Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 2:19 am

लेटेस्ट न्यूज़

Patanjali Case: रामदेव को आज भी नहीं मिली माफी, 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में फिर पेशी

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

नई दिल्ली: भ्रामक विज्ञापन मामले पर पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) के खिलाफ अवमानना पर सप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में योगगुरु बाबा रामदेव को आज भी माफी नहीं मिली. उनको 23 अप्रैल को अदालत में फिर से पेश होना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को एक हफ्ते का और समय दिया है. योगगुरु रामदेव (Ramdev) और उनके सहयोगी बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. यह मामला भ्रामक विज्ञापनों और कोरोना के इलाज के दावों के संबंध में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानन से जुड़ा है. जस्टिस हिमा कोहली ने रामदेव से पूछा कि जो कुछ आपने किया है, क्या उसके लिए आपको माफी दें. इस पर रामदेव ने कहा कि मैं इतना कहना चाहूंगा कि जो भी हमसे भूल हुई उसके लिए हमने बिना शर्त माफी मांगी है. जिस पर अदालत ने कहा कि लेकिन आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और विज्ञापन भी दिए.

Approved Plot in Jaipur @ 3.50 Lakh call 9314188188

अदालत ने रामदेव से कहा कि हमने आपको अभी माफी नहीं दी है. हम इसके बारे में सोचेंगे. आपका इतिहास इसी तरह का है. कंपनी इतने करोड़ की हो तो ऐसा नहीं करते. जिस पर रामदेव ने कहा कि अब पुनरावृत्ति नहीं होगी. इस पर अदालत ने कहा कि अभी हमने मन नहीं बनाया कि आपको माफ करें कि नही. आपने एक नहीं बल्कि तीन बार उल्लंघन किया है. रामदेव ने कहा कि हम इसको नहीं दोहराएंगे.

“लाइलाज बीमीरियों की दवा की पब्लिसिटी वर्जित”

अदालत ने कहा कि आपने क्या सोचा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आपने एडवरटाइजिंग छापा और भाषण दिया महर्षि चरक के समय से आयुर्वेद चल रहा है. अपनी पद्धति के लिए दूसरे की पद्दति को रद्द करने की बात क्यों कही. इस पर रामदेव ने कहा कि हमारी एसी कोई मंशा नहीं है. हमने 5000 से ज्यादा रिसर्च किए. आयुर्वेद में हमने मेडिसिन के स्तर पर रिसर्च की है. इस पर जज ने कहा कि  हम आपके रवैए की बात कर रहे हैं. आपको इसलिए बुलाया है कि आपने हमारे आदेश की अवहेलना की है और आपने दूसरी दवा को खराब बताया. लाइलाज बीमीरियों की दवा की पब्लिसिटी वर्जित है. जिस पर रामदेव ने कहा कि हमें ये नहीं कहना चाहिए था, आगे से ध्यान रखेंगे. कोर्ट ने कहा कि आपने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है

Video: लोकसभा चुनाव 2024: चुनावी सभा देख नाराज हुए Dr. Kirori Lal Meena,स्टेज छोड़ वापस लौटे

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से पूछा कि क्या मामले में कुछ अतिरिक्त दाखिल किया गया,आपने कहा था कि कुछ और भी दाखिल करना चाहते हैं. इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि अभी कुछ फाइल नहीं किया है, लेकिन हम सार्वजनिक माफी मांगना चाहते हैं. हमने कहा था कि हमारे पास मेडिसिन का विकल्प है.

कोर्ट ने दोनों को आगे बुलाया और कहा कि वह रामदेव से सवाल करना चाहते है. जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम दोनों से समझना चाहते हैं कि आपकी बहुत गरिमा है.आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है. योग के साथ- साथ आपने बहुत कुछ शुरू किया है. ये आप भी जानते हैं हम भी जानते हैं कि आपने जो शुरू किया है वो कारोबार है. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से कहा कि योग के लिए जो आपने किया है उसका सम्मान करते हैं. नेटवर्क प्रॉब्लम है ये मत समझिएगा कि ये हमारी तरफ से सेंपरशिप है.

