आतंकवाद के सरपरस्त पाकिस्तान को जुलाई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अगुवाई करने का मौका मिला है. अध्यक्षता का मौका मिलते ही उसने अपना असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है. आतंकवाद को खाद-पानी देने वाले पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे को उठाया है. सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष असीम इफ्तिखार अहमद का कहना है कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए. लंबे समय से कश्मीर पर कई प्रस्ताव आ रहे हैं, अब इन पर काम करने की जरूरत है.
न्यूयॉर्क में असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्यों की ये जिम्मेदारी है कि वो प्रस्तावों पर काम करें और इसके लिए ठोस कदम भी उठाएं. पाकिस्तान ने बड़ी जिम्मेदारी और भरोसे के साथ अध्यक्षता संभाली है. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, किसी भी विवाद के शांतिपूर्ण समाधान, समानता और कानून पर भरोसा करता है.
अब समय आ चुका है: इफ्तिखार अहमद
असीम इफ्तिखार अहमद ने आगे कहा, अब कश्मीर पर लंबे समय से चले आ रहे प्रस्तावों पर काम करने का समय आ चुका है. ये बोझ सिर्फ पाकिस्तान नहीं उठा सकता. इसके लिए सबको आगे आना होगा और अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा. ये वो विवाद है, जिसकी वजह से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है, जिसका असर शांति और स्थिरता पर पड़ता है.
ये वही पाकिस्तान है जो भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रचता रहता है. जम्मू-कश्मीर को दहलाने की उसकी नापाक हरकतें दुनिया में किसी से छिपी नहीं हैं. पहलगाम आतंकी हमला हो या पुलवामा अटैक, हर आतंकी हमले के तार पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होते हैं. पाकिस्तान के हुक्मरानों और आतंकियों की भाषा एक ही होती है.
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पाकिस्तान को कैसे मिली UNSC की जिम्मेदारी
पाकिस्तान को जुलाई के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता मिली. यह अध्यक्षता UNSC के अस्थायी सदस्य के तौर पर पाकिस्तान के दो साल के कार्यकाल का हिस्सा है. इसके अलावा पाकिस्तान तालिबान प्रतिबंध समिति की भी अध्यक्षता करेगा. साथ ही संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति के वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर भी काम करेगा.
