जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. इस हमले में निर्दोष पर्यटकों की जान जाने के बाद भारत ने दोषियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 121वें एपिसोड में कहा कि इस हमले के दोषियों को कहीं भी छिपे होने पर ढूंढकर सजा दी जाएगी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद को भारत बर्दाश्त नहीं करेगा और इस बार देश किसी भी बड़े कदम से पीछे नहीं हटेगा.
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जानकारों के अनुसार, अगर दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है, तो भारत की रणनीतिक और सैन्य बढ़त पाकिस्तान पर भारी पड़ेगी. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) की 2024 की रिपोर्ट भारत को सैन्य शक्ति के लगभग हर क्षेत्र में पाकिस्तान से आगे बताती है.
सेना की ताकत में भारत को स्पष्ट बढ़त
भारत ने पिछले पांच वर्षों में अमेरिका से करीब 20 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं. इसके अलावा फ्रांस और इजराइल से भी हथियारों की खरीद जारी है. इस बढ़ती सैन्य क्षमता के चलते भारत अब पाकिस्तान पर सामरिक बढ़त हासिल कर चुका है.
भारत के पास 12 लाख से अधिक सक्रिय सैन्यकर्मी हैं, जो पाकिस्तान की 5.6 लाख की तुलना में दोगुने से अधिक हैं. वायुसेना और नौसेना के क्षेत्र में भी भारत का मानव संसाधन पाकिस्तान से कहीं अधिक है.
भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता अधिक
भारतीय वायुसेना के पास 730 से अधिक लड़ाकू-सक्षम विमान हैं, जिनमें Su-30 MKI, राफेल, तेजस, मिग-29 और मिराज 2000 जैसे आधुनिक और विविध विमान शामिल हैं. भारत की त्रिस्तरीय वायु रक्षा क्षमता पाकिस्तान की तुलनात्मक रूप से सीमित और कम दूरी की प्रणालियों पर भारी पड़ती है. इसके मुकाबले पाकिस्तान की वायुसेना 452 विमानों पर निर्भर है, जिनमें JF-17, F-16 और J-10 शामिल हैं. वायुसेना के मामले में भारत पाकिस्तान से काफी आगे है.
बख्तरबंद ताकत में भी भारत अव्वल
भारतीय सेना के पास 3,740 मुख्य युद्धक टैंक हैं, जिनमें अर्जुन और T-90 जैसे उन्नत मॉडल शामिल हैं. इसके अलावा भारत के पास 3,100 से अधिक पैदल सेना के लड़ाकू वाहन (IFV) हैं. पाकिस्तान के पास 2,537 टैंक हैं, जिनमें अल-खालिद और अल-जरार जैसे टैंक शामिल हैं, पर भारत की संख्यात्मक और तकनीकी बढ़त बनी हुई है.
नौसेना शक्ति में भारत का वर्चस्व
नौसेना के क्षेत्र में भारत को पाकिस्तान पर निर्णायक बढ़त प्राप्त है. भारत के पास दो विमानवाहक पोत, परमाणु पनडुब्बियां और एक बड़ा युद्धपोत बेड़ा है, जबकि पाकिस्तान की नौसेना तुलनात्मक रूप से सीमित संसाधनों के साथ काम कर रही है.
भारत की कूटनीति के सामने पाकिस्तान बौना
जानकारों का मानना है कि भारत अब केवल चेतावनी देने तक सीमित नहीं रहेगा. उसकी सैन्य ताकत, वैश्विक समर्थन और क्षेत्रीय प्रभुत्व उसे निर्णायक कार्रवाई के विकल्प प्रदान कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है, जिससे पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है.
1987 के बाद से अब तक भारत-पाकिस्तान सैन्य संकटों के समय पश्चिमी देशों ने युद्ध को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसियां और रक्षा विभाग भारत के साथ संयुक्त सैन्य योजना पर चर्चा कर रहे हैं. इस पूरी स्थिति पर क्षेत्रीय और वैश्विक नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि आने वाले दिनों में भारत की रणनीति यह तय करेगी कि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहेगी या हालात और बिगड़ सकते हैं.
पाक को नहीं मिलेगा अंतरराष्ट्रीय समर्थन
अब वैश्विक राजनीति में कमजोर देशों पर हमले के बाद भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय विरोध नहीं करता. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-गाजा संघर्ष इसके ताजा उदाहरण हैं. वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस और इजरायल के साथ भारत के गहरे रणनीतिक और राजनीतिक संबंध हैं, जो भारत को न केवल हथियार, बल्कि कूटनीतिक समर्थन भी प्रदान कर रहे हैं.