SC ने खारिज की थी रामदेव की माफी

पिछले हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि के संस्थापकों को कड़ी फटकार लगाई थी. साथ ही हरिद्वार में मौजूद कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए उत्तराखंड सरकार की भी खिंचाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण की माफी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ये पत्र पहले मीडिया को भेजे गए थे. जस्टिस हिमा कोहली ने पिछले हफ्ते कहा था, “जब तक मामला अदालत में नहीं पहुंचा, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा, वे साफ तौर पर प्रचार में विश्वास करते हैं.”

SC ने रामदेव से क्या कहा था?

सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह ने भी पूछा कि क्या माफी ” दिल से मांगी गई” है. उन्होंने कहा, “माफी मांगना काफी नहीं है. आपको अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का परिणाम भुगतना होगा.” यह मामला कोरोनाकाल से जुड़ा है. साल 2021 में पतंजलि ने कोरोनिल लॉन्च की थी और रामदेव ने इसे “कोविड-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित दवा” बताया था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उस “घोर झूठ” के खिलाफ आवाज उठाई कि कोरोनिल के पास डब्ल्यूएचओ प्रमाण पत्र है.

इसके बाद, रामदेव का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उन्हें एलोपैथी को मूर्ख बनाने वाला और पैसा लूटने वाला विज्ञान” है. उन्होंने कहा कि कोई भी आधुनिक दवा कोरोना का इलाज नहीं कर रही. आईएमए ने रामदेव को कानूनी नोटिस भेजकर माफी मांगने और बयान वापस लेने की मांग की थी. जिस पर पतंजलि योगपीठ ने जवाब दिया कि रामदेव एक फॉरवर्डेड व्हाट्सएप मैसेज पढ़ रहे थे और उनके मन में मॉर्डन साइंस के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है.

पतंजलि की दवाओं को लेकर रामदेव का दावा

आईएमए ने समाचार पत्रों में ‘एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमी: फार्मा और मेडिकल उद्योग द्वारा फैलाई गई गलत धारणाओं से खुद को और देश को बचाएं’ शीर्षक से एक विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद साल 2022 में पतंजलि के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. विज्ञापन में दावा किया गया कि पतंजलि की दवाओं से लोगों का शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड, लीवर सिरोसिस, गठिया और अस्थमा ठीक हो गया है.

डॉक्टरों के निकाय ने कहा कि पतंजलि ने अपने उत्पादों से कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में लगातार झूठे दावे किए. 21 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को उन दावों के खिलाफ चेतावनी दी कि उसके उत्पाद शुगर, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं. इसके साथ ही भारी जुर्माना लगाने की धमकी भी दी थी.

अदालत के दस्तावेज़ों के मुताबिक, पतंजलि के वकील ने तब आश्वासन दिया था कि “अब से, किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा, विशेष रूप से जो उत्पादों के विज्ञापन और ब्रांडिंग से संबंधित हो”

CJI के नाम गुमनाम पत्र

इस साल 15 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट को देश के चीफ जस्टिस के नाम एक गुमनाम पत्र मिला, जिसकी प्रतियां जस्टिस कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह को भेजी गईं. पत्र में पतंजलि द्वारा लगातार जारी किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों का जिक्र किया गया. आईएमए के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने अदालत को 21 नवंबर, 2023 की चेतावनी के बाद के अखबारों के विज्ञापन और अदालत की सुनवाई के ठीक बाद रामदेव और बालकृष्ण की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की ट्रांसक्रिप्ट भी दिखाई.

कंपनी से अवमानना ​​कार्रवाई करने को लेकर जवाब मांगा गया. कोर्ट ने अपनी सख्त टिप्पणी में कहा कि “देश को धोखा दिया जा रहा है” और सरकार “अपनी आंखें बंद करके बैठी है.”  19 मार्च को कोर्ट को बताया गया कि पतंजलि ने अवमानना ​​नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया है. इसके बाद  रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया. अदालत ने 2 अप्रैल की सुनवाई में भ्रामक विज्ञापनों पर उचित हलफनामा दायर नहीं करने पर “पूर्ण अवज्ञा” के लिए रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने उन्हें कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी.

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज करते हुए कहा, “आपकी माफी इस अदालत को राजी नहीं कर रही. यह सिर्फ दिखावा मात्र है.” सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी खारिज कर दी और उन्हें एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा.

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर