प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात अगस्त को प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे और इस महान वैज्ञानिक के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी करेंगे।
‘‘सदाबहार क्रांति – जैविक खुशी का मार्ग’’ विषय पर आधारित तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य स्वर्गीय प्रोफेसर स्वामीनाथन के सतत और समतामूलक विकास में आजीवन योगदान को सम्मानित करना है।
स्वामीनाथन को ‘‘भारत में हरित क्रांति का जनक’’ माना जाता है, ने1960 और 1970 के दशक में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों की शुरुआत और उनके विकास का नेतृत्व करके भारत को खाद्यान्न की कमी से आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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कार्यक्रम की जानकारी देते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक एम एल जाट ने भारत को खाद्यान्न की कमी से खाद्यान्न-अधिशेष राष्ट्र में बदलने में स्वामीनाथन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। जाट ने कहा, ‘‘वह भारत के एक वीर सपूत थे जिनके कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी नेतृत्व ने देश के हरित परिदृश्य को नया रूप दिया।’’
जाट ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय कृषि के लिए भविष्य की रूपरेखा तैयार करके स्वामीनाथन की विरासत को आगे बढ़ाना है, जिसमें इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) और केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य कृषि विज्ञान के क्षेत्र में एक महान हस्ती और खाद्य सुरक्षा के अग्रदूत स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी मनाना है।
एमएसएसआरएफ की अध्यक्ष डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने सम्मेलन के वैश्विक महत्व और दुनिया भर में सतत कृषि के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका पर ज़ोर दिया। यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, विकास पेशेवरों और अंशधारकों के लिए सदाबहार क्रांति के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श करने को एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करेगा।
