जयपुर। हाईकोर्ट ने करीब 39 साल पुराने पांच साल की बालिका से बलात्कार का प्रयास करने के मामले में दोषी व्यक्ति को शेष सजा भुगतने के लिए सरेंडर करने का आदेश दिया। सरेंडर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है, वहीं सरेंडर नहीं करने पर अधीनस्थ अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी का आदेश दिया। दोषी पाया गया व्यक्ति घटना के समय 20 वर्ष का था और अब वह 59 साल का हो चुका है।
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न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने शिव प्रकाश की 32 साल पुरानी अपील को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। अपील के अनुसार फरवरी 1985 में बारां थाने में पांच साल की बालिका से बलात्कार के प्रयास का मामला दर्ज हुआ, जिस पर दिसम्बर 1991 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पांच साल की जेल और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशि जमा नहीं होने पर 6 माह की जेल की सजा भुगतने का आदेश दिया।
इस आदेश को वर्ष 1992 में अपील के जरिए चुनौती दी गई, उस समय अपीलार्थी 27 साल का था। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रणव पारीक ने कहा कि बलात्कार के प्रयास का मामला विश्वसनीय नहीं है, इसमें कई विरोधाभास हैं और चोट के निशान भी नहीं हैं। इसके अलावा पीड़िता के कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं था।
‘जांच में बलात्कार का प्रयास साबित’
वहीं सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि एफएसएल जांच में बलात्कार का प्रयास साबित है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रयास करने के लिए संबंधित अपराध करने का इरादा होना जरूरी है और प्रयास के रूप में किया गया कार्य अपराध के निकट होना चाहिए। इस मामले में बलात्कार करने का प्रयास किया। कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए दोषी व्यक्ति को 2 सप्ताह में सरेंडर करने का आदेश दिया, अन्यथा अधीनस्थ कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा।