गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गए हिंदू तीर्थयात्री अमर चंद और उनके परिवार के छह सदस्यों को पाकिस्तानी अधिकारियों को वापस भेज दिया गया. उन्होंने PAK अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ हिंदू होने के कारण सिख जत्थे के साथ जाने से रोका गया.
दरअसल, मंगलवार को अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते करीब 1,900 सिख तीर्थयात्रियों का जत्था पाकिस्तान पहुंचा जो 4 नवंबर से 13 नवंबर तक पाकिस्तान का दौरा करेंगे. इस दौरान श्रद्धालु गुरुद्वारा ननकाना साहिब, गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर का दौरा करेंगे. अमर चंद भी इसी जत्थे का हिस्सा थे. वह दिल्ली के रहने वाले हैं और अपने छह परिजनों के साथ गुरु नानक देव के जन्मदिवस पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में दर्शन करने गए थे.
अमर चंद ने पीटीआई से कहा, ‘हमने अटारी-वाघा बॉर्डर रास्ते से पाकिस्तान में एंट्री की और वहां सभी औपचारिकताएं पूरी कीं. तीर्थयात्रियों के लिए स्पेशल बस में सातों सदस्यों के टिकट के लिए हमने 95,000 पाकिस्तानी रुपये खर्च किए.’
उन्होंने कहा कि बस में बैठने के बाद पांच पाकिस्तानी अधिकारी आए और हमें उतरने को कहा. उन्होंने कहा, ‘तुम हिंदू हो, सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते और इसके बाद हमें वापस भेज दिया गया. पाक अधिकारियों ने बस टिकट पर खर्च किया गया हमारा पैसा भी वापस नहीं किया.’
लखनऊ के सात लोगों को भी किया वापस
चंद ने बताया कि भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तानी पक्ष से वापसी का कारण पूछा. उन्होंने दावा किया कि लखनऊ के सात अन्य भारतीयों को भी पाकिस्तानी अधिकारियों ने वापस भेज दिया.
पहले PAK नागरिक थे अमर चंद
अमर चंद पहले पाकिस्तानी नागरिक थे. वह 1999 में भारत आए थे और 2010 में उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी.
पहले केंद्र ने रोका, फिर दी अनुमति
इससे पहले केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ सुरक्षा स्थिति का हवाला देकर गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर सिख तीर्थयात्रियों को जाने से मना कर दिया था. लेकिन बाद में संघीय सरकार ने सिख जत्थे को पाकिस्तान जाने की अनुमति दी.






