया हीरालाल शास्त्री प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री बनाए गए
(7) सप्तम चरण राजस्थान1नवंबर1956
डॉक्टर फजल अली की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश पर सिरोही की आबू व देलवाड़ा तहसील जिसमें 89गाँव(304वर्गमील)जिसमे आबू पर्वत सम्मलित था राजस्थान मे मिलाने का निर्णय किया गया मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की मानपुरा तहसील का सुनेल टप्पा क्षेत्र राजस्थान मे मिलाया गया जबकि सिरौज (झालावाड़)से लेकर मध्यप्रदेश मे मिलाया गया तथा अजमेर मेरवाड़ा क्षेत्र राजस्थान में मिलाया गया राजस्थान की राजधानी को लेकर जयपुर एवं अजमेर में विवाद हुआ जिसके लिए डॉक्टर पी सत्यनारायण राव समिति का गठन किया गया जिसमें प्रमुख सदस्य पी सत्यनारायण राव बी विश्वनाथन व बी के गुप्ता शामिल थे और उन्हीं की सिफारिश पर संवैधानिक तौर पर राज्य का नाम राजस्थान रखा गया और राजधानी जयपुर रखी गई संविधान के सातवें संशोधन द्वारा 1नवंबर 1956 से पार्ट ए और बी के भेदभाव को समाप्त कर दिया गया साथ ही राज प्रमुख पदों को समाप्त करते हुए उसके स्थान पर राज्यपाल पद सृजित किया गया इस प्रकार राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में संपन्न हुआ
राजेश कुमार मीना झारेडा
करौली
Author: Sanjeevni Today
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